मध्यप्रदेश की राजनीति में अब केवल जातिवाद..?

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Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 4167

भाजपा के मंत्रियों बाद कांग्रेस की काउंटर पॉलोटिक्स..



7 फरवरी 2018। भाजपा के मंत्रिमंडल विस्तार में जातिगत समीकरणों के आधार पर बनाये गए मंत्रियों के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस जाति की काउंटर पोलिटीक्स करने जा रही है। मंत्रिमंडल विस्तार में पाटीदार ओर लोधी को शामिल किए जाने के बाद कांग्रेस भी जल्द घोषित होने वाले जिलाध्यक्षो में पाटीदार मीना समाज से जिलाध्यक्ष बनाने जा रही है।



मध्य प्रदेश की राजनीति तू डाल डाल में पात पात की तर्ज पर होती जा रही है। मंदसौर में हुए भाजपा के खिलाफ किसान आंदोलन को खत्म करने सीएम भोपाल में उपवास पे बैठे तो कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इसी मुद्दे पर भोपाल में ही 73 घंटे के उपवास पर बैठ गए।मुख्यमंन्त्री शिवराज ने नर्मदा तट की 100 से ज्यादा सीटों को ध्यान में रखते हुए नर्मदा सेवा यात्रा की तो कांग्रेसी दिग्गज दिग्विजाय सिंह नर्मदा परिक्रमा पर निकल लिए। ताजा मामला प्रदेश की 20 से ज्यादा सीटों पर प्रभावी पाटीदारों को साधने के है,जहां भाजपा सरकार ने अपने दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार में पाटीदार को मंत्री बना इन सीटों पर निशाना लगाया तो कांग्रेस कहाँ चूकने वाली थी,उसने भी शाजापुर खरगोन मंदसौर उज्जैन देवास जैसे पाटीदार बाहुल्य जिलों में से किसी एक पर पाटीदार को जिलाध्यक्ष वनाने कि तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि कांग्रेस का कहना है योग्य व्यक्ति को ही कमान सौंपी जाएगी।



..दरअसल जातीय संतुलन के साथ किये गए मंत्रिमंडल विस्तार ने कांग्रेस को भी जातिय समीकरणों को साधने पर मजबूर कर दिया है। इस मंत्रिमंडल विस्तार में शिवराज सरकार ने लोधियों पाटीदारों समेत कुशवाहा समाज को साधने की कोशिश की है। इन्ही जातियों को साथ लेने की कवायद में अब कांग्रेस भी है इसके लिए वाकायदा कांग्रेस आलाकामन तैयारी भी कर रहा है।ग्वालियर चंबल के जिलों में जहां कांग्रेस पिछड़ा ठाकुर और ब्राह्मणों पर दांव खेलेगी तो विन्ध्य में भी इन्ही जातियों से अपना जिलाध्यक्ष चुनेगी। मालवा निमाड़ समेत महाकौशल में अनुसूचित जाति जन जाति से कई जिलाध्यक्ष सामने आएंगे तो मध्य में ब्राह्मण और अगड़ों पर कोंग्रेस दांव खेलेगी। वही भाजपा का कहना है कि कांग्रेस शुरू से ही वर्ण ओर वर्ग आधारित राजनीति करती आई है।



...कभी विकास के दावों ओर वादों के दम पर सत्ता में आई भाजपा कब जातिगत ओर क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर वोट पाने वाली सरकार बन गई पता नही चला। उसी तर्ज़ पर अब कोंग्रेस भी चलकर सत्ता में वापसी चाहती है। ऐसे में नुकसान होगा तो स्वच्छ राजनीति का विकास का ओर बढ़ते ओर बदलते भारत का।





- डॉ. नवीन जोशी

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