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विद्यार्थी चिंतन और व्यवहार में भारतीय मूल्यों को आत्मसात करें: राज्यपाल श्रीमती पटेल

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1109

सकारात्मक बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहें विद्यार्थी - उच्च शिक्षा मंत्री श्री पटवारी

कड़ी मेहनत के बिना मिली सफलता अर्थहीन - प्रो. चौहान

25 फरवरी 2019। राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने विद्यार्थियों से कहा है कि अपने चितंन, संस्कार और व्यवहार में भारतीय मूल्यों को आत्मसात् करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा से व्यक्ति के चरित्र में विनम्रता और शुचिता जैसे गुणों का विकास होता है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इन पर विशेष बल दिया गया है। श्रीमती पटेल आज बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थी। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी, राष्ट्रीय मूल्यांकन प्रत्यायन संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. विरेश्वर सिंह चौहान भी उपस्थित थे।



राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि पुरातन काल से हमारे देश की शिक्षण संस्थाओं की उत्कृष्ट संस्थाओं के रूप में वैश्विक पहचान थी। विदेशों से आकर लोग यहाँ शिक्षा प्राप्त करते थे। उन्होंने कहा कि समाज के प्रबुद्ध वर्ग को विचार करना चाहिये कि हमारी शिक्षा व्यवस्था और अधिक उन्नत तथा व्यवहारिक हो सके। अधिक से अधिक युवाओं के जीवन में सुख-समृद्धि आये। उनकी छिपी प्रतिभा और दक्षता को उभरने का अवसर मिले। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय, प्रयागराज में कुंभ के प्रबंधन, व्यवस्थाओं के अध्ययन और उन पर शोध्के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करें। भारतीय समाज की पहचान सामूहिक समाज के रूप में रही है। परिवार में सामाजिकता के द्वारा बच्चों में चरित्र और गुणों का विकास होता है। लोगों में बढ़ती वैयक्तिकता चिन्ता का विषय है। उन्होंने विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य की शुभकामना देते हुए देश-प्रदेश और समाज के प्रति अपने दायित्वों को पहचानने और उन्हे कार्य रूप में बदलने का अनुरोध किया।



उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी ने कहा कि जीवन में सदैव सकारात्मक बदलाव के लिए तैयार रहे। विचारों में संकीर्णता नहीं आने दे। उदारता और विस्तृत भाव से राष्ट्र और समाज की सेवा करें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दीक्षित विद्यार्थी जीवन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर देश, प्रदेश और समाज का गौरव बढ़ायेंगे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अज्ञानता बदलाव से रोकती है। शिक्षा का प्रकाश अज्ञानता के अंधकार को दूर कर, उसे समाज के बदलाव में सकारात्मक सहयोग के लिए तैयार करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय गुरू-शिष्य परंपरा हमारी धरोहर है। गुरू आदर्शों का अनुसरण करने वाले ही जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं।



नैक के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. चौहान ने कहा कि कड़ी मेहनत के बिना मिली सफलता का कोई अर्थ नहीं रहता। जीवन की चुनौतियों का सामना साहस के साथ वह कर सकता है, जो ईमानदारी और निष्ठा के उच्चादर्शों के साथ कभी समझौता नहीं करें। आजादी के बाद से देश ने बहुत तरक्की की है। लेकिन अभी भी गरीबी, जनसंख्या का दबाव, स्वास्थ सेवाओं की पहुँच और असमानता की गंभीर चुनौतियाँ है। इनका समाधान भावी पीढ़ी की जिम्मेदारी है।



दीक्षांत समारोह के प्रारंभ में राज्यपाल ने स्मारिका का विमोचन किया। शोधार्थियों को और मेधावी विद्यार्थियों को उपाधि और गोल्ड मेडल प्रदान किये।



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