29 जून 2018। आगामी विधानसभा से पहले भाजपा हाईकमान द्वारा मप्र की जमीनी हकीकत टटोलने के लिए जो सर्वे कराया है, उसमें भाजपा की हालत बेहद खराब है। यदि पार्टी माजूदा 165 विधायकों के भरोसे फिर से 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ती है तो 100 से ज्यादा विधायको को हार का सामना करना पड़ सकता है। सर्वे रिपोर्ट में 104 विधायकों पर सीधे तौर पर हार का खतरा बताया है। जिनमें से शिवराज सरकार के आधे मंत्री भी शामिल है। खाास बात यह है कि 70 विधायक तो ऐसे हैं, जिनका टिकट कटना लगभग तय हो चुका है। जबकि 30 विधायकों को खराब परफार्मेंस के बावजूद भी टिकट मिल सकता है, लेकिन उनकी जीत-हार का फैसला विपक्ष के प्रत्याशी चयन पर निर्भर करेगा। मप्र के जमीनी सर्वे के बाद भाजपा हाईकमान प्रत्यक्ष रूप से विधानसभा चुनाव में संगठन की कमान खुद संभालने की तैयारी में है।
चौदहवीं विधानसभा में भाजपा के 165 विधायक है। जबकि कांग्रेस के 57, बहुजन समाज पार्टी के 4 एवं निर्दलीय 3 विधायक है। 229 निर्वाचित विधायकों में से 113 विधायक पहली बार चुनाव विधानसभा पहुंचे हैं। खास बात यह है कि पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचने वाले भाजपा के 64 विधायक हैं। इनमें से करीब 40 से ज्यादा विधायकों पर हार का खतरा है। हाईकमान की सर्वे में नए विधायकों की क्षेत्र में जनता पर पकड़ कमजोर हुई है।
।। सर्वे रिपोर्टों ने बढ़ाई चिंता ।।
भाजपा हाईकमान ने साल के आखिरी में जिन राज्यों में चुनाव होना है। वहां बड़े राज्य खास भाजपा शासित राज्य मप्र, छत्तीसढ़ एवं राजस्थान में खुद सर्वे कराया है। सर्वे एक साल के भीतर दो बार हो चुका है। दोनों ही सर्वे रिपोर्ट में भाजपा की हालत खराब बताई गई है। पहला सर्वे पिछले साल के अंतर में कराया था। दूसरी डाटा हाल ही में एकत्रित किया गया है। जिसमें विधायकों की परफॉर्मेँस को प्रमुखता से देखा गया है। ज्यादा विधायक भाजपा हाईकमान के टेस्ट में अनफिट रहे हैं। बताया गया कि पिछले एक साल के दौरान राज्य में किसान आंदोलन ज्यादा हुए हैं। सरकार ने किसान आंदोलनों को दबाने की पूरी कोशिश की है। यही कारण है कि मप्र की भाजपा सरकार की झोली में रहने वाला किसान अचानक झोली से बाहर निकल गया है। ग्रामीण क्षेत्र में मप्र भाजपा ने भी सर्वे कराया। उसकी रिपोर्ट भी अनुकूल नहीं थी। बताया गया कि इसी रिपोर्ट के बाद ही सरकार ने गरीब, किसान, मजदूरों पर ज्यादा फोकस करना शुरू कर दिया था।
।। गोलीकांड से भाजपा को बड़ा नुकसान ।।
मंदसौर गोलीकांड के बाद से किसान सरकार के खिलाफ आक्रोशित हो रहा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान मालवा-निमाड़ में होने की संभावना है। खासकर मंदसौर, रतलाम, नीमच झाबुआ, उज्जैन, इंदौर, बुरहानपुर में भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है। वर्तमान में उज्जैन और इंदौर संभाग की 66 विधानसभा सीटों पर भाजपा के पास 56 सीट हैं। उज्जैन संभाग की 29 सीटों में से 28 सीट भाजपा के पास है, सिर्फ मंदसौर जिले में एक सीट कांग्रेस के पास है। किसान आंदोलन वाले जिले रतलाम, मंदसौर और नीमच उज्जैन संभाग में ही आते हैं। किसान आंदोलन की वजह से भाजपा को ज्यादा नुकसान इसी क्षेत्र में होने की संभावना है। इंदौर संभाग की 37 सीटों में से 28 सीट भाजपा के पास हैं। जबकि 9 सीट कांग्रेस एवं 1 निर्दलीय के पास है। इंदौर से मंत्री पद नहीं मिलना, एंटी इन्कमबेंसी का खतरा सबसे ज्यादा इंदौर संभाग में भाजपा को होगा। किसान आंदोलन का असर भी इस क्षेत्र में रहेगा।
।। संघ उतरेगा मैदान में ।।
भाजपा हाईकमान की सर्वे रिपोर्ट के बाद संघ अब मालवा-निमाड़ में भाजपा की जमीन बचाने क लिए उतरेगा। हिंदू माह श्रावण मास के बाद संघ के प्रचारक मालवा-निमाड़ के जिलों में फिर से संघ का प्रचार करने के लिए निकलेंगे और भाजपा की जड़ों को गहरा करने का काम करेंगे। इसको लेकर हाईकमान और संघ के बीच हुई मंत्रणा में सहमति भी बन चुकी है। संघ इन क्षेत्रों में कई कार्यक्रम शुरू करेगा। संघ के अनुषांगिक संघटन भारतीय किसान संघ और भारतीय मजदूर संघ भी इसमें उतरेंगे। खास बात यह है कि भाजपा ने भी पूर्णकालिकों को मैदान में उतारने की तैयारी कर ली है।
।। आधे मंत्रियों की खिसक रही जमीन ।।
अगले चुनाव में भाजपा यदि शिवराज सरकार के मौजूदा सभी मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतारती है तो फिर आधे से ज्यादा मंत्रियों पर हार का खतरा रहेगा। हालांकि इनमें से 8 से 10 मंत्री चुनाव नहीं लड़ेंगे। वे अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग सकते हैं। जिन मंत्रियों की चुनाव क्षेत्र में पकड़ ढीली हो रही है, उनमें माया सिंह, जयंत मलैया, हर्ष सिंह, सूर्यप्रकाश मीणा की हालत सबसे ज्यादा खराब है। जबकि जयभान सिंह पवैया, भूपेन्द्र सिंह, ललिता यादव , कुसुम महदेले, शरद जैन, जालम सिंह पटेल, सुरेन्द्र पटवा, गौरीशंकर शेजवार, रामपाल सिंह, बालकृष्ण पाटीदार एवं अंतरसिंह आर्य की परफार्मेंस भी सही नहीं है। इनमें से कुछ मंत्री अपना चुनाव क्षेत्र बदल सकते हें तो कुछ अपने परिचितों को चुनाव लड़ा सकते हैं।
।। नेता पुत्र भी उतरेंगे मैदान में ।।
टिकट चयन में प्रत्याशियों की उम्र एवं सेहत को भी देखा जाएगा। बताया गया कि उम्रदराज नेता अगले चुनाव में अपने बेटा-बेटी, रिश्तेदारों के लिए टिकट की मांग कर सकते हैं। साथ ही पार्टी भी वरिष्ठ नेताओं की जगह उनकी बेटा-बेटी को टिकट दे सकती है। हालांकि वंशवाद के आरोपों से बचने के लिए पार्टी एक ही परिवार के ज्यादा लोगों को टिकट नहीं देगी। संगठन सूत्रों ने बताया कि जो नेता खुद के साथ-साथ अपने बेटा-बेटी या रिश्तेदार के लिए टिकट मांगते हैं, उन्हें पार्टी की ओर से यह ऑफर किया जाएगा कि वे अपने बेटा-बेटी को चुनाव लड़वा दें और खुद संगठन को समय दें। पार्टी अगले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री एवं गोविंदपुरा से विधायक बाबूलाल गौर का टिकट काटेगी, लेकिन इसके एवज में उनकी बहू कृष्णा गौर को टिकट दे सकती है। इसी तरह जयंत मलैया की जगह उनके बेटे सिद्धार्थ मलैया, गोपाल भार्गव अपने बेटे अभिषेक भार्गव के लिए टिकट की मांग कर सकते हैं। अभिषेक ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सागर से सांसद के टिकट की दावेदारी की थी।
इसी तरह बालाघाट से मंत्री बिसेन की बेटी मौसमी बिसेन ने भी सांसद का टिकट मांगा था। तब पार्टी ने वंशवाद के आरोपों से बचने के लिए नेता पुत्रों के अरमानों पर पानी फेर दिया था। कैलाश विजयवर्गीय यदि केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहते है तो फिर अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय को विधानसभा चुनाव लड़वा सकते हैं। इसी तरह अन्य उम्रदराज नेता भी अपने बेटा-बेटियों के लिए टिकट की मांग कर सकते हैं। ऐसे नेताओं के लिए पार्टी अलग लाइन तैयार कर रही है। क्योंकि ये ऐसे नेता हैं जो भाजपा का चुनावी गणित बिगाड़ सकते हैं।
