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हिमालय की ऊंचाइयों से भारत की 'क्वांटम छलांग': एक अध्ययन का खुलासा

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1392

6 दिसंबर 2024। भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नई और क्रांतिकारी दिशा में कदम रखा है। रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) के वैज्ञानिकों ने एक अभूतपूर्व अध्ययन में लद्दाख के हान्ले स्थित भारतीय खगोलीय वेधशाला (IAO) को उपग्रह-आधारित क्वांटम संचार के लिए सबसे उपयुक्त स्थान घोषित किया है। यह अध्ययन वैश्विक क्वांटम संचार प्रणाली के निर्माण में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा।

क्या है क्वांटम संचार?
क्वांटम कुंजी वितरण (QKD) जैसी तकनीकों पर आधारित उपग्रह-आधारित क्वांटम संचार, सुरक्षित और उच्च-गति वाले संचार की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, यह तकनीक वायुमंडलीय स्थितियों पर निर्भर करती है, जो सिग्नल को विकृत कर सकती हैं। ऐसे में, सही स्थान का चयन इस तकनीक की सफलता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

हान्ले क्यों है सबसे उपयुक्त?
हनले की उच्च ऊंचाई, शुष्क वातावरण और न्यूनतम वायुमंडलीय विक्षोभ इसे आदर्श बनाते हैं। यहाँ सर्दियों में तापमान -25°C से -30°C तक गिर जाता है और जलवाष्प स्तर बेहद कम रहता है। यह विशेषताएँ क्वांटम सिग्नल ट्रांसमिशन के लिए आदर्श परिस्थितियाँ प्रदान करती हैं।

RRI की क्वांटम सूचना और कंप्यूटिंग (QIC) लैब की प्रमुख, प्रोफेसर उर्वशी सिन्हा ने कहा, “हान्ले में सभी आवश्यक प्राकृतिक स्थितियाँ मौजूद हैं, जो इसे ग्राउंड-स्टेशन स्थापित करने के लिए एक परफेक्ट लोकेशन बनाती हैं।”

अन्य संभावित स्थान
हनले के बाद, माउंट आबू और नैनीताल को क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रखा गया है। इन स्थानों पर भी उपग्रह-आधारित क्वांटम संचार की संभावनाएँ हैं, लेकिन सिग्नल लॉस हान्ले की तुलना में अधिक है।

अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भारत की भूमिका
जहाँ कनाडा, यूरोप और चीन ने पहले ही इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, भारत का यह अध्ययन वैश्विक मंच पर हमारी स्थिति को और मजबूत करेगा।

कैसे काम करेगा सिस्टम?
क्वांटम सिग्नल ट्रांसमिशन प्रक्रिया में एक ग्राउंड स्टेशन से उपग्रह को बीकन सिग्नल भेजा जाएगा। उपग्रह इसे पहचानकर अपने सिग्नल वापस ग्राउंड स्टेशन को भेजेगा, जिससे क्वांटम डेटा ट्रांसमिशन की प्रक्रिया शुरू होगी।

भविष्य की दिशा
RRI का यह शोध भारत को क्वांटम टेक्नोलॉजी में वैश्विक नेता बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह परियोजना न केवल सुरक्षित संचार प्रणाली का निर्माण करेगी, बल्कि भारत के वैज्ञानिक समुदाय को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाने में मदद करेगी।

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