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आँतों की सेहत और बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए...

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Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 9239

याकुल्ट को रोजाना की आदत में शामिल करें

- याकुल्ट का स्वास्थ्य मंत्र- एक स्वस्थ आँत ही दीर्घायु बनाती है, रोकथाम इलाज से बेहतर है

10 अप्रैल, 2019। क्या आप लंबी जिंदगी का राज जानते है? क्या आपको पता है कि खराब पाचन क्रिया ही सभी बुराइयों की जड़ है। क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर का सबसे बड़ा प्रतिरोधक तंत्र और चौकीदार हमारी आँतें हैं। हो सकता है कि आप कुछ जवाबों पर माथापच्ची कर रहे हों, लेकिन यह आपकी सेहत का बैरोमीटर चेक करने का सबसे उचित समय है। आँतों की सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार कर विश्व में अच्छी सेहत और खुशियाँ फैलाने के अपने मूल सिद्धांत के अनुरूप ग्लोबल प्रोबायोटिक लीडर याकुल्ट डैनन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने हाल ही में इंदौर और भोपाल में अपना प्रतिष्ठित ब्रांड "याकुल्ट" लॉन्च किया है।



आज की भागदौड़ से भरपूर बिजी लाइफस्टाइल में कंपनी ने याकुल्ट की प्रासंगिकता का विस्तृत विवरण देते हुए याकुल्ट के सेहत संबंधी लाभों पर एक ज्ञानवर्धक और विचारोत्तेजक सेशन आयोजित किया। याकुल्ट डैनन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मिनोरू शिमाडा और विज्ञान और नियामक मामलों की हेड डॉ. नीरज हेजला भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित थीं। आँतों की सेहत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ. नीरज हेजला ने कहा कि, "हम चुनौतापूर्ण दौर में जी रहे हैं। भारत में आँतों की खराब सेहत चिंता का विषय है क्योंकि कई रोगों की शुरुआत आँतों से ही होती है। कई लोगों को यह पता नहीं होता कि आँतें न केवल पाचन क्रिया और भोजन के अवशोषण में शामिल होती है, बल्कि यह शरीर का सबसे बड़ा प्रतिरोधक अंग है। शरीर की लगभग 70 फीसदी प्रतिरक्षा प्रणाली यहीं पाई जातीं हैं। यह हमें बीमारियों और संक्रमण से बचाने में प्रमुख भूमिका निभाती है।



आँत में लगभग डेढ़ किलो बैक्टीरिया होते है, जिसमें से फायदेमंद बैक्टीरिया भोजन को पचाने, पोषक तत्वों के अवशोषण और प्रतिरोधक तंत्र के निर्माण के लिए जरूरी होते हैं। खराब पोषण, अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि, नींद पूरी न होने, एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल और प्रदूषण से इन लाभदायक जीवाणुओं की संख्या में कमी आती है। इस असंतुलन से दस्त, कब्ज, भोजन का न पचना और पेट फूलने जैसी बीमारी होती है। यह संतुलन बिगड़ने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और बीमारियों का खतरा बढ़ता है।"



प्रायोबायोटिक्स की अवधारणा को विस्तार से समझाते हुए डॉ. हेजला ने कहा कि, "इसका शाब्दिक अर्थ "जीवन के लिए" है क्योंकि यह बैक्टीरिया शरीर में रोग पैदा करने वाले हानिकारक जीवाणुओं को खत्म करते हैं और आँतों में लाभदायक जीवाणुओं की संख्या में बढ़ोतरी करते हैं। इससे पाचन तंत्र सुधरता है, पोषक तत्वों का अवशोषण होता है और पेट बेहतर ढंग से साफ होता है। प्रो बायोटिक्स प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और संक्रमण से हमारी रक्षा करता है। दुनिया भर में प्रो बायोटिक खाद्य पदार्थों का दैनिक आहार के एक हिस्से के रूप में सेवन किया जाता है। हालांकि भारत में यह अवधारणा नई है,

लेकिन इसका महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है।"



पारंपरिक रूप से खमीर युक्त खाद्य पदार्थों और प्रोबायोटिक्स के बीच भ्रम को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि, "पारंपरिक खाद्य पदार्थों का सेवन मुख्य रूप से पोषण और प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन के सेवन के लिए किया जाता है, जबकि प्रोबायोटिक पदार्थों का सेवन पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करने और प्रतिरोधक क्षमता को बढाने के लिए वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हो चुका है। हालांकि यह दोनों श्रेणियां एक-दूसरे से काफी अलग है।"



