
13 अप्रैल 2025। मध्य प्रदेश में सोशल मीडिया के दुरुपयोग ने एक गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। लड़कियों को बदनाम करने के लिए उनके नाम से फर्जी अकाउंट बनाए जा रहे हैं, जिससे समाज में लैंगिक संघर्ष की एक नई लहर पैदा हो गई है। यह समस्या न केवल लड़कियों की गरिमा को ठेस पहुँचा रही है, बल्कि उनके परिवारों को भी गहरे सदमे में डाल रही है।
◼️ घटनाक्रम और शिकायतें
क्राइम ब्रांच पुलिस को लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि छात्र अपनी सहपाठियों को बदनाम करने या शरारत करने के लिए उनके नाम से फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बना रहे हैं।
अन्य पुलिस थानों में भी ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं, जहाँ युवा बदला लेने के लिए या लड़कियों द्वारा प्रस्ताव ठुकराए जाने पर उन्हें बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों में क्राइम ब्रांच को लगभग पाँच ऐसी शिकायतें मिली हैं, जिनमें स्कूली छात्राओं के फोटो के साथ फेसबुक और इंस्टाग्राम पर फर्जी अकाउंट बनाए गए थे।
पीड़ितों के माता-पिता ने अधिकारियों से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोपियों को पकड़ने और सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
कई मामलों में, लड़कियों की तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ करके उन्हें बदनाम करने के लिए अश्लील सोशल मीडिया अकाउंट बनाए गए।
◼️ आरोपियों की चालाकी
आरोपी आमतौर पर तकनीक के जानकार युवा होते हैं, जो पुलिस को चकमा देने के लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं।
एक मामले में, एक आरोपी ने एक मजदूर के मोबाइल नंबर का उपयोग करके अपने साथी छात्र का फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाया। पुलिस को असली अपराधी तक पहुँचने में काफी मुश्किल हुई।
पुलिस को तब सफलता मिली जब मजदूर ने बताया कि उसके मालिक के बेटे ने उसका मोबाइल नंबर मांगा था और उसके फोन पर एक ओटीपी भेजा था।
◼️ माता-पिता की चिंता
15 वर्षीय स्कूली छात्रा के माता-पिता उस समय हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि उनकी बेटी के नाम से एक अश्लील सोशल मीडिया अकाउंट चलाया जा रहा है।
उनकी बेटी की तस्वीर के साथ अश्लील तस्वीरें जोड़कर उन्हें बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया।
माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की।
◼️ सुझाव और सलाह
युवाओं को सोशल मीडिया का उपयोग करते समय सतर्क रहना चाहिए।
ऐसे मामलों में पकड़े जाने पर न केवल पीड़िता और उसके माता-पिता, बल्कि आरोपी का पूरा परिवार भी अपमानित महसूस करता है।
माता-पिता को अपने बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर नजर रखनी चाहिए और उन्हें ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में शिक्षित करना चाहिए।
स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को साइबर सुरक्षा और सोशल मीडिया के जिम्मेदार उपयोग के बारे में जागरूक करने के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की जानी चाहिए।
पुलिस को ऐसे मामलों में त्वरित और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और सोशल मीडिया पर भी निगरानी रखनी चाहिए।
साइबर क्राइम कानूनों को और सख्त बनाने की आवश्यकता है ताकि अपराधियों को कड़ी सजा मिल सके।
सोशल मीडिया कंपनियों को फर्जी अकाउंट्स को हटाने और उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
युवाओं को सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग के बारे में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जैसे कि शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक कार्यों के लिए उपयोग करना।
पीड़ितों को न्याय मिलने में सहायता करने के लिए, गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को आगे आना चाहिए।
यह समस्या समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है, और इसे हल करने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा।