इस वर्ष रोगियों की बढ़ती संख्या का प्रतिशत 40 है
15-35 वर्ष के लोग सबसे ज्यादा पीड़ित हैं
प्रभावी इनहैलेशन थेरैपी से #BerokZindagi संभव है
अस्थमा एलर्जी के कारण होता है। यह एलर्जी किसी भी चीज से हो सकती है, जैसे कि प्रदूषक तत्व, धूल, कॉकरोच, डस्ट माइट्स और पालतू पशु। मॉनसून अस्थमा को बढ़ाने का एक बहुत बड़ा कारक है। ये अस्थमा अटैक वरिष्ठ नागरिकों के लिये जानलेवा हो सकते हैं, जबकि कम उम्र के मरीजों में इनके लक्षणों को बद्तर बना सकते हैं।
मॉनसून ज्यादातर लोगों के लिये एक सुकूनदायक समय हो सकता है, क्योंकि यह चिलचिलाती गर्मियों से राहत दिलाता है, लेकिन अस्थमा के रोगियों के लिये परेशानी का सबब बनकर आता है, क्योंकि इस दौरान हालत और भी बुरी हो जाती है। मानसून में अस्थमा के मरीजों को फंगस के कारण होने वाली एलर्जी का सामना करना पड़ सकता है और लगातार नमीयुक्त माहौल में रहने की वजह से उन्हें अस्थमा का अटैक भी आ सकता है। मानसून का मतलब है बार-बार अस्थमा के अटैक आना। इस सीजन में, हवा में प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जिससे सांस लेने में परेशानी और घरघराहट होती है।
भारत में महिलाओं और आम लोगों के बीच इनहेलर्स को अपनाये जाने का स्तर बेहद निम्न है और इसका प्रमुख कारण है इसे लेकर लोगों का भ्रम, जैसेकि इनहेलर्स की लत पड़ जाना, इनहेलर्स में मौजूद स्टिरोऑइड्स, जो गर्भावस्था के दौरान या गर्भधारण करने में परेशानी खड़ी कर सकते हैं। इसके साथ ही लोगों को लगता है कि इनहेलर्स 'स्ट्रॉन्ग मेडिसिन्स' हैं और उनका इस्तेमाल सिर्फ आखिरी रास्ते के रूप में किया जाना चाहिये। विशेषज्ञों का कहना है कि मरीज और उनके परिवार रोग की प्रकृति को समझें और दवायें या इनहेलर्स किस तरह से काम करते हैं, उस बारे में उन्हें पूरी जानकारी हो। उसके बाद ही डॉक्टर द्वारा परामर्शित उपचार कराया जाना चाहिये।
डॉ. पराग शर्मा, कंसल्टेन्ट पल्मोनोलॉजिस्ट, गांधी मेडिकल कॉलेज, 'मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण माहौल में अस्थमा बढ़ जाता है। हर वर्ष मॉनसून के दौरान मेरे पास उपचार के लिये आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इस साल यह बढ़ोतरी लगभग 40 प्रतिशत है। यह बढ़ती संख्या रोगियों के बीच बीमारी पर जागरूकता का संकेत भी देती है और यही वजह है कि वे ठीक होने के लिये सावधानियाँ बरतते हैं। दैनिक गतिविधियों के दौरान एक्सपोजर और तनाव के कारण 15-35 वर्ष के लोग सबसे अधिक पीड़ित होते हैं।'
डॉ. आर. के. यादव, कंसल्टेन्ट पीडियाट्रिशियन, वी केयर चिल्ड्रन हॉस्पिटल, 'सांस लेने में कष्ट, खाँसी और सांस छोटी होना, यह सभी अस्थमा के लक्षण हैं, जो कि एक स्थायी श्वसन रोग है और फेफड़ों में वायु के मार्ग में प्रदाह के कारण होता है। अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति वायु मार्ग में दबाव का अनुभव करता है और उसके फेफड़ों में ऑक्सीजन के प्रवाह में बाधा आती है। मॉनसून के दौरान आर्द्रता का बढ़ा हुआ स्तर उत्प्रेरक का काम करता है, जिससे वायु मार्ग की मांसपेशियाँ संकुचित हो जाती हैं और सांस लेने में कठिनाई होती है।'
यहां पर हम आपको कुछ और कारण बता रहे हैं, जो मानसून को अस्थमा ग्रस्त लोगों के लिये खासतौर से बेहद मुश्किल समय बनाते हैं
