12 अक्टूबर, 2016, देश-प्रदेश के केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन वाले पुरातत्व स्थलों पर अब आम दर्शक सिर्फ लायसेंसधारी फोटोग्राफर से चित्र खिंचवा सकेंगे। इस संबंध में प्राचाीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष नियम 1959 में केंद्र सरकार ने संशोधन कर उसे प्रभावशील कर दिया है।
संशोधन में कहा गया है कि फोटोग्राफरों के प्रभावी प्रबंधन और केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारकों के परिसरों में भीड़ कम करने और पर्यटकों के लिये उच्च स्तरीय सेवा सुनिश्चित करने के लिये अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संबंधित पुरातत्वीय अधिकारी द्वारा फोटोग्राफरों को लायसेंस दिये जायेंगे तथा जिन फोटोग्राफरों के लायसेंस स्वीकृत किये जायेंगे उनसे शपथ-पत्र लिया जायेगा कि वे संरक्षित स्मारक में क्या करें तथा क्या न करें का कठोरता से पालन करेंगे।
इसके अलावा नियमों में एकजाई संशोधन किया गया है कि पुरातत्वीय अधिकारी द्वारा प्रदान किये गये लायसेंस या अनुमति के बिना संरक्षित स्थल पर किसी सामान अथवा वस्तु की फेरी लगाना अथवा विक्रय अथवा ऐसी वस्तु या सामान की परपाटी यानी कस्टम का प्रचार अथवा किसी भी प्रकार के विज्ञापन का प्रदर्शन अथवा आर्थिक लाभ के लिये आंगतुक को घुमाना अथवा उसका फोटो लेना प्रतिबंधित रहेगा।
प्रदेश में केन्द्रीय पुरातत्व विभाग के अंतर्गत कुल 290 संरक्षित स्मारक हैं। इनमें सांची, खजुराहो, भोजपुर, मांडू जैसे विश्व प्रसिध्द स्मारक भी शामिल हैं। प्रदेश के जबलपुर में भेड़ाघाट, गाथा, तेवर एवं पनागर, सतना में भरहुत व भूमरा एवं छिन्दवाड़ा में देवगढ़ केंद्र संरक्षित स्मारक हैं।
केंन्द्र के पुरातत्व विभाग के अनुसार, केंद्र सरकार ने संरक्षित स्मारकों के लिये नया प्रावधान किया है जिसके तहत अब लायसेंस के आवेदन के साथ फोटोग्राफरों से शपथ-पत्र भी लिया जायेगा। जल्द ही इन स्मारकों में गाईड के लायसेंस देने के अधिकार भी केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय से वापस लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को दिये जायेंगे।
- डॉ नवीन जोशी
अब पुरातत्व स्थलों पर लायसेंसधारी फोटोग्राफर से ही चित्र खिंचवा सकेंगे
Place:
भोपाल 👤By: वेब डेस्क Views: 17541
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