×

महात्मा गांधी ने इंदौर में देखा था हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का सपना

News from Bhopal, Madhya Pradesh News, Heritage, Culture, Farmers, Community News, Awareness, Charity, Climate change, Welfare, NGO, Startup, Economy, Finance, Business summit, Investments, News photo, Breaking news, Exclusive image, Latest update, Coverage, Event highlight, Politics, Election, Politician, Campaign, Government, prativad news photo, top news photo, प्रतिवाद, समाचार, हिन्दी समाचार, फोटो समाचार, फोटो
Place: इंदौर                                                👤By: Digital Desk                                                                Views: 19862

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ इंदौर शहर की भी ऐतिहासिक यादें जुड़ी हुई हैं. इंदौर ही वो शहर था जहां महात्मा गांधी के मन में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने का विचार पहली बार आया था.



इंदौर में महात्मा गांधी पहली बार 29 मार्च 1918 में हिंदी साहित्य समिति के मानस भवन का शिलान्यास और दूसरी बार 20 अप्रैल 1935 में इसी भवन का उद्घाटन करने आए थे. भवन के उद्घाटन के लिए पहुंचे बापू को इंदौर के नेहरू पार्क में बैठकर ही सबसे पहले हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का विचार आया था.



हिंदी को राष्ट्रभाषा

गांधीजी पहली बार 1918 में इंदौर पहुंचे थे. उस समय शहर में हिंदी भाषा को लेकर एक बड़ी बैठक होने वाली थी. महात्मा गांधी ने उस सभा में हिस्सा लेकर उसे आधिकारिक बनाया था.

गांधीजी दूसरी बार 1935 में इंदौर आए थे. इस बार वह हिंदी सभा की अध्यक्षता करने पहुंचे थे. दक्षिण भारत से भी हिंदी भाषा को लेकर मिल रही काफी शानदार प्रतिक्रिया के कारण गांधीजी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की मुहिम शुरू की थी.



काठियावाड़ी वेशभूषा में आए थे बापू

बापू को यूं तो हमेशा ही सबने उनकी खादी की धोती में देखा था पर जब वो 20 अप्रैल 1935 को हिंदी साहित्य समिति के मानस भवन के शिलान्यास के लिए इंदौर आए तो उन्होंने काठियावाड़ी वेशभूषा पहनी थी. इस दौरान उनकी काठियावाड़ी पगड़ी आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी.

1935 में गांधी जी इंदौर में 20 से 23 अप्रैल तक ठहरे थे. इस दौरान समिति का 24वां हिंदी साहित्य सम्मेलन हुआ था जिसमें गांधीजी सभापति थे. उस वक्त के बिस्को पार्क (नेहरू पार्क) में आयोजित सम्मेलन में गांधीजी ने फिर राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी की पैरवी की थी.

Related News

Global News