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मटका और उप्पाडा सहित 150 तरह का सिल्क शहर में

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Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 2844

छः दिवसीय हस्तशिल्पी सिल्क का प्रदर्शनी शुरु

भोपाल 16 अगस्त 2018। बुनाई कला को जीवित रखने के लिए पिछले कई सालो से काम कर रही संस्था 'हस्तशिल्पी' द्वारा आयोजित छः दिवसीय सिल्क एक्जीबिशन हस्तषिल्पी सिल्क का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्षनी में भाग लेने के लिए देष के कोने कोने से आए बुनकरो ने सिल्क की 150 वैरायटियों का प्रदशर्नी की है।



उपरोक्त जानकारी हस्तशिल्पी के प्रबंध संचालक टी अभिनंद ने दी। उन्होने बताया कि कम्युनिटी हॉल, रविशंकर नगर, बिट्टान मार्केट के पास, भोपाल, में दिनांक 15 से 20 अगस्त तक हस्तशिल्पी सिल्क प्रदर्षनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में भोपाल के साथ ही युपी, राजस्थान, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, चेन्नई आदि राज्यों के बुनकर अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने आए। प्रदर्शनी में कोलकाता से आई शिल्पकार मिट्ठू मित्रा अपने साथ वेजिटेबल रंगों से तैयार हैंड पेंटिंग साड़ियां लाई है उनके पास 60 ग्राम वजन की ढाका सिल्क साड़ी भी है। जामदानी के काम के बाद भी इस साड़ी का वजन इतना कम होना ही बुनाई कला की खास पहचान है। पुणे में सौदामिनी संस्था चलाने वाली अनघा यहां पैठणी साड़ियों का कलेक्शन प्रदर्शित कर रही है। यह साड़ियां महिलाओं की संस्था द्वारा तैयार की जाती है साड़ियों की कीमत डेढ़ लाख रुपए तक है। इसके साथ ही आंध्रा का टाई एंड आई पटोला सिल्क प्रदर्शित किया गया है। साड़ियों में कलमकारी से दुर्गा, बुद्धा, कत्थक कली और ट्रेडिशनल आर्ट को दिखाया गया है। प्रदशर्नी में पष्चिम बंगाल से आए षांतनु ने विष्णुपुरी सिल्क और खादी सिल्क पर जंगल में कुलांच मारते हिरन, आकाश में उडते उन्मुक्त पिंक्षयों को दर्षाया है। वंही बुनकर शुभाशीष अपने साथ आरी स्टीच वर्क की साडियां लाए है। इसे बनाने के लिए पहले सिल्क पर पेंटिंग की जाती है फिर पेंटिंग पर धागे से बुनाई होती है। एक साडी को बनाने में तीन माह तक का समय लग जाता है। आरी स्टिच के वर्क से उन्होने कोलाकाता के ग्रामीण जनजीवन को दर्षाया है। कष्मीर से आए षौकत षिफान और चिनान की साडियों पर ब्लाक प्रिंट कर लाए है। चिनान पुरी दुनिया में केवल कष्मीर मे होता है। उनके पास क्रेप की वर्क वाली साडियों का भी संग्रह है। डेढ साल में बनने वाली इन साडियो की कीमत डेढ लाख रुपए तक है। इस प्रदर्षनी में सिल्क साड़ियों के अनेक बुनकर, हैंडलूम क्लस्टर और सिल्क सहकारी समितियां 100 से अधिक स्टॉलों पर अपने उत्पादों को प्रदर्षित कर रहे है। सिल्क प्रदर्षनी में भारत के विभिन्न प्रांतो के साथ ही पाकिस्तान और बांग्लादेश से आया ढाका सिल्क भी यहा रखा गया है।



प्रदर्शनी में मैसूर सिल्क साड़ियाँ, क्रेप और जार्जेट सिल्क साड़ियाँ, शिफॉन सिल्क साड़ियाँ, टसर सिल्क साड़ियाँ और सूट, कांचीपुरम सिल्क साड़ियाँ और शादी की साड़ियाँ, डिजाइनर फैन्सी साड़ियाँ, धर्मावरम सिल्क साड़ियाँ, रॉ सिल्क और तसर, जूट सिल्क साड़ियाँ, ढाका सिल्क साड़ियाँ, हैंडलूम सिल्क कॉटन साड़ियाँ, सिल्क ब्लेंड साड़ियाँ और दुपट्टे, सिल्क शॉलें, सिल्क ब्लेंड्स कपड़े/फर्निशिंग, उप्पडा, गढ़वाल सिल्क साड़ियाँ, हैंड ब्लॉक प्रिंट साड़ियाँ, सूट और सिल्क बेड कवर, डिजाइनर वेयर और बार्डर लेजेस, कुर्तियां, हाथ से बुने मटका और असम मूंगा कपड़े, अपूर्व सिल्क साड़ियाँ, बालूचरी साड़ियाँ, कढ़ाईदार डिजाइनर सिल्क साड़ियाँ और ड्रेस मैटेरियल, भागलपुरी सूट, प्रिंटेड सिल्क साड़ियाँ, रेशमी प्लेन और बूटी साड़ियाँ, कर्नाटक सिल्क साड़ियाँ, महेश्वरी, चंदेरी सिल्क साड़ियाँ और सूट और कोटा सिल्क, मलबरी सिल्क टेम्पल बार्डर के साथ, बनारस जामदानी, हाथ से बुनी साड़ियाँ प्रदर्शित की जा रही है।



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