चीन अंतरिक्ष में बना रहा है विशाल सोलर पावर स्टेशन, धरती को भेजेगा माइक्रोवेव से ऊर्जा

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 149

23 अप्रैल 2025। चीन एक बार फिर अंतरिक्ष तकनीक की दौड़ में दुनिया को चौंकाने की तैयारी कर रहा है। अब वह पृथ्वी की कक्षा में 22,370 मील (लगभग 36,000 किलोमीटर) ऊपर एक विशाल सोलर पावर स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह अंतरिक्षीय स्टेशन 0.6 मील (करीब 1 किलोमीटर) चौड़ा होगा और माइक्रोवेव के ज़रिए पृथ्वी पर ऊर्जा भेजेगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह अंतरिक्षीय सौर ऊर्जा प्रणाली साल भर में उतनी ही ऊर्जा उत्पन्न कर सकती है, जितनी धरती पर मौजूद समस्त तेल संसाधनों से मिलती है। महत्वाकांक्षा की दृष्टि से इसे चीन के प्रसिद्ध थ्री गॉर्जेस डैम के समकक्ष माना जा रहा है।

क्यों खास है यह तकनीक?
धरती पर लगे सोलर पैनलों की तुलना में अंतरिक्ष में लगे सोलर पैनल बादलों और वायुमंडलीय अवरोधों से मुक्त रहेंगे। अंतरिक्ष में सूर्य की किरणें 10 गुना अधिक प्रभावशाली होती हैं। इसका मतलब है कि यह प्रणाली निरंतर और कहीं अधिक सशक्त ऊर्जा उत्पादन में सक्षम होगी।

लॉन्ग मार्च-9 रॉकेट बनेगा गेमचेंजर
इस मिशन को धरातल से अंतरिक्ष में ले जाने की जिम्मेदारी चीन के शक्तिशाली और पुन: उपयोग योग्य रॉकेट लॉन्ग मार्च-9 को दी गई है। यह रॉकेट 150 टन तक का भार उठाने में सक्षम है और सोलर स्टेशन के हिस्सों को क्रमश: अंतरिक्ष में ले जाकर जोड़ने का कार्य करेगा। यही रॉकेट चीन के 2035 तक चंद्रमा पर बेस बनाने के सपने को भी साकार करने में अहम भूमिका निभाएगा।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा भी तेज
इस क्षेत्र में केवल चीन ही नहीं, अमेरिका, यूरोप और जापान भी सक्रिय हैं। जापान इस वर्ष एक मिनी-सोलर स्पेस सिस्टम का परीक्षण कर रहा है, जिससे भविष्य में बड़े पैमाने पर ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएं जानी जा सकें।

चुनौती भी कम नहीं
हालांकि यह तकनीक असीमित और साफ ऊर्जा का वादा करती है, लेकिन इसकी राह में कई तकनीकी और आर्थिक चुनौतियां हैं। अंतरिक्ष में ऊर्जा स्टेशन को स्थापित करना, सटीक रूप से पृथ्वी पर ऊर्जा ट्रांसमिट करना, और सुरक्षा के मापदंडों को बनाए रखना, ये सभी अहम पहलू हैं जिन पर गहन शोध जारी है।

अगर चीन इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा कर लेता है, तो यह न केवल ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकता है, बल्कि अंतरिक्ष तकनीक में भी नया इतिहास रच सकता है। दुनिया की निगाहें अब चीन की इस अंतरिक्षीय सौर ऊर्जा महत्वाकांक्षा पर टिकी हैं — यह एक नई ऊर्जा दौड़ की शुरुआत हो सकती है।

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