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डॉक्टरों की कमी से जूझता मध्यप्रदेश, 2000 की कमी, 500 को बुलाया 200 भी नही पहुंचे

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Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 1956

11 जनवरी 2018। डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे स्वास्थ्य विभाग को एक बार फिर डॉक्टरों ने झटका दे दिया है। प्रदेश में लगभग दो हजार डॉक्टरों की कमी है लेकिन सरकार बमुश्किल 500 डॉक्टरों को नौकरी के लिए बुला पाई। उनमे से भी 200 डॉक्टरों ने अब तक जॉइनिंग नही दी है। ऐसे में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के क्या हाल होंगे समझा जा सकता है।



मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले का सरकारी अस्पताल। जहां आसपास के सैकड़ों गांव के मरीज इस आस में आते है यहां उनका इलाज होगा। लेकिन इलाज की जगह उन्हें मिलता है जवाब की डॉक्टर नही है।ऐसे में कैसे यहां की जनता कुपोषण समेत तमाम बीमारियों से निपटती होगी समझा जा सकता है। डॉक्टरों की कमी का खामियाजा अकेले मरीज ही नही जिला अस्पताल के सीएमएचओ भी भुगत रहे है।



ऐसे ही हालात पूरे प्रदेश के हैं जहां अस्पताल है तो डॉक्टर नही डॉक्टर है तो व्यवस्था नही। दरअसल स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही खराब प्रबंधन और भ्रस्टाचार के चलते कोई भी डॉक्टर सरकारी नौकरी नही करना चाहता है। यही वजह है कि 2016 में लोक सेवा आयोग द्वारा निकली गई 1800 डॉक्टरों के पद के लिए सिर्फ 1200 ने आवेदन किये। सरकार ने इनमें से 796 डॉक्टरों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया।लेकिन काउंसिलिंग में पहुचे सिर्फ 583 डॉक्टर।डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे स्वास्थाय विभाग ने इन सभी की नियुक्ति के आदेश निकाल दिए।लेकिन जॉइनिंग देने पहुँचे सिर्फ 380 ओर मजे की बात ये है कि इनमें से भी 100 से ज्यादा डॉक्टर जॉइनिंग के बाद से ही गायब है। वहीं सरकार है ऐसे गायब होने वाले डॉक्टरों पर कार्यवाही करने से बच रही है कि कहीं ये भी न भाग जाएं।



..स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में नही जाना चाहते। बड़ी वजह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों की खराब स्थिति, डॉक्टरों के लिए बेहतर आवास परिवहन की सुविद्या न होना और असुरक्षा का माहौल है।





-प्रदेश के 51 जिलों के 250 अस्पतालों में डॉक्टर की कमी।



-प्रथम श्रेणी के विशेषज्ञों के स्वीकृत पद 3266



खाली पद- 2044



-चिकित्सा अधिकारियों के स्वीकृत पद-4860



खाली पद- 1926



- एनेस्थीसिस्ट के 70 फीसदी पद खाली।



- स्त्री रोग विशेषग्यो के 54 फीसदी पद खाली।



- शिशु रोग विशेषज्ञों के 40 फीसदी पद खाली।





यही नही जून 2015 में भी सरकार ने 1896 डॉक्टर के पदों के लिए विज्ञापन निकाला था बड़ी मुश्किल से 596 डॉक्टर मिले लेकिन इनमें से भी 226 डॉक्टरों ने जॉइन करने के कारण नौकरी छोड़ दी।जाहिर है राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस इसकी बड़ी वजह डॉक्टरों का सरकार पर विश्वास न होना है।



चाहे कुपोषण हो या शिशु मृत्य दर या फिर मातृ मृत्यु दर सबमे मध्य प्रदेश के नंबर वन होने की एक बड़ी वजह डॉक्टरों की भारी कमी भी है। ऐसे में सरकार कैसे डॉक्टरों को अपने प्रति विश्वास जगा पाएगी ये बड़ा सवाल है।



- डॉ. नवीन जोशी

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