।। इन विधानसभा सीटों पर हार का खतरा, कटेंगे टिकट ।।
श्योपुर दुर्गालाल विजय
सुबलगढ़ ? मेहरबान सिंह रावत
जौरा ? सूबेदार सिंह रजौधा
भिंड ? नरेन्द्र सिंह कुशवाह
मेहगांव ? चौधरी मुकेश सिंह
ग्वालियर (ग्रामीण) ? भारत सिंह कुशवाह
ग्वालियर (पूर्व) ? माया सिंह (मंत्री)
गुना ? पन्नालाल शाक्य
बीना ? महेश राय
सुरखी ? पारूल साहू
सागर ? शैलेन्द्र जैन
बंडा ? हरवंश राठौर
टीकमगढ़ ? केके श्रीवास्तव
पृथ्वीपुर ? अनीता नायक
चंदला ? आर डी प्रजापति
बिजावर ? पुष्पेन्द्र नाथ पाठक
मलहरा ? रेखा यादव
पथरिया ? लखन पटेल
दमोह ? जयंत मलैया (मंत्री)
हटा ? उमा देवी खटीक
गुनौर ? महेन्द्र सिंह
रामपुर बघेलान ? हर्ष सिंह (मंत्री)
सेमरिया ? नीलम मिश्रा
त्योंथर ? रमाकांत तिवारी
सिंगरौली ? रामलल्लू वैश्य
देवसर ? राजेन्द्र मेश्राम
धौहनी कुंवर ? सिंह टेकाम
जयसिंह नगर ? प्रमिला सिंह
जैतपुर ? जयसिंह मरावी
अनूपपुर ? रामलाल रौतेल
मानपुर ? मीना सिंह
बरगी ? प्रतिभा सिंह
सिहोरा ? नंदनी मरावी
बिछिया ? पंडित सिंह धुर्वे
कटंगी ? के डी देशमुख
गोटेगांव ? कैलाश जाटव
नरसिंहपुर ? गोविंद सिंह पटेल
चौरई ? रमेश दुबे
सौंसर ? नानाभाऊ मोहोड़
मुलताई ? के डी देशमुख
घोड़ाडोंगरी ? मंगलसिंह धुर्वे
सिवनी मालवा ? सरताज सिंह
पिपरिया ठाकुर ? दास नागवंशी
उदयपुरा ? रामकिशन पटेल
विदिशा ? कल्याण सिंह ठाकुर
शमशाबाद ? सूर्यप्रकाश मीणा (मंत्री)
बैरसिया ? विष्णु खत्री
सुसनेर ? मुरलीधर पाटीदार
शाजापुर ? अरुण भीमावद
सोनकच्छ ? राजेन्द्र फूलचद्र वर्मा
बागली ? चंपालाल देवड़ा
पंधाना ? योगिता बोरकर
नेपानगर ? मंजू राजेन्द्र दादू
बड़वाह् ? हितेन्द्र सिंह सोलंकी
जोबट ? माधो सिंह डावर
सरदारपुर ? वेलसिंह भूरिया.
मनावर ? रंजना बघेल
धरमपुरी ? कालू सिंह ठाकुर
बदनावर ? भंवर सिंह शेखावत
देपालपुर ? मनोज पटेल
इंदौर 3 ? ऊषा ठाकुर
महिदपुर ? बहादुर सिंह चौहान
तराना ? अनिल फिरोजिया
घट्टिया ? सतीश मालवीय
उज्जैन दक्षिण ? मोहन यादव
बडऩगर ? मुकेश पंडया
सैलाना ? संगीता चारेल
गरोठ ? चंदर सिंह सिसौदिया
मनासा ? कैलाश चावला
।। इन सीटों पर रहेगी कशमकश ।।
सुमावली ? नीटू सत्यपाल सिकरवार,
मुरैना ? रुस्तम सिंह (मंत्री.ग्वालियर जयभान सिंह पवैया (मंत्री)
सेंवढ़ा ? प्रदीप अग्रवाल
भांडेर ? घनश्याम पिरौनिया
पोहरी ? प्रहलाद भारती
चाचौड़ा ? ममता मीणा
खुरई ? भूपेन्द्र सिंह (मंत्री)
नरयावली ? प्रदीप लारिया
निवाड़ी ? अनिल जैन
छतरपुर ? ललिता यादव (मंत्री)
पन्ना ? कुसुम महदेले (मंत्री)
सतना ? शंकरलाल तिवारी
मैहर ? नारायण त्रिपाठी
देवतालाब ? गिरीश गौतम
सीधी ? केदार शुक्ल
मुड़वारा ? संदीप जायसवाल
जबलपुर पूर्व ? अंचल सोनकर
जबलपुर उत्तर ? शरद जैन (मंत्री)
पनागर ? सुशील कुमार
निवास ? रामप्यारे कुलस्ते
वारासिवनी ? डॉ योगेन्द्र निर्मल
नरसिंहपुर ? जालम सिंह पटेल (मंत्री)
छिंदवाड़ा ? चौधरी चंद्रभान सिंह
भोजपुर ? सुरेन्द्र पटवा (मंत्री)
सांची ? गौरीशंकर शेजवार (मंत्री)
सिलवानी ? रामपाल सिंह (मंत्री)
खरगौन ? बालकृष्ण पाटीदार (मंत्री)
सेंधवा ? अंतर सिह आर्य (मंत्री)
पेटलावद ? निर्मला भूरिया
इंदौर 4 ? मालिनी गौड़
मंदसौर ? यशपाल सिंह सिसौदिया
नीमच ? दिलीप सिंह परिहार
जावद ? ओमप्रकाश सखलेचा
ग्राउंट रिपोर्ट ने उड़ाई नींद, भाजपा के 100 से ज्यादा विधायकों पर टिकट का संकट ...
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