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वैचारिक मतभेद हो सकते है पर जनसरोकारों के साथ मतभेद नहीं : जे नंदकुमार

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Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 2719

'वर्तमान समय में कलम और विचार का द्वंद' विषय पर संगोष्ठी एवं 'अनथक कलमयोद्धा'

विशेषांक का विमोचन



07 दिसम्बर 2017। प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार ने कहा कि पत्रकारों का यह दायित्व है कि वह वैचारिक दृष्टि से उपर उठकर सामाज में शांति बनाए रखने के लिए कार्य करें। आपस में वैचारिक मतभेद हो सकते है पर जनसरोकारों के साथ मतभेद नहीं होना चाहिए। पत्रकार को संस्थान और स्वयं के विचार के प्रति जवाबदेह न होकर जनता के प्रति समर्पित रहना चाहिए। वह विश्व संवाद केंद्र, भोपाल की ओर से आयोजित 'वर्तमान समय में कलम और विचार का द्वंद' विषय पर संगोष्ठी एवं विशेषांक 'अनथक कलमयोद्धा' के विमोचन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थिति थे।



श्री नन्दकुमार ने पंडित नेहरू का नाम लेकर कहा कि आज कांग्रेस जिस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात कर रही है उस पर पहला प्रतिबंध नेहरू ने ही लगाया था। उन्होंने कहा कि नेहरू के संविधान संशोधन का ही परिणाम था कि इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया।



पत्रकारिता में भारतीयता का बोध होना जरूरी है : बलदेव भाई शर्मा

इस अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि आज की पत्रकारिता में भारतीयता का बोध होना जरूरी है। अगर पत्रकारिता में भारतीयता का बोध नहीं होगा तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ खतरे में पड़ जाएगा। हमारी आरंभिक पत्रकारिता ने भाषाई पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्रीयता का अलख जगाने का कार्य किया है। उन्होंने वर्तमान पत्रकारिता के संदर्भ में कहा कि आज खबर होती नहीं है, जबरन बना दी जाती है। आज अधिकांशत: मीडिया संस्थानों में विदेशी पैसे लगे हैं ऐसे समय में वह भारतीय हितों की रक्षा कैसे करेगी। आज जेएनयू में भारतीय विचारों को प्रदूषित करने का जो षडयंत्र चल रहा है उसकी पोल खुल गयी है। आज के दौर में यह जरूरी हो गया है कि पत्रकारिता में जनसरोकारों को शामिल किया जाए।



इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार गिरीश उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में कहा कि पत्रकारों को वाम पंथ और दक्षिण पंथ के वैचारिक द्वंद में न पड़कर वही करना चाहिए जो सामाज के हित में हो। श्री उपाध्याय ने बताया कि उनके दौर में यह द्वंद नहीं था पर आज मीडिया संस्थानों में यह द्वंद्ध देखने को मिल रहा है। हमें अपने आचरण को इतना शुद्ध रखना चाहिए कि वैचारिक टकराहट की बजाए सामंजस्य बना रहे। आज यही जरूरी है कि विचारों को आत्मसात करने की बजाए अभिव्यक्ति के नाम पर खिलवाड़ बंद होना चाहिए।



कार्यक्रम में मंच संचालन कृपाशंकर चौबे एवं आभार प्रदर्शन राधेश्याम जी मालवीय ने किया l इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक सतीश जी पिंपलीकर, सह संघचालक अशोक पांडे, मध्यप्रदेश शासन के लोक निर्माण विभाग के मंत्री रामपाल सिंह, विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष लक्ष्मेन्द्र महेश्वरी, कार्यकारी अध्यक्ष अजय नारंग एवं निदेशक डॉ. राघवेन्द्र शर्मा, लोकेन्द्र पाराशर, डॉ उमेश सिंह, रामभुवन सिंह कुशवाह सहित अन्य गणमान्य नागरिक और पत्रकार उपस्थित रहे।



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