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संविदाकर्मियों को सचिवालय में भी मिला 20 प्रतिशत का आरक्षण

Place: Bhopal                                                👤By: PDD                                                                Views: 1447

29 सितंबर 2018। राज्य सरकार ने वल्लभ भवन स्थित राज्य सचिवालय के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के सीधी भर्ती वाले पदों पर भी संविदाकर्मियों को 20 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान जारी कर दिया। इसके लिये 42 साल पहले बने मप्र सचिवालय सेवा भर्ती नियम 1976 तथा 31 साल पहले बने मप्र सचिवालय चतुर्थ श्रेणी सेवा भर्ती नियम 1987 में नया संशोधन किया गया है।



दोनों नियमों में किये संशोधनों में कहा गया है कि सीधी भर्ती के लिये उपलब्ध रिक्त स्थानों में 20 प्रतिशत पद शासकीय विभागों/निकायों में संविदा पर कार्यरत ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों के लिये आरक्षित होंगे जिनके द्वारा संविदा पर न्यूनतम पांच वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली गई हो, परन्तु उपरोक्त आरक्षण सुविधा का एक बार लाभ लेकर नियुक्त होने के उपरान्त पुन: लाभ की पात्रता नहीं होगी। संविदा पर कार्यरत ऐसे अभ्यर्थी द्वारा जितनी अवधि की सेवा की गई हो, अधिकतम आयु सीमा में उतनी अवधि की छूट प्राप्त होगी, परन्तु इस छूट सहित अधिकतम आयु सीमा, पद भर्ती के लिये जारी विज्ञप्ति में निर्धारित दिनांक को 55 वर्ष से अधिक नहीं होगी।



5 जून को यह किया था प्रावधान :

राज्य सरकार ने इससे पहले 5 जून 2018 को प्रावधान किया था कि राज्य शासन के विभिन्न विभागों एवं राज्य रोजगार गारंटी परिषद, राज्य/जिला स्वास्थ्य समिति एवं मप्र सर्वशिक्षा अभियान मिशन में संविदा पर नियुक्त अधिकारियों/कर्मचारियों को नियमित पदों पर नियुक्त प्रदान करने का अवसर प्रदान किया जायेगा। इसके लिये विभिन्न विभागों के अनुमोदित प्रशासनिक सेटअप में संविदा पर नियुक्ति के लिये जो पद चिन्हित हैं, उन्हें चरणबध्द तरीके से नियमित पदों में परिवर्तित किया जाये। प्रत्येक विभाग के भर्ती किये जाने वाले पदों में 20 प्रतिशत पद संविदा पर नियुक्त अधिकारियों/कर्मचारियों के लिये आरक्षित रहेंगे।



अब राज्य सरकार ने सचिवालय सेवा भर्ती नियमों में भी संविदाकर्मियों की नियमित नियुक्ति का प्रावधान कर दिया है।

विभागीय अधिकारी ने बताया कि संविदाकर्मियों को पहले विभागीय पदों में 20 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया था और अब सचिवालयीन सेवा में भी 20 प्रतिशत का आरक्षण दे दिया गया है।





- डॉ. नवीन जोशी

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