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मध्य प्रदेश में आईएएस अफसरों की भारी कमी: 75 पद खाली

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 705

14 जुलाई 2024। मध्य प्रदेश में प्रशासनिक सेवाओं में आईएएस अफसरों की कमी चिंता का विषय बनती जा रही है। शनिवार को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में आईएएस अफसरों के 459 स्वीकृत पदों में से केवल 384 पदों पर अफसर कार्यरत हैं। इस रिपोर्ट ने प्रशासनिक सेवाओं में अफसरों की भारी कमी को उजागर किया है।

आईएएस पदों की वर्तमान स्थिति
मध्य प्रदेश में कुल 459 स्वीकृत आईएएस पद हैं, जिनमें से 320 पद सीधी भर्ती वाले आईएएस अफसरों के लिए हैं और 139 पद पदोन्नत और चयनित अफसरों के लिए हैं। हालांकि, वर्तमान में केवल 255 पद ही सीधी भर्ती से भरे गए हैं, 128 पद पदोन्नति के जरिए और मात्र एक पद चयन के जरिए भरा गया है।

बैचवार अफसरों की संख्या
1995 से 2006 बैच के अफसरों की संख्या सबसे कम है, जो प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों की कमी का मुख्य कारण है। राज्य में वर्तमान में 34 सचिव स्तर के अफसर हैं, जिनमें से दस केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर गए हैं। 2000 बैच तक के अफसरों को प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नत किया गया है।
वर्तमान बैच की स्थिति
2001 बैच: 2 अफसर
2002 बैच: 2 अफसर
2003 बैच: 3 अफसर
2004 बैच: 5 अफसर
2005 बैच: 3 अफसर
2006 बैच: 2 सीधी भर्ती वाले अफसर और 3 पदोन्नत आईएएस अफसर
सेवानिवृत्ति और पदोन्नति
अगले एक साल में बड़ी संख्या में अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) स्तर के अफसर सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इन अफसरों के सेवानिवृत्त होने के साथ ही प्रमुख सचिव (पीएस) स्तर के अफसरों को एसीएस के पद पर पदोन्नत किया जाएगा। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप अगले साल प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों की कमी हो जाएगी।

स्वतंत्र विभागों का आवंटन
प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों की कमी के कारण, सरकार ने सचिव स्तर के अफसरों को स्वतंत्र विभाग सौंप दिए हैं।

एम सेलवेंद्रन को कृषि विभाग
संजय गोयल को स्कूल शिक्षा विभाग
रघुराज एम आर को तकनीकी शिक्षा विभाग
पी नरहरि को पीएचई विभाग
नवनीत कोठारी को एमएसएमई विभाग
जीवी रश्मि को कार्मिक विभाग
इस तरह, मध्य प्रदेश सरकार प्रशासनिक सेवाओं में अफसरों की कमी को दूर करने और प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। फिर भी, यह समस्या गंभीर बनी हुई है।

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