
मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित जिला अदालत की सीजेएम कोर्ट में गैस त्रासदी मामले में सुनवाई हुई. एक बार फिर सुनवाई के दौरान गैस संगठन सीबीआई की कार्यप्रणाली को लेकर भड़क गए. संगठनों ने फिर सीबीआई पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
भोपाल गैस त्रासदी मामले की सुनवाई में गैस संगठन के साथ सीबीआई की तरफ से एक कांस्टेबल पहुंचा. डाउ केमिकल कंपनी को नोटिस जारी करने को लेकर गैस संगठन की तरफ से दायर याचिका निचली अदालत से सीजेएम कोर्ट में ट्रांसफर हो गई. सुनवाई में सीबीआई के कांस्टेबल के पहुंचने से गैस संगठन भड़क गए.
गैस पीड़ित संगठनों का आरोप है कि सीबीआई के कारण मामले में सुनवाई कछुआ चाल चल रही. अभी तक डॉउ केमिकल कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. सीबीआई गैस कांड मामले को लेकर गंभीर नहीं है. गैस संगठनों की मांग है कि सीबीआई के डायरेक्टर को समन जारी कर तलब किया जाए.
छह फरवरी 2001 को अमेरिकन फर्म डॉउ केमिकल के साथ यूनियन कार्बाइड कारपोरेशन का विलय हो गया था. ये सब विलय जानबूझकर यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन को बचाने के लिए गया किया, ताकि गैस कांड मामले में चल रहे आपराधिक प्रकरण से बच सके.
2001 में ही गैस संगठन ने विलय को चुनौती देते हुए डॉउ कंपनी को पार्टी बनाने को लेकर सीजेएम कोर्ट में आवेदन दिया था. इसी आवेदन पर कोर्ट ने 6 जनवरी 2005 को डाउ कंपनी को शोकॉज नोटिस जारी किया था.
संगठन के पदाधिकारी सतीनाथ षडंगी के अनुसार, इसी नोटिस के बाद डाउ कंपनी 17 मार्च 2005 को हाईकोर्ट से स्टे लेकर आया था. गैस संगठन की मांग पर 19 अक्टूबर 2012 को स्टे हटाया गया, तब से अभी तक डाउ कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. सीबीआई के सुस्त रवैए के कारण मामला लंबा चला और आज तक कुछ नहीं हो सका.
गौरतलब है कि लंबे समय तक डाउ और एंडरसन पर कार्रवाई नहीं करने से नाराज पीड़ित परिवार फिर सीबीआई की भूमिका पर सवाल खड़े करने लगे हैं. गैस पीड़ित संगठनों के सभी मामलों पर सीजेएम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी.