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साइबॉर्ग कीड़े: नई पीढ़ी की मददगार मशीनें

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1537

5 दिसंबर 2024। आने वाले समय में भूकंप या बमबारी जैसे आपदा क्षेत्रों में जीवित बचे लोगों की मदद के लिए विशालकाय साइबॉर्ग कॉकरोच महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इनकी क्षमता और अनूठे डिजाइन का उपयोग आपदा राहत कार्यों में तेजी और कुशलता लाने के लिए किया जा सकता है।

अनूठा प्रयोग: बर्फ स्नान और सर्जरी
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के छात्र लैचलन फिट्ज़गेराल्ड ने एक अनोखा प्रयोग किया। इसमें भृंग को बर्फ के स्नान में डुबोकर एनेस्थेटिक प्रभाव से सुन्न किया गया। इसके बाद, उनकी पीठ पर एक छोटा सा सर्किट बोर्ड लगाया गया, जो उन्हें एक बायोहाइब्रिड साइबॉर्ग में बदल देता है। यह उपकरण भृंग के एंटीना को विद्युत संकेत भेजकर उसकी हरकतों को नियंत्रित करता है, लेकिन उसके प्राकृतिक कौशल को बरकरार रखता है।

भविष्य की संभावनाएं
फिट्ज़गेराल्ड का मानना है कि ऐसे साइबॉर्ग कीड़े पारंपरिक रोबोटों की तुलना में अधिक अनुकूलनीय और प्रभावी हैं। उनका कहना है, "भूकंप या अन्य शहरी आपदाओं में, जहाँ मानव बचावकर्मी नहीं पहुँच सकते, वहाँ इन साइबॉर्ग कीड़ों का उपयोग किया जा सकता है। ये तेजी से मलबे में नेविगेट कर सकते हैं और जीवित बचे लोगों का पता लगा सकते हैं।"

विशालकाय तिलचट्टों और डार्कलिंग भृंग का उपयोग
इन प्रयोगों के लिए ऑस्ट्रेलिया की तीन इंच लंबी विशालकाय बिल खोदने वाले तिलचट्टों और डार्कलिंग भृंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन प्रजातियों की अद्वितीय क्षमता उन्हें कठिन और चुनौतीपूर्ण वातावरण में काम करने के लिए उपयुक्त बनाती है।

अन्य प्रयोग: जेलीफिश और मशरूम रोबोट
दुनिया भर में अन्य शोधकर्ता भी बायोहाइब्रिड प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में जेलीफिश में इलेक्ट्रॉनिक पेसमेकर लगाकर उनकी तैराकी गति को नियंत्रित किया जा रहा है। इसी तरह, कॉर्नेल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किंग ऑयस्टर मशरूम के उपयोग से रोबोट तैयार किए हैं, जो मिट्टी के रसायन का विश्लेषण कर सकते हैं।

नैतिकता और कल्याण पर बहस
बायोहाइब्रिड तकनीक के साथ नैतिकता और जीवों के कल्याण को लेकर बहस भी हो रही है। कैलटेक के शोधकर्ताओं ने बायोएथिसिस्ट के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया है कि उनके प्रयोगों से जीवों को तनाव न हो।

फिट्ज़गेराल्ड का कहना है कि बैकपैक से जुड़े भृंग की सामान्य जीवन प्रत्याशा में कोई कमी नहीं होती। वे मानते हैं कि शहरी आपदाओं में जीवन बचाने की इस तकनीक की क्षमता, इससे जुड़े नैतिक सवालों को पीछे छोड़ सकती है।

साइबॉर्ग कीड़ों का यह क्षेत्र विज्ञान और आपदा प्रबंधन का एक नया और रोमांचक आयाम खोलता है। यह तकनीक भविष्य में मानवता के लिए वरदान साबित हो सकती है।

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