? गीली दीवारें घरों में माइट्स की संभावना को बढ़ा देती है, जिससे अस्थमा का अटैक पड़ सकता है
? सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर जैसी गैसें इस सीजन में हवा में मौजूद रहती हैं। ये केमिकल्स इरिटेंट्स के रूप में काम कर सकते हैं और अस्थमा अटैक दिला सकते हैं।
? आमतौर पर वायर इंफेक्शन्स की घटना बढ़ जाती है, जिससे अस्थमा अटैक्स आ सकते हैं
? वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व लंबे समय तक हवा में मौजूद रहते हैं, जिससे अस्थमा से ग्रस्त मरीजों के अन्य मौसम के मुकाबले इस मौसम में इन केमिकल्स के संपर्क में आने की समस्या बनी रहती है
हालांकि, अस्थमा की समस्या बढ़ रही है, लेकिन इसके बावजूद यह अभी भी एक ऐसा रोग बना हुआ है, जिसे ठीक तरीके से नियंत्रित नहीं किया जाता है। अस्थमा को प्रबंधित करने के लिये ओरल थैरेपी की तुलना में इनहेलेशन थैरेपी एक प्रभावी उपचार बनकर उभर रहा है। इनहेलेशन थैरेपी में दवाई सीधे फेफड़ों पर काम करती है और रक्त धाराओं और शरीर के अन्य अंगों से होकर नहीं गुजरती है।
इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स सबसे प्रभावी दवा है, जिसका इस्तेमाल एयरवे इन्फ्लेमेशन को ठीक करने के लिये अस्थमा में किया जाता है। इसके साथ ही, कॉर्टिकॉस्टेरॉयइड्स में अस्थमा के विपरीत तत्व होते हैं, जो संरचनात्मक बदलाव (एयरवे रिमॉडिलिंग) लाते हैं और ब्रॉन्कियल वॉल की वैस्क्युएलैरिटी को बढ़ाते हैं।
गीना (जीआइएनए) गाइडलाइंस से हमें स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और मरीज के बीच अंतर को दूर करने में मदद मिलेगी, जिससे मरीजों को बेहतर संतुष्टि और स्वास्थ्य परिणाम हासिल होंगे। प्रत्येक उपचार योजना को मरीज की लाइफस्टाइल स्थितियों और उपचार के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर कस्टमाइज्ड किया जायेगा। इन गाइडलाइंस को लागू करने से जागरूकता बढ़ेगी और अस्पताल में भर्ती होने और मौत की दर कम होगी। मरीजों में इनहेलर्स के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में डॉक्टर्स की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी है, लेकिन परिवार वाले (46%) और दोस्त (24%) भी इसमें एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। अस्थमा को इस मानसून के मौसम में आपका जोश कम नहीं करने दें। यह समय है इनहेलेशन थैरेपी के साथ #BerokZindagi (#बेरोकजिंदगी) जीने का।
भोपाल के युवाओं में तनाव और काम का दबाव अस्थमा के प्रमुख कारण हैं
Place:
Bhopal 👤By: DD Views: 1861
Related News
Latest News
- सुरक्षा बल का हिस्सा बनकर होता है गर्व: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से बोली महिला कांस्टेबल
- उज्जैन और ग्वालियर के लिए पीएम श्री पर्यटन वायु सेवा जमीन पर
- भारत ने व्हाट्सएप पर 25 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया
- मंत्रि-परिषद के निर्णय: श्रीकृष्ण पाथेय न्यास गठन और 209 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति को मंजूरी
- एचआईवी जीनोम की पहचान के लिए नई फ्लोरोमेट्रिक तकनीक विकसित
- भारत को वैश्विक वित्तीय केंद्र बनाने की दिशा में एक कदम है गिफ्ट सिटी - मुख्यमंत्री डॉ. यादव