11 फरवरी 2021ः आपके हाथ में जो है उससे शुरुआत करें, अपनी क्षमता के अनुरूप् नुकसान सहने की सीमा को तय करें, सब कुछ खुद करने की कोशिश न करें, परिस्थितियों में आने वाले बदलाव को अवसर में बदलें व उससे फायदा उठाएं और अपने बिजनेस को दूसरों के हाथों में न सौंपें। ऐसे ही बहुत सी सलाह व सुझाव उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने आज से आरंभ हुए तीन दिवसीय प्रतिष्ठित ग्लोबल स्टूडेंट एंटरप्रेन्योर अवार्ड्स - जीएसईए के इंडिया फाइनल के दौरान दी। इंडिया फाइनल में देश भर की 28 छात्र टीमें इस खिताब को जीतने के लिए भाग ले रही हैं। विजेता टीम को इस वर्ष अप्रैल माह में होने वाले जीएसईए ग्लोबल फाइनल में अंतर्राष्ट्रीय खिताब में शामिल होने का मौका मिलेगा।
जीएसईए, भोपाल के अध्यक्ष सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने बताया कि प्रतिवर्ष होने वाली इस प्रतियोगिता की मेजबानी इस बार एंटरप्रनेर्स आॅर्गनाइजेशन, भोपाल द्वारा की जा रही है जिसमें अमेजन वेब सर्विसेस और एआईसी आरएनटीयू सहयोगी की भूमिका निभा रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते यह आयोजन आॅनलाइन आयोजित किया जा रहा है। आयोजन के पहले दिन तीन बूटकैम्प आयोजित किये गए जिसमें उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने प्रतिस्पर्धा कर रहे विद्यार्थियों को एंटरप्रेनरशिप की बारीकियों को समझाया व उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
आज जिन सत्रों का आयोजन किया गया उनमे डॉ. राजीव रॉय, प्रोफेसर-उद्यमिता, एक्सएलआरआई द्वारा स्टूडेंट स्टार्टअप, व्हाट नेक्स्ट? विषय पर चर्चा की गईा। वहीं डॉ. कौस्तुभ धरगलकर, संस्थापक, पोटेंशियल एण्ड पाॅसिबिलिटिज ने प्रारंभिक चरण के स्टार्टअप के लिए डिजाइन सोच पर संभावनाएं विषय पर बातचीत की। इसी प्रकार वाधवानी फाउंडेशन के कार्यकारी उपाध्यक्ष, अजय बत्रा ने अंडरस्टेंडिग कस्टमर - बिल्ंिडग बिजनेस माॅडल कैनवास के बारे विस्तार से बताया।
डॉ. राजीव रॉय ने कहा कि किसी भी कारोबार में क्या चीज काम करेगी और क्या नहीं, इस बात का कोई निश्चित फार्मूला नहीं होता। लेकिन आप लगन और लगातार सीखते व समझते रहने के माइंडसेट से अपना रास्ता जरूर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज से दो -तीन दशक पूर्व युवाओं का फोकस नौकरी पाना होता था लेकिन अब वे एंटरप्रेनर बनने के लिए आगे आ रहे हैं।
डाॅ. कौस्तुभ धरगलकर ने बताया कि जब भी आप किसी प्रोडक्ट या सर्विस को बाजार में लाने की सोचें तो हमेशा कस्टमर के नजरिये से सोचें। लोगों के बीच जाएं उनकी समस्याओं को सुनें व समझें और उसको दूर करने के लिए अपने उत्पाद को अनुकूल बनाएं। उन्होंने फोर्ड आइकन कार व प्लाज्मा टीवी के उदाहरणों से समझाया कि कैसे कस्टमर्स की जरूरतों व स्थितियों को जाने बगैर इन बेहतरीन उत्पादों को बाजार में वह सफलता नहीं मिली जोकि मिलना चाहिए थी।
अंतिम सत्र में डाॅ. बत्रा ने बताया कि भारत में आरंभ होने वाले 90 प्रतिशत स्टार्टअप फेल हो जाते हैं। उन्होंने इसके पांच कारण गिनाएं जिनमें बाजार में उनके प्रोडक्ट की जरूरत न होना, काबिल टीम का अभाव, पैसों की कमी, प्रोडक्ट की क्वालिटी तथा सही मार्केटिंग न किया जाना शामिल हैं। स्टार्टअप्स को अपने समय का 60 प्रतिशत हिस्सा ग्राहकों से संपर्क बनाने व उन्हें जानते रहने में खर्च करना चाहिए।
ईओ, भोपाल की मेजबानी में जीएसईए इंडिया फाइनल ट्रेलब्लेजर समिट के साथ आरंभ हुआ
Place:
Bhopal 👤By: DD Views: 2397
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