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11 फरवरी 2025। भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस को भारत का "दीर्घकालिक और विश्वसनीय रक्षा साझेदार" बताया है। बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया शो के दौरान उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच मजबूत रक्षा संबंध हैं। अब भारत की सरकारी रक्षा कंपनियाँ रूसी हथियार भी बना रही हैं।
रूस ने इस शो में अपने सबसे उन्नत हथियारों का प्रदर्शन किया, जिनमें पाँचवीं पीढ़ी का Su-57 स्टील्थ फाइटर, हेलीकॉप्टर, मिसाइल और वायु रक्षा प्रणाली शामिल हैं। रूस की हथियार निर्यात एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के प्रमुख अलेक्जेंडर मिखेव के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में दोनों देशों ने लगभग 50 अरब डॉलर के रक्षा सौदे किए हैं।
भारत दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार आयात करने वाले देशों में से एक है, जबकि रूस भारत के लिए Su-30MKI लड़ाकू विमान और ब्रह्मोस मिसाइल जैसी उन्नत प्रणालियों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। ब्रह्मोस मिसाइल दोनों देशों के सहयोग से विकसित की गई है। भारतीय सेना के लगभग 60% हथियार रूसी तकनीक पर आधारित हैं।
पिछले साल दिसंबर में भारत ने 12 नए Su-30MKI लड़ाकू विमानों और उनके उपकरणों की खरीद के लिए 1.5 अरब डॉलर का सौदा किया था। अब इन विमानों में 62.6% हिस्से का निर्माण भारत में ही हो रहा है, जो आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक बड़ी उपलब्धि है।
ब्रह्मोस मिसाइल के लिए बना संयुक्त उद्यम अब न सिर्फ भारत में बल्कि अन्य देशों को भी मिसाइलें निर्यात कर रहा है। 2022 में फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलें भेजी गईं और अब इंडोनेशिया के साथ भी सौदे की बातचीत चल रही है।
राजनाथ सिंह ने एयरो इंडिया शो के उद्घाटन समारोह में कहा कि भारत अब अधिक से अधिक स्वदेशी हथियार बना रहा है और इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत ने आकाश और एस्ट्रा मिसाइलों, अंडरवाटर ड्रोन, मानवरहित नौसैनिक जहाजों और पिनाका रॉकेट सिस्टम जैसे अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों के निर्माण में बड़ी प्रगति की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "मेक इन इंडिया" पहल के तहत भारत के रक्षा निर्यात में भी तेजी से वृद्धि हुई है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में भारत का रक्षा निर्यात 2.5 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।