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राष्ट्रीय मंच पर मध्यप्रदेश फिर से सम्मानित, अमृत योजना में प्रदेश को इन्सेंटिव अवार्ड

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Place: भोपाल                                                 👤By: Digital Desk                                                                Views: 17512

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने लिया अवार्ड



30 सितम्बर 2016। मध्यप्रदेश को आज राष्ट्रीय मंच पर सम्मानित किया गया। प्रदेश को यह सम्मान अमृत योजना के क्रियान्वयन और संपादन में बेहतर काम करने के लिए दिया गया। आज नई दिल्ली में विज्ञान भवन में 'इंडो-सेन-2016' वर्कशाप में प्रदेश की नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह को अमृत योजना के इन्‍सेंटिव अवार्ड के रूप में 33 करोड़ 45 लाख रुपये का अनुदान शहरी विकास मंत्री वेंकेया नायडू एवं पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने दिया। इस वर्कशाप का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया।



कार्यक्रम में प्रदेश के 2 जिले हरदा और इंदौर को स्वच्छता अभियान के बेहतर संचालन के लिये पुरस्कृत किया गया। इंदौर कलेक्टर पी. नरहरि ने और हरदा कलेक्टर श्रीकांत बानोठ ने पुरस्कार प्राप्व्त किया।



नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा कि प्रदेश के लिये यह खुशी का दोहरा अवसर है। एक तो हमें इस बात की प्रसन्नता है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी की प्राथमिकता वाली स्कीम को हम प्रदेश में बेहतर तरीके से क्रियान्वित कर रहे हैं। दूसरी प्रसन्नता इस बात की है कि हमारे काम को राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना गया और प्रधानमंत्री ने हमें सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में केन्द्र की हर विकास योजना को अमल में लाने के लिये न केवल प्रतिबद्ध है बल्कि जमीनी और क्रियान्वयन के हर स्तर पर मॉनीटरिंग के लिये भी सजग हैं।



एक लाख से अधिक आबादी के 34 शहर में लागू 'अमृत' योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश प्रारंभ से ही उत्कृष्ट रहा है। इन शहरों के लिये बनायी गयी समग्र योजना की स्वीकृति एवं सम्पादन में प्रदेश देश में पहले नम्बर पर है। भारत सरकार ने प्रदेश की समग्र योजना के लिये 8279.4 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। प्रथम चरण में प्रदेश में अमृत में 20 योजना पर कार्य प्रारंभ हो चुका है, जिनकी लागत 1435.82 करोड़ है। ग्यारह योजना, जिनकी लागत 1425.15 करोड़ है, उनके टेण्डर की कार्यवाही चल रही है। अमृत योजना के दो घटक, जल-आवर्धन और सीवेज-प्रबंधन हैं। इनमें जल-आवर्धन की 17 स्वीकृत योजना में से 14 पर काम शुरू हो गया है, जिनकी लागत 560.24 करोड़ रुपये है। सीवेज-प्रबंधन की 13 स्वीकृत योजना में से 875.58 करोड़ की 6 योजना पर काम शुरू हो चुका है।



अमृत योजना में मध्यप्रदेश के 34 शहर को मिलाकर कुल 237.35 अंक प्राप्त हुए हैं, जिसके आधार पर प्रदेश को इन्सेंटिव अवार्ड मिला है। भारत सरकार ने अपने सर्वे में अमृत योजना के क्रियान्वयन के संबंध में निर्धारित गाइड-लाइन के अनुसार हुए कार्यों का व्यापक सर्वे प्रदेश में किया था। सर्वे के प्रमुख बिन्दु थे- ई-गवर्नेंस, कांस्टीट्यूशन एण्ड प्रोफेशनलाइजेशन ऑफ म्युनिस्‍पल केडर, अगमेंटिंग डबल एन्ट्री एकाउंटिंग, अर्बन प्लॉनिंग एवं सिटी डेव्हलपमेंट प्लॉन, डीवाल्यूशन ऑफ फण्ड्स एण्ड फंक्शन, रिव्यू ऑफ बिल्डिंग बॉयलॉज, म्यूनिस्‍पल टैक्स एण्ड फीस इम्प्रूवमेंट, कलेक्शन ऑफ यूजर चार्ज और एनर्जी एण्ड वॉटर ऑडिट।



अमृत योजना प्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, देवास, मुरैना, सतना, सागर, रतलाम, रीवा, कटनी, सिंगरौली, छिन्दवाड़ा, बुरहानपुर, खण्डवा, भिण्ड, गुना, शिवपुरी, विदिशा, छतरपुर, मंदसौर, खरगोन, नीमच, पीथमपुर, दमोह, होशंगाबाद, सीहोर, बैतूल, सिवनी, दतिया, नागदा, डबरा और ओंकारेश्वर शहर में क्रियान्वित की जा रही हैं।

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