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पटवारी पद पर तभी स्थाई होंगे जबकि विभागीय परीक्षा देंगे

Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 1493

30 मई 2018। प्रदेश में राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्यरत भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त कार्यालय भरी पैमाने पर पटवारियों की आनलाईन परीक्षा के माध्यम से भर्ती तो कर रहा है परन्तु इस परीक्षा के चयनित होने के बाद व्यक्ति पटवारी पद पर तभी स्थाई हो सकेगा जबकि वह विभागीय पगशिक्षण एवं परीक्षा उत्तीर्ण करेगा। इस संबंध में राज्य सरकार ने नये उपबंध जारी कर दिया हैं।



मप्र भू-अभिलेख नियमावली भाग-1 में पटवारियों की नियुक्ति, योग्तायें तथा दण्ड संबंधी हिदायतें नये सिरे से जारी की हैं। नये उपबंधों के अनुसार, आरक्षण रोस्टर की जानकारी संबंधित जिले के अधीक्षक भू-अभिलेख द्वारा संधारित की जायेगी। कलेक्टर पटवारी की नियुक्तिकत्र्ता होंगे जो किसी भी पटवारी की उसकी गृह तहसील में नियुक्ति नहीं करेंगे। राज्य शासन की स्थानांतरण नीति के अनुसार पटवारियों का एक जिले से दूसरे जिले यह एक तहसील से दूसरे तहसील में स्थानांतरण हो सकेगा परन्तु एक ही तहसील में पटवारी के प्रभार में आवश्क्तानुसार परिवर्तन उपखण्डीय अधिकारी द्वारा की जा सकेगी। तहसीलदार पटवारी के विरुध्द लघु शास्ति अधिरोपिवत कर सकेंगे जबकि दीर्घ शास्ति उपखण्डीय अधिकारी लगा सकेंगे।



नये उपबंधों में कहा गया है कि पटवारी की सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर उसके वारिस को अनुकंपा नियुक्ति दी जायेगी परन्तु परन्तु उस वारिसान को पटवारी पद पर अनुकंपा नियुक्ति के दौरान विभागीय प्रशिक्षण एवं परीक्ष उत्तीर्ण करना जरुरी होगा और अनुत्तीर्ण होने पर उसे पात्रता अनुसार अन्य पद पर नियुक्ति दी जायेगी।



पटवारी पद पर चयनित होने के बाद व्यक्ति को पटवारी प्रशिक्षण शाला में उपस्थित होकर प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा और यदि वह प्रशिक्षण शाला में नियत अवधि में उपस्थित नहीं होता है तो उसका नियुक्ति आदेश निरस्त किया जा सकेगा। दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि समाप्त होने के बाद व्यक्ति को पटवारी पद पर स्थाई किया जायेगा परन्तु इस परिवीक्षा अवधि में उसे विभागीय प्रशिक्षण एवं परीक्षा सफलतापूर्वक पूर्ण करना होगी। परिवीक्षा अवधि में युक्तियुक्त कारणों के आधार पर एक वर्ष की और वृध्दि आयुक्त भू-अभिलेख द्वारा की जा सकेगी।

पटवारी प्रशिक्षण शाला में 75 प्रशित दिनों तक उपस्थिति अनिवार्य होगी तभी उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जायेगी। यदि वाजिब कारणों से 75 प्रतिशत दिनों तक प्रशिक्षण शाला में उपस्थिति नहीं होती है तो कम से कम 65 प्रतिशत उपस्थिति के आधार पर जिला कलेक्टर विभागीय परीक्षा में बैठने की अनुमति दे सकेंगे। विभागीय परीक्षा में बैठने के सिर्फ तीन अवसर दिये जायेंगे तथा इसके बाद भी अनुतीर्ण रहने पर व्यक्ति को पटवारी के पद से हटा दिया जायेगा।



विभागीय अधिकारी ने बताया कि नये उपबंधों में अधिकारों का विकेन्द्रीकरण किया गया है तथा मंत्रालय के स्थान पर निचले स्तर पर पटवारियों के विरुध्द कार्यवाही के अधिकार दिये गये हैं क्योंकि पटवारियों से काम भी निचले लेवल के अधिकारियों को ही लेना है।



? डॉ नवीन जोशी

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