व्हाट्सएप ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा, एन्क्रिप्शन हटाने पर मजबूर किया, तो छोड़ देंगे भारत

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 3320

26 अप्रैल 2024। लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक बड़ा बयान दिया है। कंपनी का कहना है कि अगर उसे भारत में अपने मैसेज के लिए एन्क्रिप्शन हटाने के लिए मजबूर किया गया, तो वह भारत छोड़ने पर मजबूर हो जाएगी। यह पूरा मामला भारत सरकार के नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों (2021) से जुड़ा है।

इन नियमों के तहत, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और मैसेजिंग ऐप को यूजर्स के मैसेज को डिक्रिप्ट करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपने में सक्षम होना चाहिए। व्हाट्सएप का कहना है कि यह नियम उसकी "ज़ीरो नॉलेज" पॉलिसी का उल्लंघन करता है, जिसके तहत कंपनी यूजर्स के मैसेज के कॉन्टेंट को नहीं देख सकती है।

व्हाट्सएप और उसकी पैरेंट कंपनी मेटा ने इन नए नियमों को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उनका तर्क है कि ये नियम यूजर्स की प्राइवेसी का उल्लंघन करते हैं और भारत के संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को शुरू की थी। सुनवाई के दौरान, व्हाट्सएप के वकील ने कहा कि अगर कंपनी को एन्क्रिप्शन हटाने के लिए मजबूर किया गया, तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगी।

हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी है।

यह देखा जाना बाकी है कि हाई कोर्ट इस मामले में क्या फैसला देता है।

इस मुद्दे के कुछ महत्वपूर्ण पहलू:
यूजर्स की प्राइवेसी बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा: सरकार का तर्क है कि नए नियम कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अपराधों को रोकने और जांच करने में मदद करेंगे। वहीं, व्हाट्सएप और मेटा का कहना है कि ये नियम यूजर्स की प्राइवेसी का उल्लंघन करते हैं और गलत हाथों में पड़ने पर इसका दुरुपयोग हो सकता है।
ज़ीरो नॉलेज पॉलिसी: व्हाट्सएप अपनी "ज़ीरो नॉलेज" पॉलिसी पर टिका हुआ है, जिसके तहत कंपनी यूजर्स के मैसेज के कॉन्टेंट को नहीं देख सकती है। इस पॉलिसी को यूजर्स की प्राइवेसी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
नए नियमों का वैश्विक प्रभाव: भारत सरकार के नए नियमों का वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। कई अन्य देशों में भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से यूजर्स के डेटा तक पहुंच की मांग बढ़ रही है।
यह मामला भारत में यूजर्स की प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दे रहा है।



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