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अब पीड़ितों के भी एससीएसटी सर्टिफिकेट बनेंगे

Place: Bhopal                                                👤By: PDD                                                                Views: 1288

डीजीपी द्वारा ध्यान दिलाने पर जारी हुये निर्देश

19 सितंबर 2018। प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के ऐसे पीडि़तों जिन्होंने पुलिस थानों में एससीएसटी अत्याचार निवारण कानून 1989 के तहत प्रकरण दर्ज कराया है और उनके पास जाति प्रमाण-पत्र नहीं है, तो उनके अजाजजा जाति प्रमाण-पत्र अब उच्च प्राथमिकता के साथ बनाये जायेंगे।



राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने समस्त संभागायुक्तों, जिला कलेक्टरों और अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को भेजे अपने ताजा निर्देशों में कहा है कि पुलिस महानिदेशक द्वारा यह तथ्य ध्यान में लाया गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के अंतर्गत पंजीबध्द अपराधों में साठ दिवस में अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करना अनिवार्य है किन्तु पीडि़त अथवा फरियादी के पास जाति प्रमाण-पत्र के अभाव में निर्धारित समयावधि में अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत नहीं हो पाता है और न ही पीडि़त पक्ष को समय पर राहत राशि उपलब्ध हो पाती है।



निर्देशों में आगे कहा गया है कि एससीएसटी जाति प्रमाण-पत्र जारी करने संबंधी सेवा को लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है। यद्यपि लोक सेवा गारंटी के तहत 30 कार्यदिवस में जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की समय सीमा निर्धारित है परन्तु अत्याचार पीडि़तों के मामलों में उच्च प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही कर जाति प्रमाण-पत्र जारी किये जायें। यदि पीडि़त व्यक्ति के दादा/ पिता/ चाचा/ भाई/ बहन के पास जाति प्रमाण-पत्र हो तो लोक सेवा के तहत 15 दिवस में जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जाये। इसी प्रकार यदि पीडि़त व्यक्ति के पास वर्ष 1950 में मप्र में निवास संबंधी अभिलेख नहीं हैं तो उसे ऐसा रिकार्ड देने के लिये बाध्य नहीं किया जाये बल्कि राजस्व अधिकारी मौके पर जाकर निवास की जांच करें एवं आवेदक/ संबंधित सरपंच/ पार्षद/ उस ग्राम, मोहल्ले के सभ्रांत व्यक्तियों से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज करें और स्वयं की संतुष्टि के बाद स्थाई जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की अनुशंसा करें।



स्वप्रमाणीकरण व्यवस्था के हर कार्यालय में लगेंगे नोटिस बोर्ड :

इधर राज्य शासन ने सभी विभागों, कमिश्नर एवं कलेक्टरों से कहा है कि आवेदन-पत्र के साथ प्रस्तुत किये जाने वाले दस्तावेजों जैसे अंक सूची, जन्म प्रमाण-पत्र, मूल निवासी प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र आदि के सत्यापन हेतु राजपत्रित अधिकारियों के पास आने जाने अथवा उक्त प्रयोजन हेतु हलफनामा बनवाने पर होने वाले धन के अपव्यय को रोकने हेतु स्वप्रमाणीकरण की व्यवस्था लागू है। इसी प्रकार, विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के अंतर्गत सामाजिक सुरक्षा पेंशन, बीपीएल राशन कार्ड, रोजगार कार्यालय में पंजीयन, छात्रवृत्ति, विद्युत कनेक्शन, निर्माण श्रमिकों का पंजीयन के लिये आवेदकों को अवश्यक दस्तावेजों के साथ-साथ शपथ-पत्र भी तैयार कर संलग्र करना होता है और राज्य सरकार ने स्टाम्पयुक्त शपथ-पत्र बनवाने की अनिवार्यता से मुक्त करने का प्रावधान किया हुआ है और सिर्फ सादे कागज पर स्वप्रमाणित घोषणा पत्र देने का प्रावधान किया है। लेकिन शासन के ध्यान में आया है कि कुछ सरकारी कार्यालयों में इसका पालन नहीं हो रहा है। इसलिये अब हर सरकारी कार्यालय में सुलभ स्थान पर नोटिस बोर्ड लगाकर बताया जाये कि स्वप्रमाणीकरण और स्वप्रमाणित घोषणा पत्र की व्यवस्था लागू है।



विभागीय अधिकारी ने बताया कि एट्रोसिटी एक्ट के कई पीडि़तों के पास जाति प्रमाण-पत्र न होने की बात शासन के सामने आई है। इससे उत्पन्न समस्या के समाधान हेतु राजस्व अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर जाति प्रमाण-पत्र बनाने के निर्देश दिये गये हैं।



- डॉ. नवीन जोशी

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