
24 सितंबर 2018। प्रदेश के जजों एवं उनके परिवार को अब सेवानिवृत्ति के लाभ अब 1 जनवरी 2006 से मिलेंगे। पहले उन्हें ये लाभ 1 जुलाई 2006 से दिये जाने का प्रावधान था। इसके लिये राज्य सरकार ने विधि विभाग के अंतर्गत प्रशासित मप्र न्यायिक सेवा वेतन, पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों का पुनरीक्षण नियम 2010 में संशोधन कर दिया है।
नये संशोधनों के अनुसार, अब 1 जनवरी 1996 के पश्चात तथा 1 जनवरी 2006 के पूर्व सेवानिवृत्त या मृत्यु होने के कारण सेवा में नहीं रह रहे जजों को कर्नाटक माडल के अनुरुप पेंशन का लाभ मिलेगा। उनकी पेंशन को 1 जनवरी 2006 से 3.07 गुना बढ़ाकर पुनरीक्षित की जायेगी जो सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन मिल रहे वेतन के पचास प्रतिशत से कम नहीं होगी। अब उस समय के रिटायर्ड जजों को एरियर भी मिलेगा।
इसी प्रकार, पारिवारिक पेंशन भी 1 जनवरी 2006 से 3.07 गुना बढ़ाकर पुनररक्षित की जायेगी जोकि संबंधित न्यायिक अधिकारी के सेवानिवृत्ति के समय अंतिम आहरित वेतन से 30 प्रतिशत से कम नहीं होगी।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि देश में सबसे पहले कर्नाटक में जजों को पेंशन उनके वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर की गई थी इसलिये सुप्रीम कोर्ट ने इसे कर्नाटक माडल नाम दिया है। अभी जो नये संशोधन हुये हैं वे छठवें वेतनमान के तहत पेंशन देने के हैं। सातवें वेतनमान के अनुसार पेंशन देने का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।