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विवेल अब समझौता नहीं द्वारा 'नो योर राइट्स' की शुरूआत

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Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 2974

महिलाओं को कानूनों एवं अधिकारों के प्रति जागरुक एवं शिक्षित करने के लिए विवेल के द्वारा सृष्टि बख्षी के सहयोग से वर्कशॉप का आयोजन



भोपाल 18 जनवरी 2018। आईटीसी के पर्सनल केयर ब्रांड विवेल के द्वारा क्राॅसबो माइल्स अभियान के साथ सहभागिता की घोषणा की गई है, यह अभियान सुश्री सृष्टि बख्शी फाउंडर क्राॅसबो माइल्स एवं एम्पाॅवर वूमेन इनिशिएटिव की 'चैम्पियन फार चेन्ज' 2016-2017 की सहभागिता से चलाया जा रहा है। यूएन एम्पाॅवर वूमेन इनिशिएटिव महिलाओं को अपने समुदाय में पक्ष रखने वाला, बदलाव लाने वाला एवं नेतृत्व करने वाला बनाने के लिए प्रेरित कर उनकी पूर्ण आर्थिक क्षमता हासिल करके उनको सशक्त बनाने के लिए समर्पित है।



विवेल अपनी मूल ब्रांड फिलाॅसफी अब समझौता नहीं पर आधारित सृष्टि बख्शी की इस महिला सशक्तिकरण को समर्पित कन्याकुमारी से श्रीनगर तक की पैदलयात्रा में सहभागी बनकर आनंदित है। यह पैदलयात्रा 260 दिन में 3800 किमी. का सफर तय करेगी। इस पैदलयात्रा का उद्देश्य पूरे भारत में महिलाओं की सुरक्षा एवं डिजिटल और आर्थिक साक्षरता के माध्यम से महिलाओं को सषक्त बनाने की जागरुकता पैदा करना है।



विवेल अब समझौता नहीं का यह विष्वास है, कि समाज में और अधिक समानता लाने के लिए कानूनों एवं अधिकारों के बारे में जागरुकता पैदा करना महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा की ओर पहला कदम है। यह सिर्फ महिला शक्ति का सम्मान ही नहीे है, बल्कि समाज में उनके बराबरी के अधिकारों के लिए सक्रिय रुप से संघर्ष करना भी है।



इस पहल में सक्रिय भागीदार के रुप में विवेल द्वारा एक वेबसाइट www.absamjhautanahin.com (अब समझौता नहीं डाॅट काॅम) का शुभारंभ किया गया है। इस वेबसाइट को महिला अधिकारों संबंधी कानूनों को सरल रुप से समझाने के लिए बनाया गया है। इस पैदलयात्रा के माध्यम से सृष्टि एवं उनकी क्रासबो टीम विवेल अब समझौता नहीं ?नो योर राइट्स? कार्यशालायें कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेष, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एवं जम्मू-काश्मीर में आयोजित करेगी। इसी तारतम्य में भोपाल में वर्कशॉप बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित की गई।



इस पहल के बारे में बात करते हुए क्रॅासबो की फाउंडर सृष्टि बख्शी ने कहा कि यह अभियान हमारे देेश में लिंगभेद की खतरनाक स्थिति के खिलाफ एक लड़ाई है जिसमें हमारे देश द्वारा की गई महत्वपूर्ण आर्थिक प्रगति के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं आया है। मेरा यह आधुनिक दांडी मार्च जागरुकता लाने एवं परिवर्तन की दिशा मेें बढ़ाया गया एक व्यक्तिगत कदम है क्योंकि परिवर्तन की शुरुआत खुद से करनी होती है। हम पदयात्रा के पूरे रास्ते में खुली बातचीत के माध्यम से लोगों को इसमें सम्मिलित कर रहे हैं और कुछ महत्वपूर्ण एवं तुरंत ध्यान देने योग्य बिंदुओं को जानने का प्रयास कर रहे हैं। हम पूरे भारत के लोगों से डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से इस परिवर्तन में सहयोग करने की अपील कर रहे हैं, जहाँँ उनके बताए गए तरीकों एवं साझी की गई सूचनाओं से इस अभियान को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।



उन्होंने आगे कहा कि हमारी नजर में यह अभियान एक प्रकार की भावना है जो कि पूरे भारत की महिलाओं को एक सूत्र में बांधती है जिसमें एक साथ मिलकर हमारे द्वारा निर्धारित उस आवश्यक परिवर्तन को लाने एवं देश को एक सुरक्षित, शिक्षित और स्वस्थ बनाने के लिए हम सभी एकजुट हैं।



हमारे वर्कशॉप्स में हम अपना ध्यान महिलाओं पर केंद्रित करते हैं क्योंकि वे अपने घर एवं समाज में अपनी लड़कियों को पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित कर और बालविवाह की रोकथाम करके बदलाव की बयार बहा सकती हैं। लिंगभेद की मानसिकता को एक परिवार के स्तर पर छोटे बदलाव के साथ ही बड़े स्तर पर भी खतम किया जा सकता है। हम इस बात पर भी ध्यान देते हैं कि महिलाऐं एवं लड़कियाँ बड़े सपने देखने कि हिम्मत करें इसी से हम उनमें विचारों की आजादी को जगा सकते हैं ओर देश में स्थायी परिवर्तन का बीज बो सकते हैं।



समीर सत्पथी, चीफ एग्जीक्युटिव, पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स बिजनेस, आईटीसी लिमिटेड ने कहा कि विवेल ?अब समझौता नहीं? सृष्टि बख्शी, यूएन एम्पाॅवर वूमेन इनिशिएटिव 'चेम्पियन फार चेन्ज' 2016-2017 की इस महिला सुरक्षा की जागरुकता को समर्पित इस देशव्यापी यात्रा में सहभागी बनकर बहुत प्रसन्न है। हमारा यह मानना हैं कि महिला कानूनों और अपने अधिकारों को जानकर महिलाऐं स्वयं अपने आप को हिंसा एवं भेदभाव के खिलाफ सशक्त बना़ सकती हैं, एवं खुद को सुरक्षित कर सकती हैं। इसीलिए हमने महिला कानूनों एवं इससे संबंधित अधिकारों की जागरुकता पैदा काने के उद्देश्य से 'नो योर राइट्स' एक शैक्षणिक माड्यूल तैयार किया है। यह माड्यूल सृष्टि की कन्याकुमारी से श्रीनगर तक की यात्रा में आयोजित वर्कशॉप्स में देशभर में प्रस्तुत किया जाएगा।



तेलिश रे, मैनेजिंग पार्टनर्स, टीआरएस लाॅ आॅफिसेज ने कहा कि सामान्यतः महिलाओं को अपने प्रचलित एवं सबसे जटिल मामलों में कानूनी अधिकारों एवं उपलब्ध विकल्पों के बारे में पता नहीं रहता। विवेल द्वारा यह एक सराहनीय पहल है कि उनके द्वारा एक व्यापक आॅनलाइन सूचना भंडार उपलब्ध कराया गया है जो कि आसानी से सब की पंहुँच में है। यह एक महत्वपूर्ण पहल इसलिए भी है कि कैसे भारत में बड़े ब्रांड्स सांस्कृतिक बदलाव में भागीदार बन सकते हैं। मैं सृष्टि एवं टीम की इस महिलाओं को शिक्षित करने एवं जागरुकता फैलाने के लिए की जा रही इस महान यात्रा में सहभागी बनकर बहुत प्रसन्न हूँ।

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