
11 नवंबर 2017। पूरी दुनिया में भारत सबसे युवा आबादी वाला देश बनता जा रहा है। विश्व की चार बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में जगह बना चुका भारत अब किसी का मोहताज नहीं रहा है। आज के दौर के भारतीय युवाओं को अपने आप को सौभाग्यशाली मानना चाहिए क्योंकि वे देश के शानदार समय को जी रहे हैं।
ऐसी ही अनेक बातें आज भोपाल मैनेजमेंट एसोसिएशन (बीएमए) द्वारा ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के सहयोग से आयोजित शेपिंग यंग माइंड्स प्रोग्राम (एसवायएमपी) में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आईं नामचीन हस्तियों ने कहीं। पीपुल्स यूनीवर्सिटी के आडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग 1000 मैनेजमेंट विद्यार्थियों, निजी व सरकारी क्षेत्र के प्रोफेशनल्स, युवा उद्यमियों तथा शिक्षाविदों आदि ने शिरकत की।
दिन भर चले इस कार्यक्रम में जिन हस्तियों के व्याख्यान व प्रश्नोत्तर कार्यक्रम हुए उनमें कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त जस्टिस एन संतोष हेगडे, सीनियर डिप्लोमेट डॉ. दीपक वोहरा, मेजर जनरल राज मेहता (एवीएम, एवीएसएम) तथा प्रख्यात मुम्बई डिब्बावाला के अरविंद तालेकर शामिल थे। एआईएमए की ओर से इसके प्रतिनिधि श्री प्रबीर कुमार एवं अनुभव सहगल भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
बीते 127 वर्षों से कार्यरत मुम्बई डिब्बावाला के अरविंद तालेकर ने कहा कि उनका संस्थान में 5000 से ज्यादा कर्मचारी हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी से ये काम 99.9 प्रतिशत अचूक तरीके से करते आ रहे हैं। सुबह 8.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक काम करने वाले डिब्बावाले कम पढ़े लिखे हैं तथा बिना किसी टेक्नालॉजी काम करने के बावजूद 6 सिग्मा स्तर को प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि टाइम मैनेजमेंट, डिसीप्लिन, टीम वर्क और सेल्फ मोटीवेशन उनकी संस्था की सफलता के मूल मंत्र हैं। उन्होंने कहा कि जब तक आप खुद मोटीवेट न होना चाहें आपको कोई भी मोटीवेट नहीं कर सकता।
कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त एवं वरिष्ठ कानूनविद जस्टिस एन संतोष हेगडे ने कहा कि संतोष और मानवीयता दो ऐसे उपाय है जिन्हें अपनाकर आप जीवन में हर उस उंचाई को पा सकते हैं जिसे आप पाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आज के दौर में ईमानदारी की परिभाषा बदल गई है यही वजह है कि भ्रष्ट लोग भ्रष्टाचार के बावजूद सम्मान पाते हैं। न्याय में विलंब पर भी उन्होंने चिंता व्यक्त की और कहा कि हमें अमेरिकी न्याय व्यवस्था को अपनाना चाहिए जहां सिर्फ दो कोर्ट होती हैं। यौन अपराधों के लिए उन्होंने विशेष कोर्ट बनाने और कड़े दण्ड की बात कही ताकि अपराधियों में कानून का खौफ पैदा किया जा सके। उन्होंने कहा कि देश का पहला घोटाला स्वतंत्रता के कुछ समय बाद देखने में आया था जो कि कुछ लाख रूपयों का था किंतु अब तो 1.76 लाख करोड़ रूपयों तक के घोटाले आम बात बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें जल्द कुछ करना होगा हमें करप्ट लोगों का बहिष्कार करना होगा और ईमानदार लोगों को आगे लाना होगा। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने डीमोनिटाइजेशन और जीएसटी को सही ठहराया और कहा कि आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे।
प्रख्यात राजनयिक, पूर्व टीवी एंकर एवं लेखक डॉ. दीपक वोहरा ने कहा कि अर्थव्यवस्था, युवा ताकत, टेक्नालॉजी, जबर्दस्त जज्बा और हमारी संस्कृति हमारी बड़ी ताकत है तथा अब अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक भारत के प्रति अपना नजरिया बदल चुके हैं। हमारे पास पूरे विश्व में सबसे युवा आबादी है। एशियाई देशों - भारत, चीन, जापान, रूस तथा नार्थ कोरिया - की ताकत के आगे अब यूरोपीय देश हार मानते नजर आ रहे हैं। उन्होंने युवाओं को सफलता का मंत्र बताते हुए कहा कि आस्था और स्वयं पर विश्वास रखकर उन्हें पूरी ताकत लगाकर अपने चुने हुए क्षेत्र में काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उच्च शिक्षा पाने से ही तरक्की नहीं पाई जाती। जर्मनी में आटोमोबाइल कंपनियों में काम करने वाले 80 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। वे किताबों से ज्यादा समस्याओं का प्रेक्टिकल हल ढूढकर काम करते हैं। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि संस्कार हमें घर से मिलते हैं व्हाट्सअप और फेसबुक से न तो संस्कृति पाई जा सकती है और न ये संस्कृति को बिगाड़ सकते हैं।
मेजर जनरल राज मेहता ने अपने उद्बोधन में कहा कि आप अपने आप को रोकते हैं कोई और नहीं। लोग सफलता की बात तो खूब करते हैं लेकिन मेरा मानना है कि असफलता भी आपको स्वीकारनी चाहिए लेकिन हार के रूप में नहीं बल्कि इससे कुछ सीखने के रूप में। फौज के कुछ उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि शिवाजी की फौज के सेनापति कान्हाजी मालासूरे ने एक आदेश पर पुणे के उस किले पर रातों रात फतह की जिसे जीतने के बारे में सोचना भी मुश्किल था। इस मिशन में भले ही उनकी जान चली गई किंतु उन्होंने यह साबित किया कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है। उन्होंने विद्यार्थियों को सफलता के लिए जीवन में अंग्रेजी के तीन सी अपनाने को कहा - करेज, कैरेक्टर और काम्पीटेंस।