अब बड़े एवं मध्यम बांधों से 20 प्रतिशत पानी छोडऩा होगा

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Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 1834

एनजीटी के आदेश पर मप्र में हुआ क्रियान्वयन

इससे जलीय प्राणियों एवं वनस्पतियों को बचाया जा सकेगा



29 जनवरी 2018। प्रदेश के 22 वृह्द और 47 मध्यम बांधों के जलाशय से अब राज्य सरकार को 15 से 20 प्रतिशत पानी निरन्तर छोड़ा होगा। ऐसा नेशलन ग्रीन ट्रिब्युनल के आदेश पर हुआ है। इससे निचले स्तर के नदी-नलाों में रहने वाले जलीया प्राणियों एवं वनस्पतियों को बचाय जा सकेगा।



ज्ञातव्य है कि हर साल मानसून के बाद उक्त बांधों से डाउनस्ट्रीम जलाशयों के लिये करीब दस प्रतिशत पानी का निरन्तर छोड़ा जाता है। इसे अंग्रेजी में लीन सीजन फ्लो कहा जाता है। यह पानी इकोलाजिकल एवं इन्वायरमेंटल परपज के लिये छोड़ा जाता है। इसके लिये केंद्रीय जल आयोग की गाईडलाईन्स भी हैं।



परन्तु हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल नई दिल्ली ने पुष्प सैनी विरुध्द केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तथा अन्य के मामले में आदेश दिया है कि वृह्द एवं मध्यम बांधों के जलायाशों से डाउनस्ट्राम जलायशयों के लिये मानसून के बाद न्यूनतम 15 प्रतिशत तथा अधिकतम 20 प्रतिशत लीन सीजन फ्लो बनाकर रखा जाये।



एनजीटी के इस आदेश पर मप्र सरकार ने अमल करते हुये 15 से 20 प्रतिशत का फ्लो बनाने के आदेश जारी कर दिये हैं। आदेश में यह भी कहा गया है कि जिन बांधों से बीस प्रतिशत से अधिक पानी छोड़ा जाना है, उसके प्रस्ताव उचित कारण बताते हुये जल संसाधन विभाग की बोधी विंग को भेजे जायें। बोधी विंग इस पर निर्णय लेकर अनुमति देगा।



विभागीय अधिकारी ने बताया कि बड़े एवं मध्यम बांधों के डाउनस्ट्रीम जलाशयों में जलीय प्राणियों एवं वनस्पतियों के अस्तित्व की भी रक्षा करना होती है। इसीलिये एनजीटी के आदेश पर अमल करते हुये दस प्रतिशत के स्थान पर 15 से 20 प्रतिशत जल मानसून के बाद निरन्तर छोड़े जाने का निर्णय लिया गया है। इस पर अमल प्रारंभ कर दिया गया है।

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