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धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूर्व वित्त मंत्री राघवजी की जागी उम्मीद

Place: Bhopal                                                👤By: PDD                                                                Views: 2352

8 सितंबर 2018। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राघवजी ने ज़रूर मीडिया से बात करते हुए कहा है इस फैसले से उनकी उम्मीद जागी है. वो अब भी इसे राजनीतिक षड़यंत्र बता रहे हैं.



सुप्रीम कोर्ट के धारा 377 पर आए फैसले ने समाज के एक तबके को खुशी और सम्मान के साथ जीने का हक़ दिया. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उम्मीद तो मध्य प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी की भी जाग गयी है. अपने घरेलू नौकर के साथ अननैचरल सेक्स के केस में फंसे राघवजी को अपना मंत्री पद गंवाना पड़ा था. बाद में पार्टी से भी निकाल दिए गए थे.



राघवजी और उनके दो नौकरों के खिलाफ धारा 377 और 506 के तहत भोपाल ज़िला अदालत में ट्रायल चल रहा है. अभी गवाही का दौर है. फिलहाल प्रॉसीक्यूशन की तरफ से गवाही चल रही है. अभी प्रॉसीक्यूशन की तरफ से गवाही हो रही है. राघवजी के केस की पैरवी कर रहे वकील हरीश मेहता का कहना है सुप्रीम कोर्ट के धारा 377 पर दिए गए फैसले का अध्ययन किया जा रहा है. एक अन्य सीनियर एडवोकेट अजय गुप्ता का मानना है राघवजी का केस, अपने घरेलू नौकर के साथ सहमति से सेक्स का नहीं है.



सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राघवजी ने ज़रूर मीडिया से बात करते हुए कहा है इस फैसले से उनकी उम्मीद जागी है. वो अब भी इसे राजनीतिक षड़यंत्र बता रहे हैं.



राघवी का केस जुलाई 2013 का है. राघवजी ने चार इमली स्थित अपने सरकारी बंगले में रहने वाले घरेलू नौकर के साथ अन नैचरल सेक्स किया था. घरेलू नौकर विदिशा के कुरवाई का रहने वाला था. आरोप लगा कि राघवजी ने उसे सरकारी नौकरी दिलाने का लालच दिया था. बाद में डरा धमका कर उसके साथ ग़लत काम किया.



इस काम में राघवजी के दो नौकरों शेर सिंह और सुरेश सिंह ने भी उनका साथ दिया था. इस मामले में सीडी सामने आने के बाद ख़ुलासा हुआ. पीड़ित नौकर ने 5 जुलाई को हबीबगंज थाने में यौन शोषण का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. हबीबगंज थाना पुलिस ने राघवजी के साथ शेर सिंह और सुरेश सिंह पर आईपीसी की धारा 377 और 506 के तहत केस दर्ज किया था.



इस घटना की सीडी सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राघवजी का इस्तीफ़ा मांग लिया था. इस्तीफ़े के बाद राघवजी फरार हो गए थे. पुलिस को वो नहीं मिल रहे थे. कुछ दिनों बाद उनकी शर्तों के अनुसार बड़े ही नाटकीय तरीके से भोपाल के एक पॉश इलाके कोहेफिज़ा से उनकी गिरफ़्तारी हुई थी.



उसके बाद 27 नवंबर 2015 को भोपाल की हबीबगंज थाना पुलिस ने सीजेएम पंकज महेश्वरी की अदालत में राघवजी और उनके दो नौकरों शेर सिंह चौहान और सुरेश सिंह चौहान के ख़िलाफ तीसरे नौकर के साथ अन नैचरल सेक्स के मामले में चालान पेश किया था.



प्रदेश के विदिशा ज़िले के रहने वाले राघवजी भाई जनसंघ से लेकर भाजपा तक प्रदेश के कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते थे. उन्होंने. आरएसएस और बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं के साथ काम किया था.बीजेपी में उनका खूब रसूख़ रहा.पेशे से आयकर वकील राघवजी की विदिशा में अच्छी पैठ थी.



38 दिन तक भोपाल सेंट्रल जेल में रहने के बाद राघवजी को ज़मानत पर रिहा किया गया.उन्हें जबलपुर हाईकोर्ट ने एक लाख के निजी मुचलके पर ज़मानत दी. अगर राघवजी धारा 377 के तहत दोषी करार दिए जाते हैं, तो उन्हें 10 साल से लेकर उम्रक़ैद तक की सज़ा हो सकती है.



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