मध्यप्रदेश में चुनाव परिणाम के पहले उलझने
7 दिसंबर 2018। इस बार विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश में वो सब करा देंगे, जिसकी उम्मीद नहीं थी। ११ दिसम्बर के पहले आ रहे बयान, चेतावनी, धमकी, फरेब और न जाने क्या क्या उजागर हो रहा है। सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात तो यह है कि चुनाव पश्चात और नतीजों के पूर्व आ रहे बड़े नेताओं के बयानों का खंडन हो रहा है, फिर भी ये बयानवीर थम नहीं रहे है। ई वी एम को लेकर विवाद उच्च न्यायालय तक पहुंच गया है। चुनाव में लापरवाही बरतनेवाले कर्मचारी दंडित हो रहे है। नेता मतगणना के दौरान अपने कार्यकर्ताओं को अड़ने की सलाह दे रहे है। मालूम नहीं इस बार के चुनाव किस नतीजे पर पहुंचेंगे और प्रदेश की क्या दशा होगी ?
प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बी एल कान्ताराव ने इस बात को पूरी तरह गलत बताया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री को २७ नवम्बर को विदिशा जाने से रोक दिया था। कान्ताराव ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई आवेदन उन्हें मिला ही नहीं। इसके विपरीत मुख्यमंत्री ने ५ दिसम्बर को कहा था कि उन्हें रोका गया था। सच क्या है ? साफ़ होना चाहिए।
५ जिलों में ईवीएम मशीनों से जुड़ी गड़बड़ियों के मामले में उच्च न्यायालय ने पहली ही पेशी में सुनवाई पूरी कर दी। चीफ जस्टिस एसके सेठ और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा है। मप्र कांग्रेस कमेटी के एक महासचिव ने हाईकोर्ट याचिका दायर कर कहा है कि मतदान के बाद ईवीएम मशीनों के प्रबंधन में व्यापक स्तर पर गड़बड़ियां हुई हैं। निर्वाचन आयोग सतना, भोपाल, सागर, शाजापुर और खंडवा में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव करवाने में विफल रहा है।याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की कि हाईकोर्ट अपनी निगरानी में एसआईटी गठित करे और जांच कर दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दें । इस हद तक आशंका क्यों है ?
इसके साथ ही मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने दावा किया है कि कांग्रेस इस बार चुनाव में १४० सीट जीतने जा रही है. अगले ५ दिन में मध्य प्रदेश नया इतिहास लिखेगा. उन्होंने कहा मुझे एक्जिट पोल करने वालों ने फोन किया है कि आप जीत रहे हैं।एक्जिट पोल से जुड़े लोगों ने इसका भी खंडन कर दिया है। ऐसी निराधार बातों का क्या कोई अर्थ है ?
कांग्रेस प्रत्याशियों की भोपाल में बैठक के बाद कमलनाथ ने फिर दावा किया कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस १४० सीटें जीतेगी। उन्होंने कहा पार्टी ने गुजरात और कर्नाटक चुनाव में कुछ ग़लतियां की थीं। उन ग़लतियों से सबक लेकर हमने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में नई रणनीति बनाई और उस पर अमल किया।
उनका मुख्यमंत्री कौन? के संबंध में कांग्रेस अभी तक स्पष्ट नहीं है। इस बारे में जब मीडिया ने कमलनाथ से सवाल किया तो वे बोले सीएम पद की जब मुझे चिंता नहीं है तो आपको क्यों चिंता है? उन्होंने चुटकी ली कि बस अब शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री पद के अगले ३-४ दिन बचे हैं इसलिए वे जो बोलना चाहें बोलें। कमलनाथ ने कहा कि व्यवस्था में बदलाव की ज़रूरत है। कलेक्टर क्यों कहा जाता है, ये तो अंग्रेजों का दिया शब्द है, कलेक्शन करते थे तो कलेक्टर कहने लगे, ऐसी चीज़ों को बदलने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा मैं कलेक्टरों से पूछूंगा कि उनका क्या नाम रखा जाए?
दोनों प्रमुख दलों एक और घनघोर आश्वस्ति तो दूसरी और परिणाम की अनिश्चितता से ग्रस्त और त्रस्त हैं, अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव परिणाम के दौरान अड़ने की सलाह भी दे रहे हैं। मतदाता ने इस बार बता दिया है कि चुनाव ऐसा होता हैं।
अब की बार कठिन सरकार
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Bhopal 👤By: Admin Views: 1405
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