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भविष्य की फसल मोटा अनाज - एक स्वस्थ जीवन शैली

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1797

5 जून 2023। क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, भोपाल (राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, नई दिल्ली का क्षेत्रीय केन्द्र) द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मिशन लाईफ के अंतर्गत 'मोटा अनाज - एक स्वस्थ जीवन शैली' नामक अस्थाई प्रदर्शनी का लोकार्पण 5 जून, 2023 को किया गया। मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण, मध्यप्रदेश शासन, भोपाल की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती तन्वी सुंदरियाल, आई.ए.एस. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और डॉ. एच. वी. सी. चारी, वैज्ञानिक ई एवं कार्यालयाध्यक्ष, एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, भोपाल कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे।

प्रदर्शनी में मोटे अनाज - भविष्य की फसल, भारत में मोटे अनाज-उत्पत्ति एवं इतिहास, भारत में मोटे अनाज का विवरण, मोटे अनाजों का वर्गीकरण, भारत में मोटे अनाजों के प्रकार, उत्कृष्ट आहार के स्वास्थ्यपरक लाभ, मोटे अनाज को बढ़ावा क्यों मोटे अनाज से बने व्यंजन स्वस्थ चुनाव आदि को पेनल के माध्यम से दर्शाया गया है।

कार्यक्रम के आरंभ में डॉ. एच. वी. सी. चारी ने प्लास्टिक प्रदूषण का हराएँ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होनें व्याख्यान के दौरान उन्होनें ऊर्जा की खपत के बारे में बताते हुए पर्यावरण विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान उन्मुख समुदाय को अपनाने के बारे में बताया। साथ ही उन्होनें दिनों-दिन बढ़ते तापमान में ग्रीन हाऊस गैस प्रभाव की भूमिका के बारे में बताते हुए ग्लेशियरों के पिघलने से होने वाले दुपरिणामों के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही उन्होनें बताया कि मेग्रॉव वन कार्बन डाइऑक्साइड को सबसे अधिक शोषित करते है साथ ही डॉ. चारी ने कोप 26 में भारत द्वारा प्रस्तुत किए गए पंचामृत- पाँच बिन्दु के बारे में बताया अपने व्याख्यान के दौरान डॉ. चारी ने मिशन लाईफ के उददेश्य के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान किया।

प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने अपने स्वागत उद्बोधन के दौरान मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, ग्रीष्मावकाश प्रकृति अध्ययन कार्यक्रम हरित किशोर एवं हरित शावक के प्रतिभागियों घरेलू गौरैया के संरक्षण पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के पुरस्कार विजेताओं, अभिभावकों, शिक्षकों, मीडिया बंधुओं और अन्य उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया।

कार्यक्रम के अगले चरण में वैज्ञानिक सी डॉ. बीनिश रफत ने पर्यावरण सरंक्षण के लिए सभी मेहमानों, पुरस्कार विजेताओं, प्रतिभागियों, संग्रहालय के कर्मचारियों एवं अन्य अतिथियों को हरित प्रतिज्ञा दिलवायी।

तदपश्चात् ग्रीष्मावकाश प्रकृति अध्ययन कार्यक्रम हरित शावक की प्रतिभागी कुमारी अनुषा चौरे ने अपने अनुभव बताए। इसी क्रम में ग्रीष्मावकाश प्रकृति अध्ययन कार्यक्रम हरित किशोर की प्रतिभागी कुमारी तान्या तिवारीने अपने अनुभव बताए।

अपने उद्बोधन के दौरान, विशिष्ट अतिथि डॉ. एच. वी. सी. चारी ने अपील किया कि पर्यावरण एवं धरती माँ रक्षा करने के लिए हमें अपनी जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव करना चाहिए।

अपने उद्बोधन के दौरान मुख्यअतिथि महोदया श्रीमती तन्वी सुंदरियाल, अपने चारों ओर स्वस्थ पर्यावरण के लिए हमें अपनी दिनचर्या में बदलाव करना होगा। साथ ही उन्होने कहा कि हमें कम से कम अपशिष्ट का उत्पादन करना होगा और पुनर्चक्रीकरण को बढ़ावा देना होगा। उन्होनें बच्चों से ग्रीन वारीयर बनकर पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करने की अपील किया।
इसके पश्चात् ग्रीष्मावकाश प्रकृति अध्ययन कार्यक्रम हरित किशोर एवं हरित शावक के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इसी प्रकार घरेलू गौरैया के संरक्षण पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के पुरस्कार विजेताओं और राष्ट्रीय स्तर की स्लोगन लेखन प्रतियोगिता की द्वितीय विजेताको पुरस्कार का वितरण किया गया।

कार्यक्रम के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से प्रतिनिधि, भोपाल बर्ड्स स्वयंसेवी संस्थासे डॉ. संगीता राजगीर एवं मो. खालिक, विकास आदि उपस्थित थे। संग्रहालय के वैज्ञानिक सी एवं कार्यक्रम समन्वयक मानिक लाल गुप्त द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।


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