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महिलाओं से छेड़छाड़ पर सरकार का एक वैज्ञानिक सर्वे...

Place: भोपाल                                                👤By: Admin                                                                Views: 1814

महिला अपराध को रोकने के लिए नूतन प्रयोग



14 मार्च 2018। महिला के साथ होने वाले अपराध में देश में नंबर 1 बनने ओर उन्हें रोकने में नाकाम रहने के बाद प्रदेश सरकार एकं नया तरीका इस्तेमाल करने जा रही है। इस तरीके के तहत प्रशासन ऐसी जगहों को चिन्हित करेगा जहां छेड़छाड़ की घटनाएं ज्यादा होती है, साथ ही वो मोहल्ले-मोहल्ले जाकर महिलाओं से पता करेगी कि उन्हें किन जगह ओर किन लोगों से खतरा है। सरकार इस तरीके को वैज्ञानिक सर्वे का नाम दे रही है।



पहले महिलाओं की सुरक्षा के लिए 1090 नम्बर की सेवा, फिर एमपी ई कोप मोबाइल एप, फिर दो पहिया वाहनों से चलने वाली मैत्री स्क्वाड, संदिग्ध जगहों पर रहने वाली शक्ति स्क्वाड, इससे पहले महिलाओं के लिए निर्भया पेट्रोलिंग। महिलाओं के लिए इन जैसी तमाम तरह की योजनाए बनाने के बावजूद देश का हृदय प्रदेश महिलाओं के लिए असुरक्षित ही बना रहा है। सरकार ने प्रदेश के बलात्कार जैसे मामलों में नंबर 1 बनने के बाद तमाम तरह के जतन किये लेकिन प्रदेश के माथे से बालात्कार छेड़छाड़ का कलंक मिटाने में नाकाम रही।



अब सरकार एक नया शिगूफा लाई है जिसके चलते उसका दावा है को महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में इससे कमी आएगी। सरकार के मुताबिक महिलाओं के प्रति अपराध रोकने के लिए सरकार वैज्ञानिक सर्वे कराएगी। इस सर्वे के तहत वो ऐसी जगहों को चिन्हित करेगी जहां छेड़छाड़ अभद्रता की घटनाएं ज्यादा होती है साथ ही महिला अपराध में लिप्त रहे अपराधियो की प्रोफाइलिंग भी सरकार करेगी। इसके अलावा सरकार मोहल्लों में घर घर जाकर महिलाओं से पता करेगी कि उन्हें किन जगहों पर किन लोगों से खतरा लगता है।



सरकार का ऐसी जगहों का ओर ऐसो लोगो को चिन्हित करना जहां छेड़छाड़ सबसे ज्यादा होती है, साथ ही महिलाओं से उनकी राय लेने अच्छा कदम है। लेकिन सवाल उठता है कि लोकतंत्र में किसी भी प्रसाशन का सबसे पहला काम ही इस तरह के कदम उठाना होता है जिससे महिलाओं के साथ जनता सुरक्षित महसूस कर सके। फिर आखिर सरकार सबसे आखिरी में ये कदम क्यों उठा रही है। जाहिर है सरकार महिला सुरक्षा और उनके हित की योजनाओं की घोषणा ओर हकीकत में उनके जमीन पर दिखने में फर्क समझ रही है।



- डॉ. नवीन जोशी

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