31 जनवरी 2025। देश की अंतरिक्ष एजेंसी ने 1969 के बाद से अपना 100वां मिशन लॉन्च किया है और अगले पांच वर्षों में इतनी ही संख्या में और मिशन भेजने का लक्ष्य रखा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नए अध्यक्ष वी. नारायणन ने घोषणा की है कि इसरो अगले पांच वर्षों में 100 रॉकेट लॉन्च करने की योजना बना रहा है। यह घोषणा तब की गई जब इसरो ने अपनी स्थापना (1969) के बाद 100वें मिशन का मील का पत्थर पार किया।
यह ऐतिहासिक मिशन बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित प्रक्षेपण केंद्र से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी-एफ15) रॉकेट के माध्यम से एनवीएस-02 उपग्रह को लेकर रवाना हुआ। यह उपग्रह भारत के नेविगेशन सिस्टम के बढ़ते नेटवर्क का हिस्सा है।
नारायणन ने बताया कि 56 वर्षों में इसरो ने कुल 120 टन पेलोड के साथ 548 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया है, जिनमें 23 टन पेलोड के साथ 433 विदेशी उपग्रह भी शामिल हैं।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के 100वें प्रक्षेपण को "अविश्वसनीय उपलब्धि" करार दिया और विश्वास व्यक्त किया कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में नई ऊँचाइयों को छूता रहेगा।
इसरो अब उस दौर से काफी आगे निकल चुका है जब रॉकेट के पुर्जे साइकिल और बैलगाड़ियों पर ले जाए जाते थे। आज यह दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक बन चुका है। इस प्रगति में भारत के चंद्रमा और सूर्य के हाल ही में किए गए सफल मिशन और विदेशी ग्राहकों के लिए किए गए वाणिज्यिक प्रक्षेपण शामिल हैं।
2024 में भारत सरकार ने उपग्रहों के पुर्जों और प्रणालियों के निर्माण में 100% तक निवेश की अनुमति दी। सरकार के अनुसार, भारत में उपग्रह निर्माण के लिए विदेशी कंपनियाँ 74% तक और प्रक्षेपण वाहनों के लिए 49% तक निवेश कर सकती हैं। यह निर्णय भारत के 2035 तक अपने अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर अपना पहला मानवयुक्त मिशन भेजने के लक्ष्य को प्रोत्साहित करने के लिए लिया गया है।
पिछले वर्ष, भारत ने अपने मानव अंतरिक्ष यान मिशन, गगनयान में महत्वपूर्ण प्रगति की। इसरो ने 2025 की शुरुआत में होने वाली गगनयान की पहली मानवरहित उड़ान के लिए ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (HLVM3) का असेंबली कार्य शुरू कर दिया है। इस साल की शुरुआत में, इसरो ने सफलतापूर्वक एक मानवरहित डॉकिंग मिशन पूरा किया, जिससे भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
भविष्य में इसरो की योजनाओं में 1.5 बिलियन डॉलर की लागत वाली नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) का प्रक्षेपण भी शामिल है। यह निचली पृथ्वी की कक्षा में स्थित एक वेधशाला होगी, जिसे नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है। नारायणन ने बताया कि इस मिशन को "अगले कुछ महीनों में" लॉन्च किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने इसरो को अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (NGLV) विकसित करने की मंजूरी दे दी है। यह यान 20 टन तक के पेलोड को निचली पृथ्वी की कक्षा (LEO) या 10 टन पेलोड को जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में ले जाने में सक्षम होगा। अधिकारियों के अनुसार, NGLV का उपयोग आगामी चंद्र मिशनों, चंद्रयान 4 और 5 के साथ-साथ गहरे अंतरिक्ष अभियानों में भी किया जाएगा।
भारत ने अगले 100 अंतरिक्ष मिशनों की समय-सीमा की घोषणा की
Place:
भोपाल 👤By: prativad Views: 139
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