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हड़ताल हुई प्रतिबंधित, वकीलों को देना होगा पूरा विवरण

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1337

हाईकोर्ट ने चार नियमों में किया बदलाव



10 फरवरी 2019। एमपी हाईकोर्ट ने अपने चार नियमों यथा एमपी हाईकोर्ट रुल्स, डिजिटाईजेशन आफ रिकार्ड रुल्स, कन्डीशन्स आफ प्रैक्टिशनर्स रुल्स तथा डेजिगनेशन आफ सीनियर एडव्होकेट रुल्स में बदलाव कर दिया है।



देना होगा वकीलों को पूरा विवरण :

एमपी हाईकोर्ट रुल्स में बदलाव कर यह नया प्रावधान किया गया है कि केंद्र एवं राज्य सरकार के विभागों और निकायों की ओर से केस लडऩे वाले वकीलों को हाईकोर्ट को इन्फार्म करना होगा कि उनका नाम, आफिस का पता, फोन नंबर तथा ई-मेल एड्रेस क्या है। यदि इसमें परिवर्तन होता हैतो उसकी भी सूचना देनी होगी। इसी प्रकार, अब हाईकोर्ट जज 60 जीएसएम पेपर में आर्डर टाईप करवायेंगे जिसके टाप पर 5 सेन्टीमीटर और लेफ्ट एवं राईट में ढाई सेंटीमीटर मार्जिन होगा। आर्डर डबल स्पेस में होगा और फाण्ट साईज 14 होगा एवं फांट फेस टाईम्स न्यू रोमन होगा। कोर्ट में प्रस्तुत ऐसे दस्तावेज जो ऐतिहासिक, सोशेलोजिकल एवं साईंटिफिक वेल्यु के होंगे, वे स्थाई रुप से सुरक्षित रखे जायेंगे।



रिकार्ड कम्प्यूटरीकृत होगा :

डिजिटाईजेशन आफ रिकार्ड रुल्स में प्रावधान किया गया है कि हाईकोर्टका सारा रिकार्ड इन्फरमेश्न एक्ट 2000 केअनुसार कम्प्यूटरीकृत होगा। यह डिजिटल रिकार्ड इंटरनेट के जरिये देखा भी जा सकेगा। रिकार्ड की माईक्रो फिल्मिंग भी की जायेगी।



हड़ताल की तो होंगे बेन :

कन्डीशन्स आफ प्रैक्टिशनर्स रुल्स में नया बदलाव किया गया है कि अब हाईकोर्ट और अधीनस्थ अदालतों में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या डिस्ट्रिक्ट जज की पूर्वानुमति के यदि बार एसोसियेशन के लोग हड़ताल करते हैं तो उन्हें किसी भी कोर्ट में एपीयर होनेसे एक से तीन माह तक की रोक लगाई जा सकेगी।



सीनियर एडव्होकेट बनने के नये प्रावधान :

डेजिगनेशन आफ सीनियर एडव्होकेट रुल्स में नया बदलाव किया गया है। अब हाईकोर्ट की परमानेंट कमेटी तय करेगी कि कौन व्यक्ति सीनियर एडव्होकेट हो सकेगा। जिस अधिवक्ता ने 15 साल तक प्रैक्टिस की है और जिसकी आयकर रिटर्न के हिसाब से पिछले तीन सालों में दस लाख रुपये प्रति वर्ष से ज्यादा आय है, वही सीनियर एडव्होकेट बनने के लिये पात्र होगा। सीनियर एडव्होकेट बनने पर अधिवक्ता बिना वकालात नामे या मेमो के किसी भी कोर्ट या ट्रिब्युनल में एपीयर हो सकेंगे।







- डॉ. नवीन जोशी

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