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स्वयं न रहकर किराये पर चला रहे सरकारी आवासों का आवंटन निरस्त

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1500

21 जनवरी 2019। प्रदेश की कमलनाथ सरकार का एकशन मोड जारी है। इस बार उसने राजधानी के उन सरकारी आवासों पर नजर घुमाई है जिनमें आवंटिती खुद न रहकर किसी दूसरे को किराये पर रखे हुये था। यह फर्जीवाड़ा पिछली शिवराज सरकार से चल रहा था। इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिलते ही ऐसे आवासों का आवंटन निरस्त कर दिया गया है।



यह मामला राज्य के जल संसाधन विभाग के भोपाल स्थित आवासों का है। प्रमुख अभियंता जल संसाधन भोपाल के कार्यालय में पदस्थ कम्प्यूटर सहायक मनोज गोटीवाले को एफ-3, कलियासोत कालोनी भोपाल आवास आवंटित किया गया था परन्तु वे इसमें स्वयं न रहकर किसी अन्य को किराये पर दिये हुये थे। इसी प्रकार, उक्त कार्यालय के ही सहायक ग्रेड-3 राजीव सक्सेना को भी आईजी-4, कलिया सोत भोपाल आवास आवंटित था परन्तु इसमें अन्य कोई किराये से रहता था। इसी कार्यालय के सहायक ग्रेड-3 आरएस राजपूत को एच-वन कलिया सोत कालोनी भोपाल आवास मिला हुआ था परन्तु इसमें भी किराये से कोई अन्य रहता पाया गया।



उक्त के अलावा संचालक जल मौसम विज्ञान भोपाल में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कय्यूम खान भी उन्हें आवंटित आई-8 कलिया सोत कालोनी भोपाल में रहते नहीं पाये गये और यह आवास बंद मिला। अनुविभागीय अधिकारी वि/यां जल संसाधन उपसंभाग रायसेन में पदस्थ रामशंकर मौर्य भी एच-23 कोलार कालोनी भोपाल आवास लिये हुये थे जबकि उनका मुख्यालय रायसेन में है और नियमानुसार उन्हें रायसेन स्थित आवास में रहना चाहिये। मप्र विधानसभा सचिवालय भोपाल में प्रतिवेदक के पद पर पदस्थ सुश्री नीलिमा बरकडे भी जल संसाधन विभाग के आवास क्रमांक जी-5 बरगी कालोनी भोपाल में रहती पाई गईं जबकि वे जल संसाधन विभाग में कार्यरत ही नहीं हैं।



दरअसल जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री ने इन आवासों का निरीक्षण किया था तथा निरीक्षण के बाद उन्होंने रिपोर्ट पेश की थी कि इनमें आवंटी स्वयं निवासरत नहीं हैं तथा उनके स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति निवास कर रहे हैं या ताला लगा है अथवा कर्मचारी मुख्यालय से अन्य जिले में पदस्थ है। इस पर आदेश जारी कर कहा गया है कि यह आवास आवंटन नियमों के विरुध्द है। इसलिये संबंधितों का आवास आवंटन आदेश तत्काल प्रभाव निरस्त किया जाता है। साथ ही इन आवंटित आवासों को सात दिन के अंदर रिक्त कराकर विभाग की आवास आवंटन समिति को अवगत कराया जाये।



विभागीय अधिकारी ने बताया कि विभाग के आवासों में आवंटिती के बजाये किसी अन्य के रहने की बात निरीक्षण में सामने आई है। संपदा संचालनालय भोपाल को इन्हें खाली कराने के लिये कहा गया है क्योंकि बेदखली के अधिकार उन्हीं के पास हैं। यदि ये लोग समय पर आवास खाली नहीं करते हैं तो उनसे बाजार दर से किराया लगाया जायेगा और इसकी वसूली उनके वेतन से की जायेगी। संबंधित कर्मचारियों के कार्यालयों को इस बारे में लिखा जा रहा है।





- डॉ. नवीन जोशी

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