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मध्यप्रदेश में 40 वर्ष की उम्र के बाद हृदय संबंधित रोगों से एक तिहाई लोगों की हो जाती है मौत

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Place: Bhopal                                                👤By: PDD                                                                Views: 2286

भारतीय मरीजों को डायबिटीज के साथ कार्डियोवैस्कुलर रोगों का स्वाभाविक रूप से बड़ा खतरा है। ये पुरानी और लंबे समय तक चलने वाली बीमारियां भारतीय आबादी में एक दशक पहले ही उभर जाती हैं

दिल और रक्त की धमनियों से संबंधित रोग के लिए डायबिटीज सबसे बड़ा खतरा है। ये दोनों बीमारियां भारत में एक तरह से महामारी के स्तर तक पहुंच गई हंै

भारत में कार्डियोलॉजी ओपीडी में सबसे आम रोग डायबिटीज है

मध्य प्रदेश में कार्डियोवैस्कुलर रोग 40 साल से अधिक उम्र के वयस्क लोगों में मौत का प्रमुख कारण है, जो राज्य में होने वाली सभी मौतों का एक तिहाई है

मध्य प्रदेश में इश्चेमिक हार्ट डिजीज बुरे स्वास्थ्य, विकलांगता अथवा जल्द मृत्यु की वजह जीवन-वर्षोंं में कमी होने का प्रमुख कारण है (1990 से 2016 के बीच ये रैंक 6 पायदान ऊपर उछली है।)



18 सितंबर, 2018। भारत में अभी भी दिल से संबंधी रोग मौत का प्रमुख कारण हैं और 2016 में इससे 17 लाख भारतीयों की मृत्यु हुई। यह बात 2016 ग्लोबल बर्डन आॅफ डिजीज रिपोर्ट में सामने आई है। 29 सितंबर 2018 को आयोजित होने वाले वल्र्ड हार्ट डे के मद्देनजर प्रमुख एंडोक्राइनोलाॅजिस्ट डॉ. सचिन चित्तवार, एमडी-जनरल मेडिसिन, डीएम-एंडोक्राइनोलाॅजी एवं कार्डियोलाॅजिस्ट डॉ. पंकज मनोरिया, एमडी, डीएम-कार्डियोलॉजी ने शहर में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (सीवीडी) के ट्रेंड में हो रही खतरनाक वृद्धि के मुद्दे को संबोधित किया। डॉक्टर सीवीडी के बढ़ते मामलों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने और इस बीमारी के बारे में फैली भ्रांतियों और गलत धारणाओं व डर को दूर करने के उद्देश्य से एकजुट हुए। इस साल के वल्र्ड हार्ट डे 2018 की थीम "माई हार्ट, फॉर योर हार्ट" के विचार को आगे बढ़ाने और दिल के बढ़ते मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से यह पहल की गई थी।



'कार्डियोवैस्कुलर डिजीज' (सीवीडी) शब्द का प्रयोग दिल से संबंधित किसी रोग के लिए होता है। सबसे सामान्य तौर पर पाई जाने वाली कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों में कोरोनेरी हार्ट डिजीज (जैसे दिल का दौरा) और सेरिब्रोवैस्कुलर डिजीज (जैसे स्ट्रोक) शामिल है। शहर में दिल के बीमारियों में तेजी से बढ़ोतरी होने का कारण लोगों की लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे धूम्रपान, शराब पीना, अस्वास्थ्यकर आहार लेना और बेहद कम शारीरिक गतिविधि करना शामिल है। 'ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की स्टडी के अनुसार दिल का दौरा झेलने वाले 35 फीसदी मरीजों की उम्र 50 साल से कम थी और 10 फीसदी मरीजों की उम्र 30 साल से कम थी।

सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पंकज मनोरिया ने भोपाल में दिल की बीमारियों में हो रही वृद्धि और उसके लक्षणों के बारे में कहा, "भोपाल में इधर कई सालों में कर्डियोवैस्कुलर रोगों के मामले बढ़े है। दरअसल मध्यप्रदेश में खराब सेहत, विकलांगता और युवावस्था में मौत होने का प्रमुख कारण दिल को खून की सप्लाई कम होने से होने वाले दिल के रोग ही बनते हैं। (1990 से 2016 तक ये रैंक 6 पायदान ऊपर उछली है) सुस्त और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण युवा आबादी में दिल की समस्याएं और बीमारियां काफी तेजी और खतरनाक ढंग से बढ़ रही हैं। मैं 30 साल से कम उम्र के ऐसे लोगों से मिला हूं, जिन्हें दिल की बीमारी है।"



उन्होंने कहा, "इन बीमारियों के लक्षण विभिन्न व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकते हैं। डायबिटीज के कारण किसी मरीज में ये लक्षण नजर नहीं आते और किसी में असामान्य लक्षण उभरते हैं। ठीक ढंग से सांस न ले पाने के मामलों में परेशानी का बढ़ना, चक्कर आना, पसीना आना या सीने में परेशानी महसूस होना दिल की बीमारियों के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने शरीर में इन लक्षणों को महसूस कर रहा है तो उसे समय से बीमारी की पहचान और जांच कराने के लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए, ताकि उसका उचित इलाज शुरू किया जा सके।'



दिल के बीमारियों के कारणों पर जोर देते हुए सीनियर एंड्रोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. सचिन चित्तवार ने बताया, "हाई ब्लड ग्लूकोज (ब्लड शुगर) डायबिटीज का संकेत हो सकती है। डायबिटीज से पीड़ित दो तिहाई मरीजों की मौत की वजह कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (सीवीडी) ही बनती है। अगर इसकी पहचान नहीं हो पाती और इसका इलाज नहीं किया जाता तो किसी मरीज को दिल की बीमारी होने का और हार्ट अटैक आने का खतरा रहता है। दरअसल डायबिटीज और सीवीडी एक ही मिट्टी की उपज है, जिसकी पूर्व स्थितियां भी एक जैसी होती हैं।"



अधिकतर सीवीडी को होने से रोका जा सकता है। इसके लिए केवल जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की जरूरत पड़ेगी। शराब और तंबाकू की खपत कम करना, खाने में नमक की मात्रा कम करना, ताजे फल और सब्जियों का प्रयोग बढ़ाना, मोटापे को कम करना जैसे कुछ महत्वपूर्ण कदम है, जिससे दिल के रोगों को रोकने में मदद मिल सकती है। नियमित व्यायाम, शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहने, सुस्त और निष्क्रिय जीवनशैली में बदलाव और तनाव को दूर रखने से भी दिल की बीमारियों से दूर रहने में मदद मिल सकती है।



इधर कई सालों में किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक सीवीडी होने के कारणों का संबंध आनुवांशिकी और डायबिटीज से भी जोड़ा जाता है। 'दिल के रोग के विकास में यह दोनों कारक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। डब्ल्यूएचओ की और से जारी किए गए अध्ययन के अनुसार हाई ब्लड ग्लूकोज (ब्लड शुगर) डायबिटीज का लक्षण हो सकता है। डायबिटीज से पीड़ित मरीजों में 60 फीसदी मौत के सभी मामलों का कारण सीवीडी ही बनता है। अगर इसकी पहचान न हो और इसका इलाज न शुरू किया जाए तो इससे दिल की बीमारी होने और दिल के दौरे पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज से पीड़ित वयस्कों में मौत का सबसे आम कारण दिल का दौरा और दिल से जुड़ी बीमारियां शामिल है।



यह एक तथ्य है कि भोपाल में दिल के रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है और हमें इस संबंध में जानकारी का प्रसार करने या लोगों को शिक्षित करने, इसकी रोकथाम, प्रबंधन और मरीजों के इलाज के संबंध में काफी कुछ करने की जरूरत है। इससे समस्या को जल्द से जल्द हल करना और उचित व प्रभावी तरीके से रोग के इलाज के बारे में जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी हो गया है।

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