
17 मार्च 2025। भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बेटी ऐरा शमी के होली खेलने पर कट्टरपंथी बयानों ने एक बार फिर देश में धार्मिक और राजनीतिक विवाद को हवा दे दी है। ऑल इंडिया मुस्लिम जामात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने ऐरा के होली खेलने पर आपत्ति जताई है, जिसे उन्होंने शरियत के खिलाफ बताया है। रजवी के इस बयान ने न केवल शमी परिवार को बल्कि पूरे देश में चर्चा को जन्म दिया है।
मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता विश्वास कैलाश सारंग ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। सोमवार को अपने एक ट्वीट में, सारंग ने कहा, "कट्टरपंथी और चरमपंथी अपनी सीमाएं लांघ रहे हैं! इस देश में अब धमकी और नफरत की राजनीति नहीं चलेगी।" उन्होंने मौलाना रजवी के बयान को न केवल आपत्तिजनक बल्कि अस्वीकार्य करार दिया और शमी को पत्र लिखकर आश्वासन दिया कि उन्हें और उनकी बेटी को कट्टरपंथियों से डरने की जरूरत नहीं है।
कट्टरपंथी और चरमपंथी अपनी सीमाएं लांघ रहे हैं! इस देश में अब धमकी और नफरत की राजनीति नहीं चलेगी।
— विश्वास कैलाश सारंग (@VishvasSarang) March 17, 2025
क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बेटी के होली खेलने पर मोहम्मद शहाबुद्दीन रजवी का बयान न केवल आपत्तिजनक बल्कि अस्वीकार्य है। मैंने शमी को पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें और उनकी बेटी को… pic.twitter.com/eDiuBTUSTd
सारंग ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी पर भी निशाना साधा, जो "लड़की हूं, लड़ सकती हूं" का नारा देती हैं, लेकिन इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति के चलते इस तरह के विवादों पर बोलने से कतराते हैं।
✔️ पृष्ठभूमि: शमी और उनकी बेटी पर विवाद
मोहम्मद शमी की पूर्व पत्नी हसीन जहां ने 14 मार्च को सोशल मीडिया पर ऐरा की होली खेलते हुए तस्वीरें साझा की थीं, जो वायरल हो गईं। हालांकि, होली भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, लेकिन कुछ कट्टरपंथी समूहों ने इसे इस्लाम के खिलाफ बताते हुए निंदा की। मौलाना रजवी ने कहा, "यदि वह समझदार है और फिर भी होली खेलती है, तो इसे शरियत के खिलाफ माना जाएगा।" यह बयान व्यापक आलोचना का शिकार हुआ है, और कई लोगों ने इसे धार्मिक कट्टरता का उदाहरण बताया है।
इससे पहले, मौलाना रजवी ने शमी पर भी हमला बोला था, जब उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के दौरान रमजान के महीने में रोजा न रखने और एक एनर्जी ड्रिंक पीने पर शमी को "शरियत के तहत अपराधी" करार दिया था। ये बयान भारतीय खेल जगत और धार्मिक स्वतंत्रता पर बहस को और तेज कर रहे हैं।
✔️ राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
विश्वास सारंग के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ यूजर्स ने सारंग के बयान का समर्थन किया और धार्मिक कट्टरता की निंदा की, जबकि अन्य ने राजनीतिकरण करने पर सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा, "हिंदू-मुस्लिम के बिना इन नेताओं का मुंह ही नहीं खुलता," जबकि दूसरे ने कहा, "शमी और उनकी बेटी को अपनी पसंद से जीवन जीने की आजादी होनी चाहिए।"
प्रियंका गांधी की चुप्पी पर भी चर्चा हो रही है। बीजेपी नेता अतीत में प्रियंका के "लड़की हूं, लड़ सकती हूं" नारे का हवाला देकर उन्हें महिलाओं के मुद्दों पर बोलने के लिए प्रेरित करते रहे हैं, लेकिन इस बार भी कांग्रेस नेतृत्व से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिसे विपक्ष की "तुष्टिकरण नीति" के रूप में देखा जा रहा है।
✔️ विशेषज्ञों की राय
धार्मिक और सामाजिक मामलों के जानकारों का कहना है कि इस तरह के बयान भारत जैसे बहुधार्मिक और सांस्कृतिक देश में धार्मिक सौहार्द को प्रभावित करते हैं। एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, "खेल और त्योहार सभी के लिए हैं। किसी को भी अपनी पसंद के आधार पर जीवन जीने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, और कट्टरपंथी बयान समाज में नफरत फैलाते हैं।"
मोहम्मद शमी अभी तक इस विवाद पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दे पाए हैं, लेकिन उनके प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर उनकी और उनकी बेटी के समर्थन में पोस्ट किए हैं। इस मुद्दे पर बहस जारी है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है।