
01 मार्च 2018। मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा कराए जाने वाले कामों में से अधिकांश लेटलतीफी का शिकार होकर समय पर पूरे नहीं हो पाते हैं। असका शिकार प्रदेश के तीन शहरों में बनने वाली डीएनए लैब भी हो गई हैं। हालात यह है कि दो शहरों में तो इस पर अभी काम भी शुरु नहीं हो पाया है, जबकि भोपाल का काम कछुआ गति से चल रहा है जिसकी वजह से उसका काम पूरा होने में अभी कम से कम दो साल का समय लगने की संभावना बताई जा रही है। दरअसल सरकार ने राजधानी सहित इंदौर और ग्वालियर में डीएनए लैब की स्थापना का निर्णय लिया था। इसका काम जिस ठेकेदार को सौंपा गया था, उसे अपात्र पाए जाने पर ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। जिसके बाद अब फिर से टेंडर जारी किए जाने पड़ रहे हैं। डीएनए टेस्ट रिपोर्ट के अभाव में ढेरों आपराधिक प्रकरणों की विवेचना लंबित है। गौरतलब है कि राजधानी में करीब साढ़े पांच करोड़ के शुरुआती बजट से डीएनए लैब की स्थापना का लक्ष्य फिलहाल भूमि आवंटन और नीव खुदाई तक ही पहुंच सका है। ऐसे में इस लक्ष्य को पूरा होने में करीब दो साल लगता तय माना जा रहा है। वहीं इंदौर और ग्वालियर में प्रस्तावित डीएनए लैब के अगले चार पांच सालों तक बनने के आसार नहीं दिख रहे हैं। हालांकि पुलिस मुयालय ने इंदौर और ग्वालियर में खुलने वाली लैब के लिहाज से उपकरणों को खरीद लिया है। एक्सपर्ट को भी ट्रेनिंग देना शुरू कर दी गई है।
राजधानी में फाइबर फारेंसिक लैब भी
राजधानी में प्रस्तावित डीएनए लैब के साथ ही साइबर फारेंसिक लैब भी प्रस्तावित हैं जिससे मध्यप्रदेश के डीएनए जांच के अलावा साइबर अपराधों से संबंधित फारेंसिक जांचें भी होगी। इस लैब के लिए अध्यापक करीब दो करोड़ 30 लाख रुपए का बजट भी दिया गया है, जिससे डीएनए जांच को लेकर अत्याधुनिक उपकरणों की खरीदी की गई है। यह उपकरण भोपाल में डीएनए लैब शुरू होते ही शिट कर दिए जाएंगे। फिलहाल इनका उपयोग सागर स्थित फारेंसिक लैब में हो रहा है।
- डॉ. नवीन जोशी