दिल्ली में भगवा सुनामी: AAP का सफाया, कांग्रेस का खेल बना खुद की हार की वजह!

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1447

8 फरवरी 2025। सुपर सैटरडे ने दिल्ली की राजनीति में ऐसा तूफान लाया कि आम आदमी पार्टी (AAP) की सत्ता की इमारत ताश के पत्तों की तरह बिखर गई और कांग्रेस खुद अपनी चाल में उलझकर रह गई। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रचंड जीत ने साबित कर दिया कि दिल्ली के दिल में अब विकास और दमदार नेतृत्व की धड़कन तेज हो चुकी है।

AAP की बर्बादी की पटकथा:
अरविंद केजरीवाल की करिश्माई छवि और उनकी फ्री-फ्री योजनाएं इस बार काम नहीं आईं। कांग्रेस के संदीप दीक्षित ने भले ही चुनाव न जीता हो, लेकिन उन्होंने केजरीवाल के वोट बैंक में सेंध लगा दी, जो AAP के पतन की सबसे बड़ी वजह बनी। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन भी इस ‘डबल अटैक’ का शिकार होकर मैदान में धराशाई हो गए।

कांग्रेस बनी BJP की 'गुप्त मित्र':
कांग्रेस ने AAP को हराने के चक्कर में खुद को मिटा डाला। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन BJP के लिए चुनावी राह आसान जरूर कर दी। वोटों का बंटवारा ऐसा हुआ कि केजरीवाल के समर्थक खुद कंफ्यूज होकर BJP के खेमे में चले गए।

मतदाताओं की उलझन, BJP की बाज़ी:
जहां AAP और कांग्रेस के बीच टकराव का माहौल था, वहीं BJP ने विकास के मुद्दे और मजबूत नेतृत्व के वादे के साथ मतदाताओं का दिल जीत लिया। मुस्लिम वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा भी इस बार BJP की ओर झुका, जिससे दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ आ गया।

मुस्तफाबाद से लेकर तिमारपुर तक भगवा का जलवा:
मुस्तफाबाद में AIMIM ने AAP के वोट काटे, और BJP ने सीट हथिया ली। तिमारपुर, महरौली, संगम विहार, त्रिलोकपुरी—हर जगह जीत का अंतर भले ही छोटा रहा, पर भगवा झंडा लहराने से कोई नहीं रोक सका।

मोदी मैजिक और विकास का मंत्र:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महाकुंभ में आस्था की डुबकी और उनके विकासवादी नारों ने वोटरों के मन को जीत लिया। योगी आदित्यनाथ और निर्मला सीतारमण जैसे दिग्गज नेताओं की रैलियों ने BJP के पक्ष में माहौल गरमा दिया।

27 साल बाद बीजेपी की वापसी:
27 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर BJP ने धमाकेदार वापसी की। AAP के किले को ढहाने में BJP के स्टार प्रचारकों की सेना ने कोई कसर नहीं छोड़ी। केजरीवाल अब सत्ता से बाहर हैं, और सवाल है—क्या AAP इस झटके से उबर पाएगी या इतिहास बनकर रह जाएगी?

आगे क्या?
अब देखने वाली बात यह होगी कि AAP इस हार से कैसे उबरती है और केजरीवाल की गैरमौजूदगी में पार्टी किस रणनीति के साथ आगे बढ़ेगी। दिल्ली की राजनीति में यह जीत सिर्फ BJP की नहीं है, बल्कि मतदाताओं के बदलते मिजाज और विकास की नई परिभाषा की भी है।

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