याकुल्ट के लाभों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए डॉ. हेजला ने कहा कि, "प्रोबायोटिक खमीरयुक्त दुग्ध पेय अपने बेमिसाल प्रो बायोटिक बैक्टीरिया लैक्टोबैसिलस कैसई शिरोटा (एलसीएस) जापान में 1935 में लॉन्च किया गया था। इसे उन बच्चों, वयस्कों और बुजुर्ग लोगों की सेहत में सुधार के लिए लॉन्च किया गया था जो दस्त, हैजा, टाइफाइड और आँतों की अन्य गड़बड़ियों से पीड़ित थे। 80 साल की वैज्ञानिक विरासत और विश्व भर में किए गए 100 मानव अध्ययन की बदौलत याकुल्ट के जीवाणु प्रतिरोधक तंत्र को सुदृढ़ करने और एलर्जी, संक्रमण और यहां तक कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।"



डॉ. हेजला ने आगे यह भी कहा कि, "कोलकाता में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कॉलरा और एंटरिक डीजिज(एनआइसीई) में सबसे बड़े सामुदायिक अध्ययन में से एक में 1 से 5 वर्ष के 4 हजार बच्चों पर स्टडी की गई। इस अध्ययन में यह पता चला कि 12 हफ्तों तक याकुल्ट के सेवन से डायरिया संबंधी मामलों में 14 फीसदी की कमी आती है। यह खासकर भारत जैसे देश के लिए की गई महत्वपूर्ण खोज थी, जहां डायरिया से हर साल तीन लाख बच्चों की मौत होती है।"



इस अवसर पर याकुल्‍ट डैनोन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मिनोरू शिमाडा ने कहा कि, "भारत में याकुल्ट के लिए काफी संभावनाएँ हैं और हम उपभोक्ताओं को प्रोबायोटिक्स को रोजाना के आहार में शामिल करने के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे उत्पाद पूरे भारत में मिलते हैं और अब मध्य भारत के उपभोक्ता भी हमारे सिग्नेचर ड्रिंक, याकुल्ट का आनंद उठाएंगे। अब इंदौर, भोपाल और उज्जैन में भी रिटेल स्टोर्स पर भी इस ब्रांड के दुग्ध पेय की बिक्री की जा रही है। यह इन शहरों में लगभग 170 से ज्यादा आउटलेट्स पर उपलब्ध है। रिटेल स्टोर्स में 60 रुपये में याकुल्ट के 5 बोतलों का पैक कुप्लाब्ध

है।"



श्री शिमाडा ने कहा कि, "आज हम भारत के 15 राज्यों में 51 से ज्यादा शहरों में मौजूद है। याकुल्ट के स्वास्थ्य संबंधी लाभ वास्तविक रूप से असरकारक है और अब याकुल्ट का सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। हम उपभोक्ता से जुड़ाव संबंधी अपने पहल के माध्यम से अपने सिग्नेचर प्रॉडक्ट के संबंध में जागरूकता लाने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं और इस संबंध में महत्वपूर्ण संदेशों के माध्यम से याकुल्ट का प्रचार कर रहे हैं।"



जून 2019 में लॉन्च होने वाले कंपनी के नए प्रॉडक्ट याकुल्ट लाइट के बारे में विस्तार से बताते हुए श्री शिमाडा ने आगे कहा कि, "याकुल्ट की बढ़ती मांग और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भारतीय उपभोक्ताओं की जरूरत को पूरा करने के लिए कंपनी याकुल्ट लाइट प्रॉडक्ट लॉन्च करेगी, जो प्रोबायोटिक खमीरयुक्त दुग्ध पेय का सिस्टर प्रॉडक्ट है। याकुल्ट लाइट में उसी प्रोबायोटिक, लैक्टोबैसिलस केसेई स्ट्रेन शिरोटा (एलसीएस) का उसी (6.5 बिलियन) मात्रा का इस्तेमाल किया जाएगा, जैसा कि याकुल्ट में किया जाता है। याकुल्ट लाइट कम चीनी और विटामिन डी और ई की अतिरिक्त मात्रा में एक साल की उम्र से अधिक के बच्चों को

छोड़कर सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए परफेक्ट है। इसमें नेचुरल स्वीटनर स्टीविया का प्रयोग किया जाता है, जिसमें कम चीनी और कैलरी होती है। रिटेल स्टोर्स में याकुल्ट लाइट 5 बोतलों के पैक में 80 रुपये में मिलेगा।"



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