गांव तरक्की करेंगे तब हमारी तरक्की होगी : मलैया
14 नवंबर 2017। संस्था वॉच लीग ने सर्वसमावेशी विकास के दृष्टिकोण से 'वॉच लीग 2017 कॉन्क्लेव' का आयोजन किया। कॉन्क्लेव में वित्तमंत्री जयंत मलैया बतौर मुख्य अतिथि तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस और स्वास्थ्य मंत्री रूस्तम सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। चर्चा में पूर्व मुख्य सचिव और मप्र राज्य निर्वाचन आयोग आयुक्त आर परशुराम, रिटायर्ड डीजीपी एसके राउत, रिटायर्ड डीजीपी (बीएसएफ) एनके त्रिपाठी, एसीएस तथा मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष एसआर मोहंती, मप्र सिया के अध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह, गिरजाशंकर, अवनीश जैन, बृजेश राजपूत, शरद द्विवेदी, विजय मनोहर तिवारी, मनोज शर्मा, कृष्णमोहन झा सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। इस कॉन्क्लेव में हुए संवाद में यह बात निकल कर आई कि सरकार को विकास के एक रोडमैप के अनुसार कार्य करना चाहिए। उसे उन क्षेत्रों में भी फोकस करना चाहिए जहां अभी भी कुछ कमियां शेष हैं।
आरंभ में कॉन्क्लेव का मुख्य वक्तव्य देते हुए वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि बीते तेरह वर्षों में मप्र में तरक्की के कई कार्य हुए हैं। हमने अपना कृषि का उत्पादन बढ़ा लिया। हमने सिंचाई का रकबा बढ़ाया है। बिजली का उत्पादन 4 हजार से 18 हजार मेगावॉट किया है। शिक्षा में जितनी सौ सालों में भवन नहीं बनाए उतने हमने 13-14 सालों में बना दी। हर क्षेत्र में तरक्की की हैं। सामाजिक क्षेत्रों में तो प्रदेश शून्य था। अब लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाएं हैं। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले तक वे देखते थे कि गांवों में बच्चों के बाल उलझे रहते थे। फटे कपड़े पहनते थे। पैर धूल में सने होते थे। आज मुझे खुशी है यह स्थिति बदल गई है। आप सुदूर अंचल किसी गांव में अब दूर के गांवों के बच्चों को मध्याह्न भोजन मिल रहा है। साइकिल मिली हुई हैं। हमें वहां के बच्चे तरक्की करेंगे तब हमारी तरक्की होगी। यह वह परिवर्तन है जो मुझे लगता है कि यह होना चाहिए। मुझे यह देख कर खुशी हुई कि हमारे एक नेता ने ऐसा काम कर दिया। मुझे यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कई बातों से सहमत नहीं रहता। लेकिन वे एक ऐसे अकेले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने गांवों में बेटी-बेटियों की दशा बदली है। फिर उनकी उच्च शिक्षा के लिए काम करना शुरु किया। मलैया ने कहा कि मुझे लगता है कि जब तक हम जनसंख्या को नियंत्रित नहीं करेंगे तो सफलता का विकास का स्वाद चखने को नहीं मिलेगा।
कर्ज पर बेबाकी से बोले वित्त मंत्री
मप्र सरकार द्वारा कर्ज लेने के सवाल पर वित्तमंत्री मलैया ने बेबाकी से उत्तर दिए। उन्होंने कहा कि यह सच है कि हम कर्ज ले रहे हैं लेकिन हमारी सरकार जब से आई है तब से राजस्व आधिक्य है। राजकोषीय घाटा भी एफआरपीएम एक्ट के अंदर ही है। यह तीन प्रतिशत होना चाहिए। जिनका वित्तीय प्रबंधन ठीक है उन्हें आधा प्रतिशत की छूट है। इसका भी लाभ हमको मिलता है। हम अपनी कुल जीएसजीपी का 25 प्रतिशत तक कर्ज ले सकते हैं। हम उससे कम ही है। 2003-04 में वह 35 प्रतिशत था। जो आदर्श होना चाहिए उससे दस प्रतिशत अधिक था। तब अपनी कुल राजस्व आय का 20-21 प्रतिशत ब्याज दिया जाता था। आज हम 8 प्रतिशत ही है। कर्ज लेना कोई पाप नहीं है। यह वरदान भी है और अभिशाप भी है। समझदार आदमी के लिए कर्ज वरदान होता है। दोनों भाई मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी भी कर्ज लेते हैं। मुकेश आज एशिया के नंबर एक हैं और अनिल कहां है, सभी जानते हैं। एक के लिए कर्ज वरदान है और दूसरे के लिए अभिशाप। कर्ज कांग्रेस भी लेती थी, कर्ज हम भी लेते हैं। तब कर्ज अभिशाप था, आज वरदान है।
