10 नवम्बर 2016, मध्यप्रदेश में पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिल गया है। जल संसाधन विभाग के अंतर्गत आने वाले जलाशयों के किनारों एवं टापूओं पर पर्यटन संबंधी रिसोर्ट, होटल्स आदि बनाने एवं अन्य गतिविधियों के लिये प्राकृतिक जल स्रोतों से इन पर्यटन इकाईयों को पानी मिल सकेगा तथा इन जलाशयों में पर्यटन गतिविधियों को जल संसाधन विभाग की औद्योगिक दरों से भुगतान पर अनुमति मिल सकेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन ने गत 30 सितम्बर को राज्य की नई पर्यटन नीति घोषित की है तथा इसे 1 अक्टूबर से आगामी पांच वर्षों के लिये प्रभावशील किया है। इस नीति में जल पर्यटन शीर्षक के अंतर्गत कहा गया है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण एवं जल संसाधन विभाग एवं राज्य के अंतर्गत आने वाले जल क्षेत्रों में पर्यटन के समुचित उपयोग की दृष्टि से पर्यटन गतिविधियों के संचालन हेतु पर्यटन विभाग अधिकृत होगा। साथ ही इन जल क्षेत्रों में स्थित तटीय एवं टापूओं की उपलब्ध भूमि पर्यटन विभाग द्वारा संबंधित विभाग से हस्तांतरित करायी जाकर निजी निवेशकों को आवंटित की जायेगी। निवेशकों को हाउस बोट, क्रूज, मोटर बोट एवं जल क्रीड़ा गतिविधियों के लिये लायसेंस दिये जा सकेंगे।
इस संबंध में पर्यटन विभाग ने जल संसाधन विभाग को पर्यटन को पत्र लिखकर उद्योग का दर्जा दिये जाने की जानकारी दी है जिस पर जल संसाधन विभाग ने अपने कछार एवं परियोजना क्षेत्र के सभी मुख्य अभियंताओं को सूचित किया है कि नवीन पर्यटन नीति के अंतर्गत पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिये जाने हेतु जल संसाधन विभाग द्वारा प्राकृतिक जल स्रोतों से उद्योग की जल दरों पर जल के उपयोग की अनुमति प्रदान की जायेगी।
विभागीय अफसरों का कहना है कि पर्यटन के लिये अब जल संसाधन विभाग के जलाशयों का पानी उपयोग करने पर औद्योगिक दर लगेगी लेकिन जलाशयों में मोटर बोट, हाउस बोट, क्रूज के उपयोग पर कितनी किस प्रकार से औद्योगिक जल दर वसूल की जायेगी यह अभी उच्च स्तरीय चर्चा के बाद निर्धारित किया जायेगा।
- डॉ नवीन जोशी
जल दर की औद्योगिक दर भुगतान से मिलेगी पर्यटन की अनुमति
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