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पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से मध्यप्रदेश और राजस्थान होंगे 'सुजलाम्-सुफलाम्': प्रधानमंत्री मोदी

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1917

प्रधानमंत्री की उपस्थिति में ऐतिहासिक अनुबंध पर हस्ताक्षर, विकास के नए द्वार खुलेंगे

17 दिसंबर 2024। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना मध्यप्रदेश और राजस्थान को "सुजलाम्-सुफलाम्" बनाएगी। जयपुर में मंगलवार को प्रधानमंत्री की उपस्थिति में मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच त्रिपक्षीय अनुबंध सहमति पत्र (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह सामान्य अनुबंध नहीं है, बल्कि आने वाले कई दशकों तक इसे याद रखा जाएगा।


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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ पीकेसी नदी जोड़ो परियोजना के एमओए (अनुबंध पत्र) का आदान-प्रदान किया।


अटलजी का सपना साकार: नदियों को जोड़ने का विजन
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने नदियों को जोड़ने का विजन रखा था, लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने इस योजना को उलझाए रखा। हमारी सरकार संवाद और सहयोग की नीति पर कार्य कर रही है, जिसका परिणाम है कि यह ऐतिहासिक परियोजना आज मूर्त रूप ले रही है।

परियोजना का लाभ:
चंबल, पार्वती और कालीसिंध नदियों को आपस में जोड़ा जाएगा।
इससे मध्यप्रदेश और राजस्थान में सिंचाई और पेयजल की समस्या दूर होगी।
बाढ़ और सूखे जैसी समस्याओं का समाधान संभव होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण हमारा कर्तव्य है। उन्होंने "रैन वाटर हार्वेस्टिंग" अभियान और "एक पेड़ मां के नाम" अभियान से जुड़ने का आह्वान किया, ताकि धरती मां की प्यास बुझाई जा सके और जल संसाधनों का संरक्षण किया जा सके।

विकास की अद्भुत सौगात: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह परियोजना 20 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद साकार हो रही है। उन्होंने इसे "आधुनिक युग के भागीरथ" के प्रयासों का परिणाम बताया।

परियोजना का वित्तीय ढांचा
मुख्यमंत्री ने बताया कि 72 हजार करोड़ की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना में:
90% राशि केंद्र सरकार वहन करेगी।
10% राशि राज्य सरकारें खर्च करेंगी।
मध्यप्रदेश का हिस्सा 35 हजार करोड़ और राजस्थान का हिस्सा 37 हजार करोड़ होगा।
"परियोजना से मिलेगा व्यापक लाभ"
जल भराव क्षमता: 1908.83 घन मीटर।
पेयजल और उद्योगों के लिए आरक्षित जल: 172 मिलियन घन मीटर।
21 बांध/बैराज का निर्माण होगा।
सिंचाई क्षेत्र: 6.13 लाख हेक्टेयर भूमि (मालवा और चंबल क्षेत्र)।
3217 गांवों को लाभ मिलेगा।
40 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा।

पश्चिमी मध्यप्रदेश को होगा सीधा लाभ
परियोजना से श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोक नगर, उज्जैन, इंदौर, धार, शाजापुर, राजगढ़, सीहोर सहित पश्चिमी मध्यप्रदेश के जिलों को सिंचाई और पेयजल की पर्याप्त सुविधा मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर के आधुनिकीकरण से भिंड, मुरैना और श्योपुर के किसानों को उनकी मांग के अनुसार पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

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