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भोपाल गैंगरेप मे सस्पेंड पुलिस अफसरों के खिलाफ अब होगी एफआईआर

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 17919

10 नवंबर 2017। भोपाल में छात्रा से गैंगरेप मामले में एफआईआर करने में आनाकानी करने वाले लापरवाह पुलिसकर्मियों पर एफआईआर होना तय माना जा रहा है. एफआईआर दर्ज करने को लेकर पुलिस मुख्यालय स्तर पर फैसला भी ले लिया गया है.



मामले की जांच कर रही एसआईटी ने लापरवाह पुलिसकर्मियों की रिपोर्ट डीजीपी को सौंप दी है. डीजीपी की अनुशंसा के बाद दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज होगी. यह पहला मौका होगा, जब एफआईआर दर्ज नहीं करने को लेकर मध्य प्रदेश में लापरवाह पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज होने की कार्रवाई की जा रही है.



-पीड़ित की रिपोर्ट नहीं लिखने वालों पर जल्द दर्ज होगी FIR

-एसआईटी ने लापरवाह कर्मचारियों की रिपोर्ट डीजीपी को सौंपी

डीजीपी तय करेंगे कि किन-किन पर एफआईआर दर्ज होगी

-1 टीआई, 2 सब इंस्पेक्टर पर एफआईआर होना तय



क्या है मामला

31 अक्टूबर को हबीबगंज आरपीएफ और जीआरपी थाने से थोड़ी दूरी पर छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना हुई थी. इस मामले में लापरवाही उजागर होने पर रेल एसपी, सीएसपी, तीन टीआई और दो सब इंस्पेक्टर पर कार्रवाई हुई. लेकिन अब उन लापरवाह पुलिस कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज होगी, जिन्होंने समय रहते पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज नहीं की. इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है.



सूत्रों ने बताया कि एसआईटी ने लापरवाह पुलिस कर्मचारियों की रिपोर्ट डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला को सौंपी है. रिपोर्ट में हर एक पुलिसकर्मी की जिम्मेदारी और लापरवाही का जिक्र है. सूत्रों पर यकीन करें, तो रिपोर्ट के आधार पर पीड़ित की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज नहीं करने वाले हबीबगंज जीआरपी थाने मोहित सक्सेना, सब इंस्पेक्टर उइके और एमपी नगर थाने के सब इंस्पेक्टर टेकराम पर एफआईआर दर्ज होना तय मानी जा रही है.



बैठक में लिया गया फैसला

एफआईआर दर्ज करने का फैसला पुलिस मुख्यालय स्तर पर डीजीपी के नेतृत्व में हुई एडीजी रैंक के अधिकारियों की बैठक में लिया गया है. डीजीपी जांच रिपोर्ट पर जल्द ही इस बात की अनुशंसा करेंगे, कि किन-किन पुलिस कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज की जानी है. डीजीपी एफआईआर की कार्रवाई शुरू कराएंगे.



-एफआईआर के नाम पर पुलिस ने पीड़ित और उसके परिजन को परेशान किया था.

-पुलिस ने पीड़ित और उसके परिजन को बार-बार घटना स्थल पर ले जाकर परेशान किया.

-पीड़ित से कई बार पूछताछ की गई.



क्या कहता है कानून?

पुलिस आपराधिक कानून संशोधन कानून 2013 की धारा 166 ए के अनुसार पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अनिवार्य है और यदि वे नहीं करते हैं तो उन्हें दंडित किया जाता है. यह अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है.



166 ए संशोधित दंड विधि में प्रावधान है कि यौन उत्पीडऩ की शिकायत न सुनने अथवा महिला संबंधी अपराध में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मी पर प्रकरण दर्ज किया जाता है. यदि इस मामले में पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं करने वाले लापरवाह पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज नहीं करती है, तो पीड़ित और उसके परिजन कोर्ट के माध्यम से प्रकरण दर्ज करा जा सकते हैं.



इस अधिनियम के तहत जुर्माने के साथ छह महीने कम से कम और अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है.



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