
1619 में पुर्तगाली व्यापारी अफ्रीका के गाम्बिया नदी के तट से मजबूत कद-काठी के अफ्रीकी युवाओं और महिलाओं को जबरन पकड़कर, जंजीरों में जकड़कर, जहाजों में भरकर अटलांटिक महासागर पार ले गए। इन अफ्रीकियों को अमेरिका के वर्जीनिया की गुलाम मंडी में बेचा गया। यह खरीद-फरोख्त आगे चलकर "अटलांटिक गुलाम व्यापार" (Atlantic Slave Trade) के रूप में कुख्यात हुई।
अफ्रीका से हजारों-लाखों लोगों को जहाजों में भरकर अमेरिका लाया गया और गुलाम मंडियों में नीलामी कर बेचा गया। इन गुलामों ने अपनी कड़ी मेहनत से अमेरिका के गन्ना और कपास के विशाल बागानों के मालिकों को अमीर बना दिया। उनकी मेहनत से अमेरिका में सड़कें बनीं, भव्य इमारतें खड़ी हुईं, लेकिन यह सब उनकी अमानवीय दुर्दशा और शोषण की कीमत पर हुआ।
अमेरिका में गुलामी: 15वीं सदी से 1865 तक
15वीं सदी से 1865 तक करीब 1.2 करोड़ अफ्रीकी गुलामों को अमेरिका लाया गया। उन्हें नागरिकता का अधिकार तक नहीं दिया गया था। लेकिन 1865 में अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने गुलामी प्रथा को समाप्त कर करोड़ों गुलामों को आज़ादी दिलाई।
संविधान में संशोधन और नागरिकता का अधिकार
1868 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रू जॉनसन ने ब्लैक अफ्रीकन को नागरिकता देने के उद्देश्य से अमेरिकी संविधान में दो महत्वपूर्ण
संशोधन किए:
अमेरिका में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति अमेरिकी नागरिक होगा।
अमेरिका में जन्म लेने वाले किसी भी बच्चे को अमेरिकी नागरिकता मिलेगी, चाहे उसके माता-पिता का इमिग्रेशन स्टेटस कुछ भी हो।
20वीं सदी में इस कानून का असर और ट्रंप का विरोध
20वीं सदी में इस कानून का फायदा वियतनामी, कोरियाई और भारतीय प्रवासियों ने भी उठाया, जिससे अमेरिका में प्रवासी समुदायों की संख्या बढ़ी। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप अब इस कानून को खत्म करने पर आमादा हैं।
क्या अमेरिका अपने ही ऐतिहासिक नागरिकता कानून में बदलाव करेगा? क्या यह फैसला फिर से लाखों लोगों के भविष्य को प्रभावित करेगा? यह सवाल अब अमेरिका की राजनीति और समाज में गहराई से चर्चा का विषय बना हुआ है।