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सोशल मीडिया से बने "डिजिटल डॉन", लॉरेंस बिश्नोई की छवि को सोशल मीडिया ने कैसे बढ़ावा दिया

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Place: Bhopal                                                👤By: prativad                                                                Views: 162

24 नवंबर 2024। भारत के अपराध जगत में लॉरेंस बिश्नोई का नाम अब एक नई पहचान बना चुका है। सोशल मीडिया के युग में, जहां हर ट्रेंड तेजी से वायरल होता है, बिश्नोई न केवल एक कुख्यात माफिया डॉन है, बल्कि युवाओं के बीच एक प्रभावशाली और रहस्यमयी शख्सियत भी बन गया है।

सोशल मीडिया पर बढ़ती लोकप्रियता
लॉरेंस बिश्नोई और उसके गैंग ने सोशल मीडिया का ऐसा इस्तेमाल किया है, जो पहले भारत में माफियाओं के बीच नहीं देखा गया। उनके गैंग के सदस्य अपने कारनामों का प्रचार सोशल मीडिया पर करते हैं, जिसमें हथियारों का प्रदर्शन, धमकियां, और आपराधिक गतिविधियों का दिखावा शामिल है।

2024 में मुंबई के राजनेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद, बिश्नोई गैंग ने सोशल मीडिया पर खुलेआम जिम्मेदारी ली। यह पोस्ट न केवल उनकी अपराधी छवि को दर्शाती है, बल्कि युवाओं को एक खास संदेश भी देती है।

युवाओं के लिए "आकर्षण" क्यों?
विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के कारण कई युवा अपराध की ओर आकर्षित हो रहे हैं। बिश्नोई गैंग ने युवाओं को अपने गैंग में शामिल करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया।

पुलिस जांच में पाया गया कि बिश्नोई गैंग अपने सदस्यों को सोशल मीडिया गतिविधियों के आधार पर चुनता है। वे उन लोगों की पहचान करते हैं, जो अपराधी मानसिकता रखते हैं और सोशल मीडिया पर हथियार या हिंसा से संबंधित पोस्ट करते हैं।

आधुनिक "क्रांतिकारी" की छवि
कुछ लोगों के लिए, लॉरेंस बिश्नोई केवल एक अपराधी नहीं, बल्कि एक "आधुनिक क्रांतिकारी" है। सोशल मीडिया पर उसे भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के साथ जोड़ा जा रहा है। उसका दावा है कि वह खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ लड़ रहा है, और उसके समर्थकों को लगता है कि वह एक सिद्धांतवादी व्यक्ति है।

बदलते समय में माफिया का चेहरा
पूर्व यूपी पुलिस प्रमुख विक्रम सिंह के अनुसार, इंटरनेट और सोशल मीडिया के आगमन ने अपराधियों की भर्ती के तरीके को बदल दिया है। पहले जहां अपराधी माफिया से व्यक्तिगत संपर्क करते थे, अब गैंग सोशल मीडिया के माध्यम से अपने संभावित सदस्यों को पहचानते हैं।

सिंह ने कहा, "गैंग आजकल ऐसे लोगों की तलाश करते हैं, जो अपने क्षेत्र में दबदबा बनाना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट और रील्स उनकी मानसिकता को दर्शाती हैं, और इसी आधार पर उन्हें चुना जाता है।"

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच
बिश्नोई गैंग की पहुंच भारत के बाहर तक भी है। 2023 में कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी सुखदूल सिंह की हत्या और उसके बाद का दावा इस बात का प्रमाण है कि गैंग की गतिविधियां अब वैश्विक हो गई हैं।

समाज के लिए खतरा या प्रेरणा?
लॉरेंस बिश्नोई की लोकप्रियता एक चेतावनी है कि किस तरह अपराध और हिंसा को ग्लैमराइज़ किया जा रहा है। युवाओं का माफिया के प्रति आकर्षण सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का परिणाम है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा, रोजगार, और समाज में सकारात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। अन्यथा, यह "रील गॉडफादर" ट्रेंड समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

- दीपक शर्मा
प्रतिवाद


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