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सीआईआईवायआई के मेंबर्स के लिए पूरे माह लगेंगे ग्लूकोमा अवेयरनेस सेमीनार

Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 1735

10 जनवरी 2019। ग्लूकोमा यानी काला मोतियाबिंद ऐसी बीमारी है, जिसे नजरअंदाज करने पर आंखों की रोशनी जा सकती है। वर्ल्ड हेल्थ आॅर्गेनाइजेशन के अनुसार हर साल इसके मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। भारत मे भी ग्लूकोमा के कारण आंखों की रोशनी खोने वालों की संख्या चिंताजनक है। यही वजह है कि इसके प्रति अवेयरनेस बढ़ाने के उद्देश्य से जनवरी माह को ग्लूकोमा अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सीआईआईवायआई ने अपने मेंबर्स के लिए इस पूरे मंथ ग्लूकोमा अवेयरनेस प्रोग्राम प्लान किया है। इसकी जानकारी गुरुवार 10 जनवरी को आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान दी गई।



इस प्रेस वार्ता में बंसल हॉस्पिटल, भोपाल की जानीमानी आई स्पेशलिस्ट डॉ. विनीता रामनानी, सीआईआईवायआई के चेयरमैन सौरभ शर्मा और को चेयर अपूर्व मालवीया ने इस विषय पर विस्तार से जानकारी दी।



पत्रकार वार्ता में मौजूद डॉ. विनीता रामनानी ने बताया कि ग्लूकोमा भारत में कैटरेक्ट के बाद अंधेपन की दूसरी सबसे बड़ी वजह है, और देश में करीब 1.2 करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 1.5 लाख लोग इस वजह से अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुके हैं। उन्होंने बताया कि विजन लॉस या अंधेपन के बहुत से ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जिनमें समय पर इलाज की स्थिति में आंखों की रौशनी बचाई जा सकती थी, लेकिन अवेयरनेस की कमी की वजह सी यह बीमारी भयावह रूप ले रही है।



सीआईआईवायआई के सौरभ शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि नवजात बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक कोई भी इसकी चपेट में आ सकता है। सामान्यतौर पर 40 वर्ष से अधिक की उम्र में ग्लूकोमा के केस ज्यादा देखने में आते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, पहले के मुकाबले अब ग्लूकोमा का इलाज अधिक आसान हुआ है, इसके बावजूद जरूरी है कि आप समय पर सचेत हों। उन्होंने कहा कि अगर आपके परिवार में किसी को ग्लूकोमा रहा है तो आपको भी अपनी जांच जरूर करानी चाहिए।



सीआईआईवायआई के को-चेयर अपूर्व मालवीया ने कहा कि बचाव किसी भी बीमारी के इलाज से बेहतर विकल्प होता है अतएव अन्य नियमित जांचों की तरह ही लोगों को आंखों की नियमित जांच कराते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी बात को ध्यान में रखकर यह अवेयनेस प्रोग्राम बनाया गया है। इसके अंतर्गत सीआईआई के मेंबर्स के लिए समय-समय पर ग्लूकोमा अवेयरनेस सेमीनार आयोजित किए जाएंगे।



ग्लूकोमा के लक्षणों की जानकारी देते हुए डॉ. विनीता रामनानी ने कहा कि आंखों के सामने छोटे-छोटे बिंदु या रंगीन धब्बे दिखाई दे, आंखों में तेज दर्द हो, चक्कर या मितली आए, साइड विजन कम हो तो इग्नोर न करें। ये ग्लूकोमा के लक्षण है। लक्षण दिखते ही तुरंत जांच कराएं। अक्सर जब मरीज को यह पता चलता है कि नजर कमजोर हो गई है तब तक बेहद देर हो चुकी होती है।

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