सरकार ने रद्द कर बदली अपनी मुकदमा प्रबंधन नीति
29 मई 2018। राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में जारी मुकदमा नीति रद्द कर नई राज्य मुकदमा प्रबंधन नीति जारी कर दी है। इसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट में अनेक जनहित याचिकाये यानि पीआईएल इसलिये लगती हैं क्योंकि संबंधित प्राधिकारी अपने कत्र्तव्यों का पालन नहीं करते या शिकायतों का समाधान नहीं करते हैं। राज्य स्तर, विभाग स्तर और जिला स्तर पर शिकायत निवारण प्रकोष्ठ स्थापित कर जनहित याचिकाओं की संख्या को कम किया जायेगा।
नई नीति में यह भी कहा गया है कि लोक अनुबंधों को चुनौति देने वाली जनहित याचिकाओं का गंभीरता से सामना किया जाना चाहिये। यदि उनमें अंतरिम आदेश, जैसे कि परियोजनाओं के कार्य को रोके जाने संबंधी प्रार्थना की जाती है तब जनहित याचिका के अंत में अस्वीकृत होने की दशा में याचिकाकर्ता से क्षतिपूर्ति का भुगतान कराये जाने संबंधी प्रार्थना न्यायालय से की जाना चाहिये।
नई नीति में अवमानना प्रकरणों पर कार्यवाही के संबंध में कहा गया है कि अवमानना प्रकरण की सूचना या अवमानना याचिका प्राप्त होने पर विभाग/अधिकारी, पद धारित न करने आदि संबंधी तकनीकी आपत्तियां दर्शित करने के बजाये, प्रकरण के गुण-दोष, अनुपालन की स्थिति तथा क्या आदेश को किसी अपील या पुनरीक्षण में चुनौति दी गई अथवा किसी उच्चतर न्यायालय द्वारा उसे अपास्त कर दिया है और यदि नहीं तो उक्त आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया है, पर टीप तैयार करेगा।
अंतर्विभागीय मुकदमें नहीं होंगे :
नई मुकदमा नीति में साफ तौर पर कहा गया है कि राज्य सरकार के विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों के मध्य परस्पर कोई मुकदमा संस्थित नहीं किया जायेगा जब तक ऐसे मामले का परीक्षण, एक उच्च सशक्त समिति जोकि मुख्य सचिव एवं संबंधित विभागों के सचिवों/सार्वजनिक उपक्रमों के उच्चतर प्राधिकारियों से मिलकर बनेगी, द्वारा कर ऐसा मुकदमा संस्थित करने के बारे में निर्णय न कर लिया जाये।
यह रख है मूल उद्देश्य :
नई नीति का मूल उद्देश्य यह रखा गया है कि न्यायालयों में लंबित मुकदमों को कम किया जायेगा। तंग करने वाले तथा अनावश्यक मुकदमें न हों। जरुरतमंद लोगों को शीघ्र पाने में कठिनाई न हो। लंबित प्रकरणों की समय-सीमा पर छानबीन कर निष्फल तथा तुच्छ प्रकरणों को वापस लिये जाने का प्रयास किया जायेगा।
ये कार्य होंगे :
नई नीति के तहत अब विधि विभाग में अलग से एक अनुभवी विधिक अधिकाी की अध्यक्षता में विधि प्रकोष्ठ की स्थापना की जायेगी। लंबित मुदमों की निगरानी हेतु हर विभाग में और राज्य एवं जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किये जायेंगे। हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर और खण्डपीठ इंदौर एवं ग्वालियर में मुकदमों के उचित तथा कुशल प्रबंधन तथा संचालन हेतु संयुक्त आयुक्त मुकदमा पदस्थ किये जायेंगे। मुकदमा दाखिल होने पर विभाग एवं जिला स्तर पर तत्काल भारसाधक अधिकारी नियुक्त किया जायेगा। महाधिवक्ता कार्यालय सभी लंबित मुकदमों के प्रबंधन हेतु उत्तरदायी होगा तथा वह इसके लिये उच्चतर न्यायिक सेवा से एक सचिव नियुक्त करेगा जबकि अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय नई दिल्ली, ग्वालियर व इंदौर में एक-एक अतिरिक्त सचिव नियुक्त करेगा।
? डॉ. नवीन जोशी
शिकायत निवारण प्रकोष्ठों से रोकी जायेंगी जनहित याचिकायें
Place:
Bhopal 👤By: Admin Views: 2016
Related News
Latest News
- "अबराज उमर": मक्का के दिल में बसा शांति और आध्यात्मिकता का एक मिश्रण
- ‘अज्ञानी, अहंकारी’ अमेरिकियों ने ट्रंप को चुना - हॉलीवुड स्टार
- भारत ने बांग्लादेश में हिंदू साधु की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए
- निवेश के लिए विभिन्न सेक्टर्स में उद्योगपतियों ने दिखाई रूचि : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
- मध्य प्रदेश पुलिस में डिजिटल क्रांति: 25,000 टैबलेट्स से जांच होगी हाईटेक
- मध्यप्रदेश: औद्योगिक निवेश के नए युग की ओर मुख्यमंत्री डॉ. यादव का यूके रोड शो