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फर्जी प्रकरणों में सहकारिता अधिनियम और आईपीसी की धाराओं में होगी वैधानिक कार्यवाही

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1003

25 जनवरी 2019। जय किसान फसल ऋण माफी योजना के अन्तर्गत नियत कट ऑफ डेट के बकायदार (रेग्यूलर आउटस्टेंडिंग लोन अथवा कालातीत लोन) किसानों की सूची प्रदेश की ग्राम पंचायतों में विगत 15 जनवरी 2019 से चस्पा करने की कार्यवाही की जा रही है। योजनान्तर्गतआवेदन-पत्र भरने की अंतिमतिथि 5 फरवरी 2019 निर्धारित है। राज्य शासन के संज्ञान में यह जानकारी आई है कि कतिपय प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों (PACS) में किसानों की जानकारी के बिना उनके नाम से फर्जी प्रकरण बनाकर फसल ऋण के नाम पर राशि गबन करने के प्रयास हुए हैं। प्रमुख सचिव, किसान कल्याण तथा कृषि विकास डॉ. राजेश राजौरा ने यह जानकारी देते हुए कहा है कि ऐसे प्रकरण गंभीर अपराध की श्रेणी में माने जायेंगे। इन प्रकरणों में सहकारिता अधिनियम एवं आईपीसी की धाराओं में सभी दोषियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।



राज्य शासन को जानकारी मिली है कि किसानों ने योजना के अन्तर्गत आवेदन-पत्र भरते समय ग्राम पंचायत में चस्पा सूची में उनके नाम से ऋण खातों में दर्शित फसल ऋण की राशि या तो ली ही नहीं गई है अथवा उनके द्वारा दर्शित राशि से काफी कम राशि का फसल ऋण लिया गया है। प्रमुख सचिव, किसान कल्याण एवं कृषि विकास डॉ. राजौरा ने प्रमुख सचिव, राजस्व से आग्रह किया है कि ऐसे प्रकरणों में जनपद पंचायतों में आवेदन-पत्रों का डाटा, पोर्टल पर इन्द्राज होने के बाद, बैंक शाखाओं में सेक्यूर्ड लॉगइन ऋण खातों की जानकारी की पुष्टि करते समय आवश्यक ऐहतियात बरती जाये तथा सूक्ष्मता से प्रकरण का परीक्षण किया जाये। डॉ. राजौरा ने कहा है कि आवेदन भरने की अंतिम तिथि 5 फरवरी 2019 के बाद ऐसे संभावित फर्जी फसल ऋण प्रकरणों की जानकारी समस्त जिलों से प्राप्त कर इनकी जाँच की प्रक्रिया तथा समय-सीमा नियत की जाये।



एक हजार रुपये से कम राशि के मात्र दो प्रतिशत प्रकरण

किसान कल्याण तथा कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुल 55 लाख 60 हजार 449 किसानों ने राष्ट्रीकृत बैंकों और अपेक्स बैंक से फसल ऋण लिया है। इनमें से मात्र दो प्रतिशत अर्थात एक लाख 14 हजार किसानों के खाते में शेष ऋण राशि एक हजार रुपये से भी कम है। करीब 57 प्रतिशत अर्थात 31.72 लाख किसानों के ऋण खातों में 50 हजार से ज्यादा शेष ऋण राशि दर्ज है।



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