परिवर्तन की शुरुआत गांवों और अपनी परंपराओं से : चिटनीस
संवाद सत्र में हिस्सा लेते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने अपने विभाग के कार्यों का ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि हमें अमेरिका या चीन जैसा विकास नहीं चाहिए। हमें अपनी परंपराओं से जुड़ा विकास चाहिए। यही कारण था कि उन्होंने बच्चियों और माताओं में होने वाले एनीमिया का समाधान हमारी परंपराओं में खोजा। गांवों में स्थानीय आहार से कुपोषण मिटाया जा सकता है। इस वैज्ञानिक तथ्य को आधार बना कर कृषि केवल आहार के लिए नहीं बल्कि कृषि को पोषण के लिए बनाया गया। उन्होंने कहा कि हमें पोषण साक्षारता बढ़ाने की आवश्यकता है। चर्चा का उत्तर देते हुए श्रीमती चिटनीस ने कहा कि सरकार ने कुपोषण, शिशु मृत्यु दर,कम वजन दर जैसे मानदंडों में सुधार के लिए कार्य किया है। इसी का परिणाम है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के बीते दस सालों के आंकड़ों में तुलनात्मक रूप से मप्र कहीं आगे दिखाई देता है।
सरकार स्वास्थ्य सेवाएं उन्नत करने के लिए प्रतिबद्ध : रूस्तम सिंह
मप्र के स्वास्थ्य मंत्री रूस्तम सिंह ने संवाद सत्र में अपने विभाग के कार्यों तथा उनकी सफलताओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2003 में नवजात विशेष देखभाल केन्द्र (एसएनसीयू) जैसे कोई केन्द्र नहीं हुआ करते थे। अब नवजात मृत्यु को रोकने के लिए 54 स्थानों पर एसएनसीयू कार्य कर रहे हैं। मप्र में संस्थागत प्रसव की दर में सुधार आया है। नि:शुल्क दवाईयां तथा नि:शुल्क पैथालॉजी जांच की सुविधाएं प्रदानकी जा रही हैं। सरकार जल्द ही 20 जिलों में सीटी स्केन की सुविधा प्रदान करने जा रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि मप्र में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है लेकिन राज्य सरकार इसकी पूर्ति के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। प्रदेश में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं ताकि 7-8 साल बाद हमें नए डॉक्टर मिल सके। इसके साथ ही वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से भी भर्तियां की जा रही हैं। उन्होंन कहा कि सरकार स्वास्थ्य सेवाएं उन्नत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह इस दिशा में कार्य कर भी रही है। आवश्यकता इन प्रयासों को पहचानने तथा स्वीकार करने की है।
मप्र राज्य निर्वाचन आयोग आयुक्त आर परशुराम ने अपने प्रशासनिक अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें स्थानीय मुद्दों तथा उस स्तर तक की इकाइयों को सशक्त करना होगा तभी हम विकास को सही अर्थों में साकार कर पाएंगे। माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष एसआर मोहंती ने कहा कि विकास के तय रोडमैप पर कार्य करना ही सफलता की गारंटी हो सकता है।
आरंभ में रिटायर्ड डीजीपी (बीएसएफ) एनके त्रिपाठी ने स्वागत भाषण देते हुए कॉन्क्लेव के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। आभार वॉच लीग की कन्वीनर चंदना अरोरा ने व्यक्त किया।
वॉच लीग 2017 कॉन्क्लेव : सर्वसमावेशी विकास पर बल
Place:
Bhopal 👤By: Admin Views: 18544
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