
12 जनवरी 2018। प्रदेश पुलिस अपराधों में आधार नंबर का उपयोग चाहता है तथा उसने उच्च स्तर पर यह मांग भी कर दी है और अब उच्च स्तरीय बैठकों में इसके बारे में चर्चा जारी है।
उल्लेखनीय है कि अज्ञात एवं लावारिस लाशों की शिनाख्ती में पुलिस को काफी दिक्कतें जाती हैं तथा कई अंधे कत्लों में भी मृतकों की शिनाख्त नहीं हो पाती हैं। इसके अलावा चोरी, लूट आदि के मामलों में भी पुलिस को अपराधियों केअंगुलि-चिन्ह मिलते हैं। अभी आधार नंबर का उपयोग मोबाईल एवं अन्य सरकारी योजनाओं में हो रहा है लेकिन पुलिस तंत्र को विधिक प्रावधान कर इसके उपयोग की अनुमति नहीं दी है। यहां तक कि फरियादी और आरोपियों से भी आधार नंबर लेने का प्रावधान नहीं है।
अभी आधार नंबर बनाने वाली भारत सरकार की यूनिक आईडेन्टिफिकेशन अथारिटी आफ इण्डिया द्वारा आधार नंबर जानने के लिये व्यक्ति का नाम, उसके अंगुलि-चिन्ह और आंखों से एक्सेस करने की सुविधा विभिन्न प्राधिकृत संस्थाओं को तो दी जाती है परन्तु अब तक पुलिस को यह सुविधा नहीं दी गई है।
इनका कहना है :
"हम अपराधों की विवेचना में आधार नंबर की सुविधा तो चाहते हैं तथा इसके लिये उच्च स्तर पर मांग भी की गई है परन्तु अभी तक इसके लिये अनुमति नहीं मिली है। आधार नंबर के उपयोग हेतु विभिन्न विधिक प्रावधानों में संशोधन करना होगा। इसमें मुख्य रोड़ा प्राईवेसी के अधिकार का है।"
- ऋषिकुमार शुक्ल डीजीपी मप्र
- डॉ नवीन जोशी