
25 फरवरी 2025। पश्चिमी देशों ने रूस और ईरान के साथ व्यापार करने वाली भारतीय कंपनियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने हाल ही में कई भारतीय कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे भारतीय व्यापार जगत में चिंता की लहर दौड़ गई है।
जयपुर स्थित इनुसिया इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड, जो इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में काम करती है, को ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने अपनी प्रतिबंधित सूची में शामिल किया है। इसके अलावा, मुंबई की प्रतीक कॉर्पोरेशन, जो ऑटो पार्ट्स और औद्योगिक सेवाएं प्रदान करती है, भी यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों की जद में आ गई है।
पिछले कुछ महीनों में, Si2 माइक्रोसिस्टम्स, इनोवियो वेंचर्स और ट्रायक इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी अन्य भारतीय कंपनियों को भी पश्चिमी देशों ने प्रतिबंधित किया है। इन कंपनियों पर रूस को सैन्य आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और दोहरे उपयोग वाले सामान प्रदान करने का आरोप है।
सरकार का रुख:
भारत सरकार ने इन प्रतिबंधों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि "भारत ने कुछ भी अवैध नहीं किया है।" उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ की व्याख्या है कि रूस के साथ संबंध एक समस्या है। सरकार के अनुसार, प्रतिबंधित कंपनियां उद्योग भागीदार और MeitY की शोध भागीदार हैं। भारत ने रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों का बचाव किया है, और इसे "व्यावहारिकता" और विश्वास पर आधारित बताया है।
ईरान से जुड़े प्रतिबंध:
अमेरिका ने ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उद्योग में कथित भूमिका के लिए चार भारतीय कंपनियों, ऑस्टिनशिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, बीएसएम मरीन एलएलपी, कॉसमॉस लाइन्स इंक और फ्लक्स मैरीटाइम एलएलपी पर प्रतिबंध लगाए हैं। इन कंपनियों पर ईरानी 1 पेट्रोलियम उत्पादों के परिवहन में मदद करने का आरोप है।
व्यापारिक रिश्तों पर असर:
पश्चिमी देशों के इन प्रतिबंधों से भारत और रूस के बीच व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ने की संभावना है। रूस, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है, खासकर ऊर्जा और रक्षा के क्षेत्र में। प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को जारी रखने का संकेत दिया है।
इन प्रतिबंधों के मद्देनजर, भारतीय कंपनियों को अपने व्यापारिक संबंधों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। सरकार को भी पश्चिमी देशों के साथ बातचीत के माध्यम से इन प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयास करने होंगे।