
22 फरवरी 2025। शादी हर संस्कृति में एक पवित्र और खुशी का अवसर माना जाता है, लेकिन कुछ परंपराएँ इतनी अजीब और चौंकाने वाली होती हैं कि विश्वास करना मुश्किल होता है। दुनियाभर में कुछ समुदाय ऐसे अनोखे रिवाज़ निभाते हैं जो ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण तो हैं, लेकिन आधुनिक समय में अकल्पनीय लग सकते हैं। आइए, जानते हैं ऐसी ही कुछ अनोखी शादी की परंपराओं के बारे में।
रोने वाली शादी – चीन
दक्षिण-पश्चिमी चीन के सिचुआन प्रांत में तूजिया समुदाय एक प्रथा 'ज़ुओ तांग' को निभाता है। इस रस्म के अनुसार, दुल्हन को शादी से पहले एक महीने तक हर रात रोना पड़ता है। माना जाता है कि यह आँसू दुल्हन के परिवार को छोड़ने के दर्द को दर्शाते हैं। यदि दुल्हन रोने से इनकार करती है, तो उसकी माँ उसे ज़बरदस्ती रुलाती है क्योंकि यह शादी समारोह का एक आवश्यक हिस्सा माना जाता है।
पिटाई सत्र — ब्राजील
ब्राजील के उआपेस में मासिक धर्म की रस्मों में नग्न महिलाओं को सड़कों पर ले जाया जाता है और उन्हें तब तक पीटा जाता है जब तक कि वे मर न जाएं या बेहोश न हो जाएं। इस क्रूर अनुष्ठान को विवाह के लिए एक परीक्षा के रूप में माना जाता है। अगर इस अमानवीय व्यवहार के बाद भी लड़कियां जाग जाती हैं, तो उन्हें विवाह के लिए योग्य माना जाता है।
दुल्हन अपहरण – रोमा समुदाय
जहाँ दुनियाभर में अपहरण एक अपराध है, वहीं कुछ रोमानी समुदायों में इसे विवाह की एक परंपरा माना जाता है। रोमानिया के कुछ हिस्सों में, यदि कोई पुरुष किसी महिला को तीन से पाँच दिन तक बंदी बनाकर रखता है, तो उसे कानूनी रूप से उसकी पत्नी मान लिया जाता है। यह प्रथा आज भी कई क्षेत्रों में जारी है और मानवाधिकारों को लेकर विवाद उत्पन्न करती है।
दुल्हन को जबरन खिलाना – मौरिटानिया
मौरिटानिया, एक पश्चिम अफ्रीकी देश, में शादी से पहले लड़कियों को जबरन अधिक वजन बढ़ाने के लिए 'लेब्लूह' नामक प्रथा का पालन करना पड़ता है। यह माना जाता है कि मोटी दुल्हन समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक होती है। कुछ मामलों में, लड़कियों को प्रतिदिन 16,000 कैलोरी तक खिलाया जाता है। इस परंपरा की पूरी दुनिया में आलोचना की जाती है क्योंकि यह मोटापे, मधुमेह और हृदय रोग जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है।
संस्कृति बनाम मानवाधिकार
भले ही ये परंपराएँ सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हों, लेकिन इनमें से कई नैतिकता और मानवाधिकारों से जुड़े गंभीर सवाल खड़े करती हैं। आधुनिक समाज में लैंगिक समानता, शारीरिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत चुनाव की धारणा मजबूत हो रही है, जिससे कई पुरानी प्रथाएँ बदलने के कगार पर हैं।
क्या ये परंपराएँ भविष्य में जारी रहेंगी, या आधुनिक समाज इन्हें बदल देगा? यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि ये अनोखी रस्में दुनिया को हैरान करती रहेंगी।